नई दिल्ली: दिल्ली की सात सीटों पर आगामी 25 मई को चुनाव होने जा रहे हैं. इसके लिए कांग्रेस-आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशियों के ऐलान पहले ही कर दिए थे लेकिन अब बहुजन समाज पार्टी ने भी दिल्ली की सभी सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. बीएसपी की ओर से सभी सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है.
दो सीटों पर अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं को मैदान में उतारा गया है. दरअसल नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 6 मई है. बसपा ने दिल्ली में अकेले ही चुनाव लड़ने का फैसला करते हुए सभी सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं. बसपा सुप्रीमो मायावती के दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने से कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगने की प्रबल संभावना जताई जा रही है. बसपा खास तौर पर अल्पसंख्यक और दलित वोटों में एक अच्छी पैठ रखती है. इसका बड़ा नुकसान इन तीनों ही पार्टियों को बसपा के अकेले चुनाव लड़ने से हो सकता है.
दिल्ली में अल्पसंख्यक समुदाय के वोटों की बात की जाए तो यह कुल 23% के करीब हैं. खास तौर से उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट की बात करें तो यहां करीब 23 फीसदी मुस्लिम वोटर है जबकि पूर्वी दिल्ली सीट पर 16 फीसदी वोटर हैं. चांदनी चौक पर 14 पर्सेंट, नॉर्थ वेस्ट सीट पर 10 फीसदी, दक्षिणी दिल्ली पर 7 फीसदी वोटर हैं.
वेस्ट दिल्ली पर 6 फीसदी और नई दिल्ली में 5 फीसदी माना जाता है. इस वर्ग के वोट बैंक में विशेष तौर पर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और बसपा तीनों की ही बड़ी पैठ मानी जाती है.
बीएसपी ने अल्पसंख्यक वोटो को साधने के लिए चांदनी चौक सीट से एडवोकेट अब्दुल कलाम और साउथ दिल्ली संसदीय क्षेत्र से अब्दुल बासित को चुनावी दंगल में उतारा है. इतना ही नहीं पिछड़े वर्ग को साधने के लिए भी बीएसपी ने पूर्वी दिल्ली सीट से एडवोकेट राजन पाल को टिकट दिया है.