चमोली (उत्तराखंड): गढ़वाल मंडल के उच्च हिमालयी लोकपाल घाटी में मौजूद दंडी पुष्करणी तीर्थ, हेमकुंड साहिब में दिव्य ब्रह्मकमल के खिलने की पहली शानदार तस्वीर सामने आईं हैं. हिंदू सिख धार्मिक आस्था का संगम लोकपाल हेमकुंड साहिब के पवित्र हिम सरोवर के आसपास के क्षेत्रों में इस बार मानसून की पहली दस्तक व जुलाई माह के पहले सप्ताह में ब्रह्मकमल खिलने लगा है. जिसे अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है.
समय से पहले खिलने लगा ब्रह्मकमल:जानकारों की मानें तो अक्सर लोकपाल घाटी में यह दुर्लभ ब्रह्मकमल पुष्प जुलाई के अंतिम सप्ताह में खिला हुआ नजर आता है. यही नहीं हेमकुंड साहिब पैदल मार्ग पर अटला कोटी से ऊपर बड़ी संख्या में क्यारियों में ये ब्रह्मकमल फूल खिले नजर आते हैं. लेकिन इस बार मानसून की पहली बरसात में ही हेमकुंड साहिब क्षेत्र में समय से पहले राज्य पुष्प ब्रह्मकमल के खिलने से प्रकृति प्रेमियों और वनस्पति वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है.
जलवायु परिवर्तन का दिख रहा असर:गौर हो कि कमल पुष्प समुद्र तल से करीब 3000 मीटर से 4800 मीटर तक की ऊंचाई पर अपनी जादुई औषधि युक्त महक बिखेरता है. इस दुर्लभ ब्रह्मकमल पुष्प की क्यारियां लोकपाल घाटी में हेमकुंड साहिब आस्था पथ पर अटलाकोटी से ऊपर हेमकुंड साहिब क्षेत्र में काफी तादाद में खिली नजर आती हैं. जो सीजन में खासकर जुलाई के अंत से पूरे अगस्त माह तक यहां खिले नजर आते हैं. लेकिन इस सीजन में जुलाई माह के पहले सप्ताह में ही हेमकुंड साहिब में राज्य पुष्प ब्रह्मकमल अपनी चमक बिखेरते नजर आ रहे हैं, वहीं समय से पहले इन पुष्पों का खिलना प्री मैच्यौरिंग कहलाता है.
माना जाता है देवताओं का पुष्प:जो जलवायु परिवर्तन के कारण व वातावरण शिफ्ट होना भी एक कारण माना जा सकता है. तय समय चक्र से पहले इन उच्च हिमालयी दुर्लभ पुष्पों के खिलने की घटना में हो रहे जलवायु शिफ्टिंग इन दुर्लभ पुष्पों की प्रजातियों के लिए अच्छे संकेत नहीं मानें जा रहे हैं.गढ़वाल हिमालया में सबसे अधिक ब्रह्मकमल पुष्प अगस्त महीने में खिलते हैं. लेकिन लोकपाल हेमकुंड साहिब क्षेत्र में इस बार तय समय से पहले ही ये दुर्लभ ब्रह्मकमल पुष्प खिलने लगे हैं. ब्रह्मकमल पुष्प को देवताओं का पुष्प माना जाता है और खास कर गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में नंदा अष्टमी के महापर्व पर मां नंदा देवी को ब्रह्मकमल से सजाया और चढ़ाया जाता है.