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बकाए की राजनीति, चरम पर पहुंची सियासी खींचतान! - POLITICS OVER DUES

केंद्र की कोल कंपनियों पर झारखंड के बकाए राशि को लेकर राजनीति गर्म है. अब सीएम ने इसको लेकर मोर्चा संभाल लिया है.

Political rhetoric on dues of Jharkhand on coal companies of central government
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 6 hours ago

Updated : 6 hours ago

रांचीः हेमंत सरकार का दावा है कि केंद्र सरकार की कोयला कंपनियों पर झारखंड का 1.36 लाख करोड़ रु बकाया है. मार्च 2022 से बकाए की मांग की जा रही है. खुद सीएम हेमंत सोरेन ने मोर्चा संभाल रखा है. कई बार कोयला मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक को पत्र लिख चुके हैं.

लेकिन 16 दिसंबर को बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव के बकाए के सवाल पर वित्त विभाग के जवाब के बाद झारखंड की राजनीति में तूफान खड़ा हो गया है. बकाया नहीं मिलने पर झामुमो ने राजमहल से राजहरा तक कोयला ढुलाई ठप करने की चेतावनी दे दी है. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चाहते हैं कि झारखंड भाजपा आवाज बुलंद करे. वहीं इस मसले पर प्रदेश भाजपा ने सीएम से सीधा सवाल कर एक नई बहस छेड़ दी है.

बकाए को लेकर झामुमो और कांग्रेस के नेता (ETV Bharat)

सबसे आश्चर्य की बात है कि वित्त विभाग के जिस जवाब पर झारखंड में राजनीतिक बवंडर खड़ा हुआ है, उसका राज्य के 1.36 लाख के बकाए के दावे से कोई लेना-देना नहीं है. क्योंकि पप्पू यादव ने केंद्र सरकार से यह पूछा था कि क्या कोयले से राजस्व के रुप में टैक्स मद में झारखंड की हिस्सेदारी 1.40 लाख करोड़ वर्षों से लंबित है. जवाब में वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि टैक्स मद में झारखंड का कुछ भी केंद्र के पास लंबित नहीं है.

सीएम की प्रदेश भाजपा को नसीहत

इसके बावजूद झारखंड में जमकर राजनीति हो रही है. सीएम हेमंत सोरेन ने इसी मसले पर 18 दिसंबर को भी एक्स पर एक पोस्ट किया है. उन्होंने झारखंड भाजपा को नसीहत दी है. उन्होंने लिखा है कि भाजपा अगर झारखंडियों के साथ अपना आवाज बुलंद नहीं करती है तो यह माना जाएगा कि इस हकमारी में उसकी बराबर की सहभागिता है. उन्होंने यह भी कहा है कि एक-एक रुपया का विस्तृत ब्रेकअप कई बार केंद्र सरकार को दिया जा चुका है.

हेमंत सरकार पर भाजपा के आरोप और सवाल

बकाया पर विवाद के तूल पकड़ने पर प्रदेश भाजपा ने राज्य सरकार से कुछ सवाल किए हैं. प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने बकाया राशि का वर्षवार ब्यौरा मांगा है. यह भी पूछा है कि शिबू सोरेन जब कोयला मंत्री थे, उस समय कोयले की रॉयल्टी का कोई बकाया था या नहीं. यूपीए के 10 वर्ष के शासनकाल में कितना बकाया था और कितने का भुगतान हुआ. भाजपा ने यह भी पूछा है कि 1.36 लाख करोड़ का जो दावा किया जा रहा है, वह किस वर्ष में किस विभाग से जुड़ा है. पूरा विस्तृत ब्यौरा आने पर प्रदेश भाजपा राज्य हित में उचित कदम उठाने को तैयार है.

इन सवालों के साथ प्रदेश भाजपा ने आरोप लगाया है कि जनता से सहानुभूति बटोरने के लिए झामुमो बहाने बना रही है. क्योंकि चुनाव पूर्व योजनाओं की घोषणा की भरपाई के लिए ढाई लाख करोड़ रु. से भी ज्यादा की जरुरत होगी. लेकिन आंतरिक स्त्रोत से पैसा नहीं जुट रहा है. इसी वजह से अबतक मंईयां सम्मान की 2,500 रु की किस्त जारी नहीं हुई है.

मामले को उठाते रहे हैं झामुमो सांसद

सीएम के सुझाव पर भाजपा का जवाब आ चुका है. अब सवाल है कि क्या सत्ताधारी दल के सांसदों ने इस मसले को लोकसभा में उठाया है. इसपर ईटीवी भारत की टीम ने राजमहल से झामुमो सांसद विजय हांसदा से बात की. उन्होंने बताया कि वे लोकसभा में इस सवाल को उठा चुके हैं बल्कि कोल कमेटी को भी अवगत कराया गया है.

सदन में सवाल पर कांग्रेस और झामुमो का पक्ष

झामुमो प्रवक्ता तनुज खत्री ने बताया कि राजमहल सांसद विजय हांसदा इस सवाल को उठा चुके हैं. साथ ही राज्य सभा सांसद शिबू सोरेन भी इसको लेकर केंद्र को खत भेज चुके हैं. सारा ब्यौरा भी दिया गया है. अब केंद्र सरकार झारखंड में अंधेरा लाना चाहते हैं. अब भाजपा धोखेबाजी पर उतर आई है. पैसा नहीं मिला तो एक ढेला नहीं जाएगा यहां से.

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता जगदीश साहू का कहना है कि केंद्र सरकार इसलिए पैसे नहीं देना चाह रही है ताकि जनता के बीच राज्य की बदनामी हो. यह पूछे जाने पर कि इस सवाल को झारखंड कांग्रेस के सासंद लोकसभा में क्यों नहीं उठाते हैं. इसपर उनका कहना है कि इसी सत्र में कांग्रेसी सांसद सवाल उठाएंगे.

हेमंत सरकार का 1.36 लाख करोड़ का ब्यौरा (ETV Bharat)

हेमंत सरकार का 1.36 लाख करोड़ का ब्यौरा

केंद्र सरकार की कोयला कंपनियों पर बकाए की चर्चा मार्च 2022 में शुरु हुई थी, जब सीएम हेमंत सोरेन ने तत्कालीन कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी को पत्र लिखा था. उन्होंने वॉश्ड कोल रॉयल्टी मद में 2,900 करोड़, एमडीडीआर एक्ट के सेक्शन 21(5) के तहत खनन क्षेत्र के बाहर जाकर किए गये उत्खनन मद में 32,000 करोड़ का बकाया बताया था.

इसके अलावा जमीन मुआवजा मद में 41,142 करोड़ का जिक्र किया था. जिसपर करीब 60 हजार करोड़ का ब्याज बनता है. इस हिसाब से राज्य सरकार का कोयला कंपनियों पर 1.36 लाख करोड़ रु. बकाया है. चार पन्नों के पत्र में मिनरल कंसेसन रूल 1960, एमडीडीआर एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी हवाला दिया गया था.

अब झारखंड सरकार ने बकाया राशि की वसूली के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है. भू-राजस्व विभाग के विशेष सचिव को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. अब देखना है कि कानूनी प्रक्रिया शुरु होने पर कोल इंडिया की ओर से क्या जवाब आता है. क्योंकि अबतक सिर्फ हेमंत सरकार की ओर से दावेदारी पेश की गई है. ऊपर से 1.36 लाख करोड़ के बकाए में 60 हजार करोड़ रु ब्याज मद में जोड़ा गया है.

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