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'पराली जलाने से रोकने के निर्देश को लागू करने के लिए...', CAQM पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी - Stubble Burning - STUBBLE BURNING

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने की घटनाओं पर लगाम लगाने में विफल रहने के लिए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट की कड़ी आलोचना की है.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 3, 2024, 3:50 PM IST

Updated : Oct 3, 2024, 9:31 PM IST

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पराली जलाने की घटनाओं पर लगाम लगाने में विफल रहने के लिए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि स्पष्ट रूप से आयोग ने अपने स्वयं के आदेशों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए कोई कदम नहीं उठाया है.

27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाने के लिए आयोग के खिलाफ कुछ कठोर टिप्पणियां कीं और कहा कि आयोग ने उस तरह से प्रदर्शन नहीं किया है जैसा उससे अपेक्षित थाऔर प्रदूषण की तरह, आयोग के नियम भी हवा में हैं.

हर सर्दियों में पड़ोसी राज्यों हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने से एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण होता है. दिल्ली की खराब वायु गुणवत्ता के लिए पराली जलाना प्रमुख कारणों में से एक है.

'निगरानी के लिए कोई कदम नहीं उठाया'
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, "स्पष्ट रूप से आयोग ने अपने स्वयं के आदेशों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. इसलिए हम पंजाब और हरियाणा की राज्य सरकारों को निर्देश देते हैं कि वे CAQM द्वारा जारी निर्देशों के कार्यान्वयन का खुलासा करते हुए हलफनामा दाखिल करें..."

29 अगस्त को की थी बैठक
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारों को एक सप्ताह में हलफनामा दाखिल करना चाहिए.अदालत ने कहा कि सीएक्यूएम ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों में पराली जलाने की घटनाओं के खिलाफ एक भी मुकदमा नहीं चलाया है और बताया कि आयोग ने इस मुद्दे पर 29 अगस्त को ही बैठक की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैठक में 11 में से केवल पांच सदस्य उपस्थित थे, जहां उसके निर्देशों के क्रियान्वयन पर चर्चा तक नहीं हुई. अगर हम पाते हैं कि वायु प्रदूषण के क्षेत्र के दो विशेषज्ञ आयोग का हिस्सा नहीं हैं, तो हम संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने असाधारण अधिकार क्षेत्र का प्रयोग कर सकते हैं, ताकि क्षेत्र के कुछ विशेषज्ञों को अतिरिक्त सदस्य के रूप में नियुक्त किया जा सके..."

पंजाब और हरियाणा सरकारों की खिंचाई करते हुए अदालत ने कहा कि दोनों राज्यों ने पराली जलाने वाले किसानों से नाममात्र का मुआवजा लिया है. दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सीएक्यूएम को आज से एक सप्ताह के भीतर मामले पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई 16 अक्टूबर को निर्धारित की.

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Last Updated : Oct 3, 2024, 9:31 PM IST

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