शिमला: हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार आए दिन अजीबो-गरीब मामलों को लेकर सुर्खियों में रहती है. समोसे की सीआईडी जांच और टॉयलेट टैक्स की जग हंसाई के बाद अब सीएम के रात्रि ठहराव कार्यक्रम में जंगली मुर्गा परोसने पर विवाद हो रहा है. इस पूरे मामले को बीजेपी नेताओं ने सोशल मीडिया पर लाकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है क्योंकि जंगली मुर्गा संरक्षित प्रजाति है और इसे मारने पर प्रतिबंध है.
क्या है मामला ?
हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने इसी साल 'सरकार जनता के द्वार' कार्यक्रम की शुरूआत की है. जिसके तहत खुद मुख्यमंत्री, मंत्री और अफसर गांवों में पहुंचते हैं. हिमाचल सरकार दूर-दराज और दुर्गम क्षेत्रों से इसकी शुरुआत कर चुकी है. इसी कड़ी में शुक्रवार 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू शिमला जिले के दुर्गम इलाके कुपवी पहुंचे और यहां टिकरी गांव में रात्रि ठहराव किया था. सुखविंदर सुक्खू कुपवी में रात्रि ठहराव करने वाले पहले मुख्यमंत्री हैं. स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल और पार्टी के स्थानीय नेताओं के साथ अधिकारी भी मौजूद थे. इन सभी की ठंड में आग सेंकती तस्वीरें भी सामने आई थी. इस दौरान मुख्यमंत्री ने यहां ग्रामीणों की समस्याएं भी सुनी थी.
शिमला के कुपवी में सीएम सुक्खू ने किया था रात्रि ठहराव (ETV Bharat)
यहां तक तो सब ठीक था लेकिन बीजेपी का आरोप है कि सीएम के रात्रि ठहराव के दौरान डिनर में जंगली मुर्गा परोसा गया है. जबकि जंगली मुर्गे को मारने पर प्रतिबंध हैं. इसे लेकर बीजेपी नेता सोशल मीडिया पर एक वीडियो का हवाला दे रहे हैं जो खूब वायरल हो रहा है. इसमें मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू और मंत्री धनीराम शांडिल खाने के लिए बैठे हैं और इसी दौरान जंगली मुर्गा परोसे जाने की आवाज आती है. हालांकि सीएम सुक्खू, कैबिनेट मंत्री और अन्य लोग इसे खाने से इनकार कर देते हैं.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के इस डिनर को लेकर बीजेपी अब हमलावर है. बीजेपी का आरोप है कि सीएम के डिनर को लेकर बकायदा मैन्यू में ना सिर्फ जंगली मुर्गा रखा गया बल्कि परोसा भी गया. दरअसल सोशल मीडिया पर एक मैन्यू भी वायरल हो रहा है जिसमें जंगली मुर्गा भी लिखा हुआ है. बीजेपी भी आरोप लगा रही है कि सीएम के डिनर मैन्यू में जंगली मुर्गा था और परोसा भी गया.
हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने अपने एक्स हैंडल पर ये वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा है कि "जनता के घर द्वार जाकर लोगों की समस्याओं के निराकरण करने की हमारी योजना 'जनमंच' के फुलके जिन्हें खल रहे थे वह आज गांव-गांव जाकर पिकनिक मना रहे हैं और क्या कर रहे हैं जनता सब देख रही है. संरक्षित प्रजाति का जंगली मुर्गा खाने वालों को जेल होती है जुर्माना होता है लेकिन मुख्यमंत्री महोदय मुर्गा खिलाने का पहले मेन्यू छपवाते हैं और फिर अपने मंत्रियों को अपने सामने चटखारे ले लेकर खिलाते हैं. क्या यही व्यवस्था परिवर्तन है ?"
धर्मशाला से बीजेपी विधायक सुधीर शर्मा ने ये वीडियो अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा "कुक्कड़ू कूं" का व्यवस्था परिवर्तन। जंगल राज में "Wild Life Act" नहीं लगता.
