नई दिल्ली: भारत की एक्ट ईस्ट नीति के एक दशक पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को लाओ पीडीआर में 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी की प्रगति की समीक्षा करने और सहयोग की भविष्य की दिशा तय करने के लिए आसियान नेताओं के साथ शामिल हुए. यह शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री की 11वीं भागीदारी थी.
लाओस में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-आसियान व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए 10 सूत्री योजना तैयार की. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने आसियान एकता, आसियान केन्द्रीयता और हिंद-प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण के लिए भारत के समर्थन को दोहराया. 21वीं सदी को एशियाई सदी बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत-आसियान संबंध एशिया के भविष्य को दिशा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं.
भारत की एक्ट ईस्ट नीति की स्पष्टता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, पिछले दस सालों में भारत-आसियान व्यापार दोगुना होकर 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है. आसियान आज भारत के सबसे बड़े व्यापार और निवेश भागीदारों में से एक है. उन्होंने कहा कि, सात आसियान देशों के साथ सीधी उड़ान कनेक्टिविटी स्थापित की गई है, क्षेत्र के साथ फिन-टेक सहयोग के साथ आशाजनक शुरुआत की गई है और पांच आसियान देशों में साझा सांस्कृतिक विरासत की बहाली में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है.
प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान-भारत एफटीए (एआईटीआईजीए) की समीक्षा समयबद्ध तरीके से पूरी करने की आवश्यकता को रेखांकित किया ताकि आसियान-भारत समुदाय के लाभ के लिए अधिक आर्थिक क्षमता का दोहन किया जा सके.
पीएम मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय में आसियान युवाओं को प्रदान की गई छात्रवृत्ति के माध्यम से भारत-आसियान ज्ञान साझेदारी में हुई प्रगति के बारे में भी बात की. चेयर की थीम "कनेक्टिविटी और लचीलापन बढ़ाना" को ध्यान में रखते हुए, पीएम ने 10 सूत्री योजना की घोषणा की, इनमें साल 2025 को आसियान-भारत पर्यटन वर्ष के रूप में मनाना, जिसके लिए भारत संयुक्त गतिविधियों के लिए 5 मिलियन अमरीकी डालर उपलब्ध कराएगा. युवा शिखर सम्मेलन, स्टार्ट-अप महोत्सव, हैकाथॉन, संगीत समारोह, आसियान-भारत थिंक टैंक नेटवर्क और दिल्ली वार्ता सहित कई लोगों केंद्रित गतिविधियों के माध्यम से एक्ट ईस्ट नीति के एक दशक का जश्न मनाना; आसियान-भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास निधि के तहत आसियान-भारत महिला वैज्ञानिक सम्मेलन आयोजित करना शामिल है.
साथ ही नालंदा विश्वविद्यालय में छात्रवृत्ति की संख्या दोगुनी करना और भारत में कृषि विश्वविद्यालयों में आसियान छात्रों के लिए नई छात्रवृत्ति का प्रावधान करना, 2025 तक आसियान-भारत माल व्यापार समझौते की समीक्षा, आपदा लचीलापन बढ़ाना, जिसके लिए भारत 5 मिलियन अमरीकी डालर उपलब्ध कराएगा साइबर लचीलापन, ग्रीन हाइड्रोजन पर कार्यशाला; और आसियान नेताओं को जलवायु लचीलापन बनाने की दिशा में 'मां के लिए एक पेड़ लगाओ' अभियान में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया.
बैठक में, नेताओं ने एक नई आसियान-भारत कार्य योजना (2026-2030) बनाने पर सहमति व्यक्त की, जो आसियान-भारत साझेदारी की पूरी क्षमता को साकार करने में दोनों पक्षों का मार्गदर्शन करेगी और दो संयुक्त वक्तव्यों को अपनाया. साथ ही भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी (एईपी) के समर्थन से इंडो-पैसिफिक (एओआईपी) पर आसियान आउटलुक के संदर्भ में क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर संयुक्त वक्तव्य के अनुसार, नेताओं ने आसियान और भारत के बीच साझेदारी को आगे बढ़ाने में भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के योगदान को मान्यता दी.
इस दौरान डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ाने पर आसियान-भारत संयुक्त वक्तव्य नेताओं ने डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में भारत के नेतृत्व की सराहना की और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में भारत के साथ साझेदारी का स्वागत किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी करने तथा उनके गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए लाओस के प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया. प्रधानमंत्री ने पिछले तीन सालों में देश समन्वयक के रूप में सिंगापुर की रचनात्मक भूमिका के लिए भी धन्यवाद दिया तथा भारत के लिए नए देश समन्वयक, फिलीपींस के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई.