प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा: हमें नए सपने देखने की जरूरत है - lok sabha elections 2024 - LOK SABHA ELECTIONS 2024
Lok Sabha Elections 2024 : कन्याकुमारी में तीन दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा के बाद पीएम मोदी ने एक नोट लिखा है. उन्होंने अपने नोट में लिखा कि लिखा कि हमें भारत के विकास को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए. पढ़ें पूरी खबर...
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक विकसित भारत के लिए एकता और समर्पण का आग्रह करते हुए भारत की प्रगति और क्षमता पर विचार किया है. कन्याकुमारी में 45 घंटे के ध्यान शिविर के बाद दिल्ली वापस लौटते समय शनिवार को लिखे गए एक नोट में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों से आग्रह किया कि वे आने वाली पीढ़ियों और आने वाली शताब्दियों के लिए एक मजबूत नींव बनाने और भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए अगले 25 साल पूरी तरह से देश के लिए समर्पित करें.
कन्याकुमारी में तीन दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा के बाद, मैं अभी दिल्ली के लिए विमान में चढ़ा हूं. पीएम मोदी ने 1 जून को कन्याकुमारी से दिल्ली लौटते समय शाम 4:15 बजे से शाम 7 बजे के बीच लिखे अपने नोट की शुरुआत की.
उन्होंने कहा कि हमें भारत के विकास को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए और इसके लिए यह आवश्यक है कि हम भारत की आंतरिक क्षमताओं को समझें. हमें भारत की शक्तियों को पहचानना चाहिए, उनका पोषण करना चाहिए और उनका उपयोग विश्व के लाभ के लिए करना चाहिए. आज के वैश्विक परिदृश्य में, एक युवा राष्ट्र के रूप में भारत की ताकत एक अवसर है, जिससे हमें पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए.
अपने तीन दिवसीय ध्यान के दौरान अपने विचारों के बारे में बोलते हुए, पीएम ने लिखा कि इस वैराग्य के बीच, शांति और मौन के बीच, मेरा मन लगातार भारत के उज्ज्वल भविष्य, भारत के लक्ष्यों के बारे में सोच रहा था. स्वामी विवेकानंद के संदेश का हवाला देते हुए कि हर राष्ट्र के पास देने के लिए एक संदेश होता है, पूरा करने के लिए एक मिशन होता है, पहुंचने के लिए एक नियति होती है. प्रधानमंत्री ने लिखा कि हजारों वर्षों से, भारत सार्थक उद्देश्य की इसी भावना के साथ आगे बढ़ रहा है. भारत हजारों वर्षों से विचारों का उद्गम स्थल रहा है.
उन्होंने लिखा कि हमने जो कुछ भी अर्जित किया है, उसे कभी भी अपनी निजी संपत्ति नहीं माना है और न ही इसे केवल आर्थिक या भौतिक मापदंडों से मापा है. इसलिए, 'इदं-न-मम' (यह मेरा नहीं है) भारत के चरित्र का एक अंतर्निहित और स्वाभाविक हिस्सा बन गया है. आज, भारत का शासन मॉडल दुनिया भर के कई देशों के लिए एक उदाहरण बन गया है. भारत का विकास पथ हमें और गौरव से भर देता है, लेकिन साथ ही, यह 140 करोड़ नागरिकों को उनकी जिम्मेदारियों की याद भी दिलाता है.
प्रधानमंत्री ने लिखा कि अब, एक भी पल बर्बाद किए बिना, हमें बड़े कर्तव्यों और बड़े लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ना चाहिए. हमें नए सपने देखने, उन्हें हकीकत में बदलने और उन सपनों को जीने की शुरुआत करने की जरूरत है. अपने लेख में, प्रधान मंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे सातवें और अंतिम चरण का मतदान समाप्त हो रहा है, उनका मन कई अनुभवों और भावनाओं से भरा हुआ है, उन्होंने कहा कि 2024 का लोकसभा चुनाव अमृत काल का पहला चुनाव है.
