श्रीनगर: पुलवामा आतंकी हमले में गिरफ्तार एक आरोपी की जम्मू के अस्पताल में इलाज के दौरान कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. परिवारजनों ने बताया कि पुलवामा जिले के हाजीबल गांव के निवासी 27 वर्षीय बिलाल अहमद कुचाय की सोमवार शाम को मौत हो गई.
बिलाल के छोटे भाई यूनिस अहमद कुचाय ने कहा कि बिलाल किश्तवाड़ जिला जेल में बंद था और पिछले एक महीने से किडनी फेलियर से पीड़ित था. एक सप्ताह पहले उसे जम्मू के सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई.
फरवरी 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ काफिले पर आतंकी हमला हुआ था, जिसमें अर्धसैनिक बल के 40 जवानों की मौत हुई थी. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बिलाल कुचाय को पुलवामा हमले में कथित संलिप्तता के लिए जुलाई 2020 में गिरफ्तार किया था. एनआईए के अनुसार, जैश-ए-मुहम्मद के आतंकवादियों ने सीआरपीएफ काफिले पर हमले की योजना बनाई थी.
बिलाल को 2020 में उसकी शादी के कुछ महीने बाद गिरफ्तार किया गया था, उसके परिवार में तीन साल का एक बेटा और उसकी पत्नी है. उसके भाई ने कहा, उसके पिता गुलाम नबी कुचाय की पिछले साल मौत हो गई थी, जबकि बिलाल जेल में था.
19 आरोपियों के खिलाफ दाखिल हुई थी चार्जशीट
एनआईए ने अगस्त 2020 में पुलवामा हमले में 19 आरोपियों के खिलाफ विशेष अदालत में 13,800 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी. एनआईए ने चार्जशीट में कहा था कि जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े काकपोरा के आतंकवादी आदिल अहमद डार ने सीआरपीएफ काफिले की बस पर आईईडी से लदी कार से टक्कर मार दी थी, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. 19 आरोपियों में जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर और अन्य जैश आतंकवादी शामिल थे.
एनआईए ने कहा, "आरोपी शाकिर बशीर, इंशा जान, पीर तारिक अहमद शाह और बिलाल अहमद कुचाय ने सभी रसद मुहैया कराई और जैश के आतंकवादियों को अपने घरों में शरण दी."
यूनिस अहमद ने कहा कि आरोपपत्र दाखिल होने के बाद अब तक उनके भाई को एनआईए कोर्ट में 15 सुनवाई के लिए पेश किया गया. बिलाल लकड़ी का कारोबार करता था और एक आरा मिल का भी मालिक था. एनआईए ने नौगाम में मुठभेड़ स्थल से बरामद एक मोबाइल फोन से मामले का खुलासा किया था, जहां इदरीस भाई (उमर फारूक) और कामरान मारे गए थे.
जैश आतंकवादियों को शरण देने का आरोप
मोबाइल फोन डेटा-फोटो, वॉयस और चैट मैसेज- की मदद से सभी आरोपियों- शाकिर बशीर, बिलाल कुचाय, इंशा और उसके पिता पीर तारिक अहमद शाह को पुलवामा को गिरफ्तार किया गया था, जिन पर जैश के आतंकवादियों को अपने घरों में शरण देने का आरोप था.
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