कोलकाता : कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शनिवार को इस बात पर जोर दिया कि अयोध्या में राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दौरान विपक्षी नेताओं की मौजूदगी उन नेताओं को उस भूमिका में ला देती जिसमें वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहायक की भूमिका में नजर आते. थरूर ने संबंधित समारोह को भी मोदी का बताया है. उन्होंने 22 जनवरी के कार्यक्रम में शामिल न होने के कांग्रेस नेतृत्व के फैसले का समर्थन करते हुए आम चुनाव खत्म होने के बाद वहां जाने की इच्छा व्यक्त की और कहा कि तब तक मंदिर की ओर से राजनीतिक ध्यान हट जाएगा.
तिरुवनंतपुरम के सांसद ने कहा, 'कांग्रेस की स्थिति बहुत स्पष्ट है. कांग्रेस पार्टी के सदस्य अपने धर्म और आस्था के पालन के लिए स्वतंत्र हैं और पार्टी सभी के धर्म का सम्मान करती है. इसलिए मैं मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए जाता हूं, न कि राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए.' उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'यह विशेष कार्यक्रम (प्राण प्रतिष्ठा समारोह) अनिवार्य रूप से आमंत्रित विपक्षी नेताओं को प्रधानमंत्री अभिनीत तमाशे के लिए एक तरह की सहायक भूमिका में धकेलने वाला था. मैंने नहीं सोचता कि कांग्रेस को ऐसी सहायक भूमिका निभाने की जरूरत है.'
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को सम्मानपूर्वक अस्वीकार कर दिया था. थरूर ने इस बात पर भी जोर दिया कि लोगों को यह समझना चाहिए कि भगवान राम या किसी भी हिंदू देवी-देवता पर भाजपा का एकाधिकार नहीं है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि बड़ी संख्या में कांग्रेस के लोग राजनीति से इतर (अयोध्या) मंदिर जाएंगे. ैं स्वयं (अयोध्या) जाकर मंदिर देखना पसंद करूंगा, लेकिन मैं ऐसा केवल (आम) चुनाव के बाद ही करूंगा, जब सारा राजनीतिक ध्यान खत्म हो जाएगा। हम भाजपा की राजनीतिक कवायद का हिस्सा नहीं बनना चाहते.'
थरूर ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और कांग्रेस के बीच चल रहे सीट-बंटवारे के विवाद पर किसी सवाल का जवाब देने को लेकर अनिच्छा जताई और कहा कि इस मामले पर पार्टी नेतृत्व विचार कर रहा है. उन्होंने कहा, 'इस पूरे गठबंधन या सीट-बंटवारे पर राज्य-दर-राज्य आधार पर चर्चा की जा रही है. किसी के पास भी एकतरफा समाधान नहीं है.' थरूर ने इस सवाल को भी टाल दिया कि क्या कांग्रेस, टीएमसी के समर्थन से पश्चिम बंगाल में जीवित रहना चाहती है.