उन्होंने अपने लेख में लिखा कि मेरे साथी भारतीयों, लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव, 2024 का लोकसभा चुनाव, आज हमारे देश, लोकतंत्र की जननी में संपन्न हो रहा है. कन्याकुमारी में तीन दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा के बाद, मैं अभी-अभी दिल्ली के लिए विमान में सवार हुआ हूं. पूरे दिन काशी और कई अन्य सीटें मतदान के बीच में रहीं.
पीएम मोदी ने कहा कि मेरा मन बहुत सारे अनुभवों और भावनाओं से भरा हुआ है... मैं अपने भीतर ऊर्जा का एक असीम प्रवाह महसूस करता हूं. 2024 का लोकसभा चुनाव अमृत काल का पहला चुनाव है. मैंने कुछ महीने पहले 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की भूमि मेरठ से अपना अभियान शुरू किया था. तब से, मैंने हमारे महान राष्ट्र की लंबाई और चौड़ाई को पार किया है. इन चुनावों की अंतिम रैली मुझे पंजाब के होशियारपुर ले गई, जो महान गुरुओं की भूमि और संत रविदास जी से जुड़ी भूमि है. उसके बाद, मैं कन्याकुमारी में मां भारती के चरणों में आया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे ही वह ध्यान की अवस्था में पहुंचे, सभी गर्म राजनीतिक बहसें, पलटवार और आरोप-प्रत्यारोप शून्य में गायब हो गए. उन्होंने कहा कि उन्हें बाहरी दुनिया से अलगाव की भावना महसूस हुई. स्वाभाविक है कि चुनाव का उत्साह मेरे दिल और दिमाग में गूंज रहा था. रैलियों और रोड शो में दिख रहे लोगों की भीड़ मेरी आंखों के सामने आ गई.
पीएम मोदी ने लिखा कि हमारी नारी शक्ति का आशीर्वाद...विश्वास, स्नेह, यह सब बहुत ही विनम्र अनुभव था. मेरी आंखें नम हो रही थीं...मैं एक 'साधना' (ध्यान की अवस्था) में प्रवेश कर गया. और फिर, गरमागरम राजनीतिक बहस, हमले और जवाबी हमले, आरोपों की आवाजें और शब्द जो चुनाव की खासियत हैं...वे सब एक शून्य में गायब हो गए. पीएम ने लिखा कि मेरे भीतर वैराग्य की भावना पनपने लगी...मेरा मन बाहरी दुनिया से पूरी तरह से अलग हो गया.
उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी जिम्मेदारियों के बीच ध्यान करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है, लेकिन कन्याकुमारी की धरती और स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा ने इसे आसान बना दिया. एक उम्मीदवार के रूप में, मैंने अपना अभियान काशी के अपने प्यारे लोगों के हाथों में छोड़ दिया और यहां आया. प्रधानमंत्री ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनके ध्यान का एक हिस्सा विचारों की धारा में बीता, जिसमें वे यह सोचते रहे कि कन्याकुमारी में ध्यान के दौरान स्वामी विवेकानंद ने क्या अनुभव किया होगा.
उन्होंने कहा कि मैं ईश्वर का भी आभारी हूं कि उन्होंने मुझे जन्म से ही ये मूल्य दिए, जिन्हें मैंने संजोया है और जीने की कोशिश की है. मैं यह भी सोच रहा था कि कन्याकुमारी में इसी स्थान पर ध्यान के दौरान स्वामी विवेकानंद ने क्या अनुभव किया होगा! मेरे ध्यान का एक हिस्सा इसी तरह के विचारों की धारा में बीता.
पीएम मोदी ने कहा कि इस वैराग्य के बीच, शांति और मौन के बीच, मेरा मन लगातार भारत के उज्ज्वल भविष्य, भारत के लक्ष्यों के बारे में सोच रहा था. कन्याकुमारी में उगते सूरज ने मेरे विचारों को नई ऊंचाई दी, समुद्र की विशालता ने मेरे विचारों को विस्तार दिया और क्षितिज के विस्तार ने मुझे लगातार ब्रह्मांड की गहराई में समाहित एकता, एकत्व का एहसास कराया. ऐसा लग रहा था जैसे दशकों पहले हिमालय की गोद में किए गए अवलोकन और अनुभव पुनर्जीवित हो रहे हों. उन्होंने आगे कहा कि 'कश्मीर से कन्याकुमारी तक' एक साझा पहचान है जो देश के हर नागरिक के दिल में गहराई से समाई हुई है.