वहीं बीजेपी नेता चेतन बरागटा ने कहा है कि मुख्यमंत्री को माफी मांगनी चाहिए. चेतन ब्राग्टा ने X पर वीडियो बयान जारी किया है उन्होंने लिखा कि "सरकारी कार्यक्रम में जंगली मुर्गा जैसे संरक्षित पक्षी का परोसा जाना वन्यजीव संरक्षण कानूनों का सीधा उल्लंघन है. यह देवभूमि हिमाचल की परंपराओं और पर्यावरण के प्रति हमारी संवेदनशीलता का अपमान है. कांग्रेस सरकार की इस लापरवाही पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए "चेतन बरागटा ने कहा कि सीएम के दौरे पर मैन्यू में जंगली मुर्गा रखा गया. वीडियो में साफ दिख रहा है कि मुख्यमंत्री अपने मंत्री और अफसरों को जंगली मुर्गा खाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. ये नैतिकता का उल्लंघन है, हिमाचल देवभूमि है और यहां जंगली जानवर, पशु पक्षियों को आदर सम्मान दिया जाता है. इस प्रकरण से साफ झलकता है कि हिमाचल की कांग्रेस सरकार कितनी गंभीर है. हम डिमांड करते हैं कि मुख्यमंत्री मीडिया के सामने आएं और देवभूमि हिमाचल की जनता से माफी मांगे. साथ ही बीजेपी हिमाचल के मुख्यमंत्री से मांग करती है कि जो भी इस प्रकरण में लिप्त हैं उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए."
जंगली मुर्गा परोसने पर क्या बोले सीएम सुक्खू
इस पूरे विवाद पर हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू खुद सामने आए हैं. सीएम सुक्खू ने कहा कि "स्वास्थ्य कारणों से मैं तेलयुक्त व्यंजन और नॉनवेज दोनों से परहेज़ करता हूँ लेकिन जयराम जी को कोई मुद्दा नहीं मिला तो उन्होंने हमारे ग्रामवासियों को बदनाम करने का रास्ता चुन लिया. विपक्ष के नेताओं के पास अब कोई मुद्दा नहीं है, बस ग्रामवासियों की छवि खराब करने का काम करते हैं. ग्रामीणों ने देसी मुर्गा बनाया था लेकिन हम खाते नहीं है, लेकिन नॉनवेज भोजन पहाड़ के जीवन का अहम हिस्सा है और जयराम जी इस पर बयान दे रहे हैं. जो बताता है कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है."
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा मैन्यू (बाएं), मुर्गे की सांकेतिक तस्वीर (दाएं) (ETV Bharat)
गौरतलब है कि इससे पहले भी जब मुख्यमंत्री के लिए लाए गए समोसों की सीआईडी जांच का मामला हुआ था. तब भी सीएम सुखविंदर सुक्खू ने कहा था कि वो समोसे नहीं खाते हैं. वो सादा भोजन करते हैं.
वीडियो में क्या है ?
मुख्यमंत्री के डिनर से जुड़ा जो विडियो वायरल हो रहा है उसमें दिख रहा है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू, कैबिनेट मंत्री धनीराम शांडिल व अन्य लोग जमीन पर बैठकर खाना खा रहे हैं. इतने में एक शख्स कुछ परोसने के लिए लाता है. परोसने वाला- ये जंगली मुर्गा है सीएम सुक्खू- जंगली मुर्गा है, इनको दो ना जंगली मुर्गा, हमने थोड़ी खाना है यार सीएम सुक्खू - कर्नल साहब खाते हैं (धनीराम शांडिल की ओर इशारा करते हुए) धनीराम शांडिल नहीं बोलते हैं और मना कर देते हैं सीएम सुक्खू- वेज हैं सारे (पूछते हुए)... कोई नहीं है नॉनवेज ?... किमटा जी होंगे नॉनवेज
क्या है वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट ?
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 (The Wild Life (Protection) Act, 1972) देश में वन्य जीवों, पक्षियों और पौधों आदि के संरक्षण से जुड़ा है. जिसके तहत वन्य जीवों और पक्षियों के शिकार करने पर प्रतिबंध है. इस सूची में जंगली मुर्गा भी शामिल है. जो हिमाचल प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में पाया जाता है. हिमाचल के पूर्व आईएफएस अधिकारी डॉ. केएस तंवर के मुताबिक "जंगली मुर्गे का शिकार प्रतिबंधित है. वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत संरक्षित जीवों को मारने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान भी है. मौजूदा मामला राजनीतिक हो चुका है लेकिन वन्य प्राणियों के संरक्षण को संजीदगी से लेने की जरूरत है. वन विभाग सीएम सुखविंदर सुक्खू के पास ही है. विभाग के मुखिया होने के नाते वन्य प्राणियों के संरक्षण की अपील करनी चाहिए और इस ओर काम करना चाहिए."
इस पूरे मामले में सीएम सुक्खू की ओर से भी बयान जारी कर दिया गया है लेकिन बीजेपी इस मामले को लगातार उछाल रही है. कई नेता इसपर बयान दे चुके हैं तो कई सोशल मीडिया पर सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं.