नई दिल्ली :केंद्र की मोदी सरकार ने सोमवार को बड़ा फैसला लेते हुए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू कर दिया है. इसे लेकर सरकार की तरफ से अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. सीएए लागू होने के बाद पड़ोसी मुल्क से आए शरणार्थियों को अब भारत की नागरिकता मिल सकेगी. हालांकि विपक्षी दलों ने इसे लेकर आलोचना की है, वहीं सत्ता पक्ष ने इसकी तारीफ की है.
ममता ने की आलोचना :पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने केंद्र के कदम की कड़ी आलोचना की. ममता ने कहा कि उनकी सरकार लोगों के खिलाफ भेदभाव करने वाली किसी भी चीज़ का विरोध करेगी. ममता ने संवाददाताओं से कहा कि 'यह सीएए 2019 में पारित किया गया था. केंद्र को इतने समय तक नियम बनाने से किसने रोका और चुनाव से ठीक पहले अचानक क्यों जाग गया? क्या सीएए भाजपा सरकार के हाथ की मिठाई है? अगर इससे खतरा होगा तो हम किसी भी नियम का पुरजोर विरोध करेंगे.'
मुख्यमंत्री ने लोगों से चिंता न करने का आग्रह करते हुए कहा, 'उन्होंने (केंद्र ने) नियमों को अधिसूचित करने के लिए आज का दिन चुना है. किसी को यह समझना चाहिए कि यह आधी रात को की जाने वाली आजादी नहीं है. यह किसी चीज के लिए नियमों को अधिसूचित करने के लिए अंधेरे का रास्ता अपनाना है. जो लोगों के साथ भेदभाव करता है. हम इसकी अनुमति नहीं देंगे और तृणमूल कांग्रेस इसके खिलाफ आवाज उठाएगी.'
ओवैसी बोले- पांच साल तक क्यों लंबित रहा :एमआईएम अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की कि सीएए पांच साल तक क्यों लंबित रहा और अब इसे लागू किया जा रहा है. CAA पर केंद्र के गजट की पृष्ठभूमि में उन्होंने 'एक्स' के मंच पर जवाब दिया. उन्होंने कहा कि चुनाव का मौसम आने पर सीएए के नियम आएंगे...उन्होंने कहा कि उन्हें सीएए से आपत्ति है.'
उन्होंने आरोप लगाया कि विभाजनकारी सीएए गोडसे के मुसलमानों के साथ दूसरे दर्जे के नागरिक के रूप में व्यवहार करने के विचार पर आधारित था. उनका मानना है कि हिंसा से पीड़ित किसी भी व्यक्ति को शरण दी जानी चाहिए लेकिन धर्म या राष्ट्रीयता के आधार पर नहीं.
उन्होंने कहा कि सीएए को एनपीआर-एनआरसी के साथ केवल मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए लाया गया था...सीएए किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोगी नहीं है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सीएए, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ सड़कों पर उतरे भारतीयों के पास दोबारा विरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
'चुनावी बॉण्ड के मुद्दे से ध्यान भटकाने और चुनाव से पहले ध्रुवीकरण की कोशिश':कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि 'दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए. प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल पेशेवर और समयबद्ध तरीके से काम करती है. सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना समय प्रधानमंत्री के सफ़ेद झूठ की एक और झलक है.' उन्होंने आरोप लगाया कि सीएए के नियमों को अधिसूचित करने के लिए नौ बार समय-सीमा बढ़ाने की मांग के बाद, इसकी घोषणा करने के लिए जानबूझकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले का समय चुना गया है.
रमेश ने दावा किया,'‘ऐसा स्पष्ट रूप से चुनाव को ध्रुवीकृत करने के लिए किया गया है, विशेष रूप से असम और बंगाल में. यह चुनावी बॉण्ड घोटाले पर उच्चतम न्यायालय की कड़ी फटकार और सख़्ती के बाद, 'हेडलाइन को मैनेज करने' का प्रयास भी प्रतीत होता है.'