पीएम मोदी ने लिखा कि कन्याकुमारी हमेशा से मेरे दिल के बहुत करीब रही है. कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल का निर्माण श्री एकनाथ रानाडे जी के नेतृत्व में किया गया था. मुझे एकनाथ जी के साथ व्यापक यात्रा करने का अवसर मिला. इस स्मारक के निर्माण के दौरान मुझे कन्याकुमारी में भी कुछ समय बिताने का अवसर मिला.
उन्होंने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक यह एक साझा पहचान है जो देश के हर नागरिक के दिल में गहराई से समाई हुई है. यह वह 'शक्ति पीठ' है जहां मां शक्ति ने कन्या कुमारी के रूप में अवतार लिया था. इस दक्षिणी सिरे पर मां शक्ति ने तपस्या की और भगवान शिव की प्रतीक्षा की, जो भारत के सबसे उत्तरी भाग में हिमालय में निवास कर रहे थे.
पीएम मोदी ने अपने लेख में कहा कि कन्याकुमारी संगम की भूमि है. हमारे देश की पवित्र नदियां अलग-अलग समुद्रों में बहती हैं और यहां, वे समुद्र एक दूसरे से मिलते हैं. और यहाँ, हम एक और महान संगम देखते हैं - भारत का वैचारिक संगम! यहां, हमें विवेकानंद रॉक मेमोरियल, संत तिरुवल्लुवर की एक भव्य प्रतिमा, गांधी मंडपम और कामराजर मणि मंडपम मिलते हैं. इन दिग्गजों की विचार धाराएं यहां राष्ट्रीय विचारों के संगम का निर्माण करती हैं. इससे राष्ट्र निर्माण के लिए महान प्रेरणाएं पैदा होती हैं.
कन्याकुमारी की यह भूमि एकता का अमिट संदेश देती है, खासकर ऐसे किसी भी व्यक्ति को जो भारत की राष्ट्रीयता और एकता की भावना पर संदेह करता है. कन्याकुमारी में संत तिरुवल्लुवर की भव्य प्रतिमा समुद्र से मां भारती के विस्तार को देखती हुई प्रतीत होती है. उनकी कृति तिरुक्कुरल सुंदर तमिल भाषा के मुकुट रत्नों में से एक है. इसमें जीवन के हर पहलू को शामिल किया गया है, जो हमें अपने और राष्ट्र के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित करती है. उन्होंने कहा कि ऐसी महान हस्ती को श्रद्धांजलि देना मेरा सौभाग्य है.
स्वामी विवेकानंद के संदेश पर प्रकाश डालते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मित्रों, स्वामी विवेकानंद ने एक बार कहा था कि हर राष्ट्र के पास देने के लिए एक संदेश होता है, पूरा करने के लिए एक मिशन होता है, पहुंचने के लिए एक नियति होती है. उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों से भारत इसी सार्थक उद्देश्य की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है. भारत हजारों वर्षों से विचारों का उद्गम स्थल रहा है. हमने कभी भी जो कुछ भी अर्जित किया है, उसे अपनी व्यक्तिगत संपत्ति नहीं माना है या इसे केवल आर्थिक या भौतिक मापदंडों से नहीं मापा है. इसलिए, 'इदं-न-मम' (यह मेरा नहीं है) भारत के चरित्र का एक अंतर्निहित और स्वाभाविक हिस्सा बन गया है.
