गोल्ड मेडल मिलने पर खुशी का माहौल (Etv Bharat) करनाल:हरियाणा में बैडमिंटन कोच नितेश कुमार ने पैरालंपिक 2024 में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. छोरे के गोल्ड जीतने पर कर्ण स्टेडियम में जश्न का माहौल है. इस दौरान स्टेडियम के बच्चों ने मिठाई बांटकर खुशी मनाई. उन्होंने कहा कि नितेश सर के वापस आने पर जोरदार स्वागत किया जाएगा. बता दें कि नितेश कुमार चरखी दादरी के नांदा गांव से ताल्लुक रखते हैं.
ग्रेट ब्रिटेन के खिलाड़ी को दी मात: नितेश कुमार ने पैरालिंपिक के पुरुष एकल एसएल 3 वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है. फाइनल मुकाबले में उन्होंने ग्रेट ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को 21-14, 18-21, 23-21 के स्कोर से जीत हासिल की है. इस जीत ने नितेश की कठिनाइयों और संघर्षों भरी यात्रा को एक शानदार अंत दिया है.
हादसे के बाद भी नहीं हारी हिम्मत: 2009 में जब नितेश केवल 15 साल के थे, तो विशाखापत्तनम में एक ट्रेन हादसे ने उनकी जिंदगी को हिला कर रख दिया. इस हादसे में नितेश ने अपना एक पैर खो दिया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. ये वही समय था जब उन्होंने अपने सपनों को नया आकार देने का फैसला किया. महीनों तक बिस्तर पर रहने के बाद, नितेश ने खेल को अपने जीवन का नया मकसद बना लिया और बैडमिंटन को अपनी शक्ति का स्रोत बनाया.
कर्ण स्टेडियम में नितेश खिलाड़ियों के कोच: नितेश ने अपनी पढ़ाई आईआईटी मंडी से बीटेक में की. लेकिन उनकी असली पहचान बैडमिंटन में मिली. पढ़ाई के दौरान बैडमिंटन के प्रति उनकी रुचि बढ़ी और उन्होंने इसे ही अपने करियर का हिस्सा बना लिया. वर्तमान में, नितेश करनाल के कर्ण स्टेडियम में कोच के रूप में सेवा दे रहे हैं. जहां वह युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. नितेश के परिजनों का मानना है कि खेल ने ही उसे जीवन में नई दिशा दी.
नितेश की उपलब्धियां: खेल विभाग के उपनिदेशक राकेश पांडे ने कहा कि नितेश की खेल उपलब्धियों की सूची लंबी है. उन्होंने 2018 में एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीता. 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया. 2022 और 2024 की वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीते. पेरिस पैरालंपिक में स्वर्ण पदक उनकी अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है. जिसने उन्हें एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया है.
पिता की तरह वर्दी पहनना चाहते थे नितेश: कोच राजेश कुमार ने कहा कि आज हमारे लिए बड़े गर्व का विषय है. हम इस एक त्यौहार के रूप में इसे मना रहे हैं. नितेश ने 45 वर्ष की आयु में बैडमिंटन सीखना शुरू किया और एक कड़े मुकाबले को जीतकर उन्होंने खुद को साबित कर दिखाया है. नितेश के पिता, जो पहले नौसेना में थे और अब राजस्थान में एक निजी कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं. हमेशा से नितेश के प्रेरणा स्रोत रहे हैं. नितेश का सपना था कि वह भी अपने पिता की तरह वर्दी पहने, लेकिन हादसे के बाद उन्होंने खेल को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया. उनके कोच और परिवार ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया.
एक नजर मेडल पर: पेरिस पैरालिंपिक में भारत अब तक कुल 9 मेडल जीत चुका है. मौजूदा खेलों में नितेश कुमार बैडमिंटन में मेडल जीतने वाले पहले एथलीट बने हैं. शूटिंग में अब तक 4 मेडल आ चुके हैं. अवनी लेखरा ने गोल्ड, वहीं मनीष नरवाल ने सिल्वर, मोना अग्रवाल और रूबीना फ्रांसिस ने ब्रॉन्ज मेडल पर निशाना साधा है. एथलेटिक्स में भी देश को 4 मेडल मिल चुके हैं. निषाद कुमार ने हाई जम्प में सिल्वर, योगेश कथुनिया ने डिसकस थ्रो में सिल्वर, वहीं प्रीति पाल ने महिलाओं की 100 मीटर और 200 मीटर रेस में ब्रॉन्ज मेडल जीता है. हालांकि अभी दो और मेडल की उम्मीद जताई जा रही है.
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