कोविड-19 महामारी की स्थिति की तुलना भारत के स्वतंत्रता संग्राम से करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों स्थितियों में भारत की भावना ने कई देशों को अपनी स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए प्रेरित और सशक्त किया है. उन्होंने कहा कि भारत का कल्याण हमारे ग्रह की प्रगति की यात्रा को भी लाभ पहुंचाता है. स्वतंत्रता आंदोलन को ही उदाहरण के तौर पर लें भारत को 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता मिली थी. उस समय, दुनिया भर के कई देश औपनिवेशिक शासन के अधीन थे. भारत की स्वतंत्रता यात्रा ने उनमें से कई देशों को अपनी स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए प्रेरित और सशक्त बनाया.
उन्होंने कहा कि वही भावना दशकों बाद तब देखने को मिली जब दुनिया सदी में एक बार आने वाली कोविड-19 महामारी का सामना कर रही थी. जब गरीब और विकासशील देशों के बारे में चिंताएं जताई गईं, तो भारत के सफल प्रयासों ने कई देशों को साहस और सहायता प्रदान की. उन्होंने कहा कि आज भारत का शासन मॉडल दुनिया भर के कई देशों के लिए एक मिसाल बन गया है. मात्र 10 वर्षों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से ऊपर उठाना अभूतपूर्व है.
आज दुनिया भर में प्रो-पीपुल गुड गवर्नेंस, आकांक्षी जिले और आकांक्षी ब्लॉक जैसी अभिनव प्रथाओं पर चर्चा हो रही है. पीएम मोदी ने कहा कि गरीबों को सशक्त बनाने से लेकर अंतिम मील तक की डिलीवरी तक के हमारे प्रयासों ने समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्तियों को प्राथमिकता देकर दुनिया को प्रेरित किया है.
उन्होंने कहा कि भारत का डिजिटल इंडिया अभियान अब पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है. यह दिखाता है कि हम गरीबों को सशक्त बनाने, पारदर्शिता लाने और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कैसे तकनीक का उपयोग कर सकते हैं. भारत में सस्ता डेटा गरीबों तक सूचना और सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करके सामाजिक समानता का साधन बन रहा है. प्रधानमंत्री ने अपने लेख में कहा कि पूरी दुनिया प्रौद्योगिकी के लोकतंत्रीकरण को देख रही है और उसका अध्ययन कर रही है. प्रमुख वैश्विक संस्थान कई देशों को हमारे मॉडल के तत्वों को अपनाने की सलाह दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि भारत को अब ग्लोबल साउथ की एक मजबूत और महत्वपूर्ण आवाज के रूप में स्वीकार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आज भारत की प्रगति और उत्थान केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के हमारे सभी सहयोगी देशों के लिए भी एक ऐतिहासिक अवसर है. जी-20 की सफलता के बाद से, दुनिया भारत की बड़ी भूमिका की कल्पना कर रही है. आज भारत को ग्लोबल साउथ की एक मजबूत और महत्वपूर्ण आवाज के रूप में स्वीकार किया जा रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत की पहल पर अफ्रीकी संघ जी-20 समूह का हिस्सा बन गया है. यह अफ्रीकी देशों के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होने जा रहा है.
देश के लोगों को अधिक कर्तव्यों और बड़े लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि भारत का विकास पथ हमें गर्व और गौरव से भर देता है, लेकिन साथ ही, यह 140 करोड़ नागरिकों को उनकी जिम्मेदारियों की याद भी दिलाता है. अब, बिना एक पल भी बर्बाद किए, हमें अधिक कर्तव्यों और बड़े लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ना चाहिए. हमें नए सपने देखने, उन्हें हकीकत में बदलने और उन सपनों को जीने की शुरुआत करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की दुनिया भारत की ओर बहुत उम्मीदों से देख रही है. वैश्विक परिदृश्य में आगे बढ़ने के लिए हमें कई बदलाव करने होंगे. हमें सुधार के बारे में अपनी पारंपरिक सोच को भी बदलने की जरूरत है. भारत सुधार को सिर्फ आर्थिक सुधारों तक सीमित नहीं रख सकता. हमें जीवन के हर पहलू में सुधार की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. हमारे सुधारों को 2047 तक विकसित भारत की आकांक्षाओं के साथ भी जोड़ा जाना चाहिए.
'विकसित भारत' के लक्ष्य पर जोर देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि देश के लोगों को चारों दिशाओं में तेजी से काम करने की जरूरत है: गति, पैमाना, दायरा और मानक. हमें यह भी समझना होगा कि सुधार कभी भी किसी भी देश के लिए एक आयामी प्रक्रिया नहीं हो सकती. इसलिए, मैंने देश के लिए सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन का विजन रखा है. सुधार की जिम्मेदारी नेतृत्व पर होती है. उसके आधार पर हमारी नौकरशाही प्रदर्शन करती है और जब लोग जनभागीदारी की भावना से जुड़ते हैं, तो हम परिवर्तन होते हुए देखते हैं.
उन्होंने कहा कि हमें अपने देश को 'विकसित भारत' बनाने के लिए उत्कृष्टता को मूल सिद्धांत बनाना चाहिए. हमें चारों दिशाओं में तेजी से काम करने की जरूरत है: गति, पैमाना, दायरा और मानक. विनिर्माण के साथ-साथ हमें गुणवत्ता पर भी ध्यान देना चाहिए और 'शून्य दोष-शून्य प्रभाव' के मंत्र का पालन करना चाहिए. सकारात्मकता की गोद में सफलता के खिलने की बात करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हमें पुरानी सोच और मान्यताओं का पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि मित्रों, हमें हर उस पल पर गर्व होना चाहिए कि भगवान ने हमें भारत की भूमि पर जन्म दिया है. भगवान ने हमें भारत की सेवा करने और उत्कृष्टता की ओर हमारे देश की यात्रा में अपनी भूमिका निभाने के लिए चुना है. हमें आधुनिक संदर्भ में प्राचीन मूल्यों को अपनाते हुए अपनी विरासत को आधुनिक तरीके से फिर से परिभाषित करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हमें पुरानी सोच और मान्यताओं का पुनर्मूल्यांकन करने की भी आवश्यकता है. हमें अपने समाज को पेशेवर निराशावादियों के दबाव से मुक्त करने की आवश्यकता है. हमें याद रखना चाहिए कि नकारात्मकता से मुक्ति ही सफलता प्राप्त करने की दिशा में पहला कदम है. सफलता सकारात्मकता की गोद में खिलती है.
प्रधानमंत्री ने लोगों को विकसित भारत बनाने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि भारत की अनंत और शाश्वत शक्ति में मेरी आस्था, भक्ति और विश्वास दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है. पिछले 10 वर्षों में मैंने भारत की इस क्षमता को और भी अधिक बढ़ते देखा है और इसका प्रत्यक्ष अनुभव किया है. जिस तरह हमने 20वीं सदी के चौथे और पांचवें दशक का उपयोग स्वतंत्रता आंदोलन को नई गति देने के लिए किया, उसी तरह हमें 21वीं सदी के इन 25 वर्षों में 'विकसित भारत' की नींव रखनी चाहिए. स्वतंत्रता संग्राम एक ऐसा समय था जिसमें बहुत से बलिदानों की आवश्यकता थी.
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सभी से महान और निरंतर योगदान की आवश्यकता है. स्वामी विवेकानंद ने 1897 में कहा था कि हमें अगले 50 वर्ष केवल राष्ट्र के लिए समर्पित करने चाहिए. इस आह्वान के ठीक 50 वर्ष बाद, भारत को 1947 में स्वतंत्रता मिली. आज हमारे पास वही सुनहरा अवसर है.
आइए अगले 25 वर्ष केवल राष्ट्र के लिए समर्पित करें. हमारे प्रयास आने वाली पीढ़ियों और आने वाली शताब्दियों के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेंगे, जो भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की ऊर्जा और उत्साह को देखते हुए, मैं कह सकता हूं कि लक्ष्य अब दूर नहीं है. आइए हम तेजी से कदम उठाएं... आइए हम सब मिलकर एक विकसित भारत बनाएं.