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जानें क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय मत्स्यपालक दिवस, भारत में क्या उत्पादन - National Fish Farmers Day

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 10, 2024, 5:30 AM IST

National Fish Farmers Day: मछली उत्पादन के मामले में चीन के बाद भारत तीसरे स्थान पर है, जबकि कृषि के मामले में वह पहले स्थान पर है. मत्यस्य पालन व जलीय कृषि के मामले में भारत की लगातार प्रगति के पीछे इसी नीली क्रांति का महत्वपूर्ण योगदान है. इस सेक्टर में लगातार सकारात्मक बदलाव जारी है. आने वाले समय में यह रोजगार, कारोबार, इससे जुड़े उत्पाद के मामले में अन्य महत्वपूर्ण भूमिका होने होने की संभावना है. पढ़ें पूरी खबर...

National Fish Farmer's Day
राष्ट्रीय मत्स्यपालक दिवस (Getty Images)

हैदराबादःमछली पालन व जलीय कृषि, स्वास्थ्य और समाज कल्याण को बढ़ावा देने के साथ-साथ गरीबी उन्मूलन व खाद्य सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण सेक्टर है. मछली पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा कारोबार करने वाली खाद्य वस्तुओं में से एक माना जाता है. यह ग्लोबल आबादी के पशु आधारित प्रोटीन सेवन का करीबन 17 फीसदी के करीब योगदान है. 15-20 किलोग्राम सालाना प्रति व्यक्ति डिमांड तक पहुंचने लिए 2050 तक लगभग 125-210 मिलियन टन के करीब मछली की जरूरत अनुमानित है.

राष्ट्रीय मत्स्यपालक दिवस (Getty Images)

हाल के दशक में भारत अंतर्देशीय मत्स्य पालन में काफी तेजी से उभर रहा है. देश अंतर्देशीय मत्स्य पालन में मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है, पहले यह भारतीय प्रभुत्व वाले समुद्र क्षेत्रों तक सीमित था.अंतर्देशीय मत्स्य पालन के मामले में करीबन दोगुना बढ़ोतरी हुई है. 1980 में यह 36 फीसदी के करीब था, जो अब 70 फीसदी प्लस हो गया है. अंतर्देशीय मत्स्य पालन व जलीय कृषि काफी विकसित हो चुका है. 191,024 किलोमीटर लम्बी नदियों और नहरों, 1.2 मिलियन हेक्टेयर के करीब बाढ़ प्रभावित क्षेत्र की झीलों, 2.36 मिलियन हेक्टेयर तालाबों व टैंकों, 3.54 मिलियन हेक्टेयर के करीब जलाशयों और 1.24 मिलियन हेक्टेयर के करीब खारे पानी के संसाधनों से यह संभव हो पाया है.

राष्ट्रीय मत्स्यपालक दिवस (Getty Images)

क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय मत्स्यपालक दिवस (एनएफएफडी)
पौराणिक समय से मछली व अन्य जल उत्पादों की खेती होती रही है. लेकिन देश में मांग के अनुपात में पैदावार काफी कम था. इसके लिए आजादी के बाद से सरकार की ओर से प्रयास प्रारंभ किया गया. मत्स्य पालन क्षेत्र में काम कर रहे प्रोफेसर डॉ. हीरालाल चौधरी व उनके सहयोगी डॉ. के.एच. अलीकुन्ही को इसकी जिम्मेदारी सरकार ने दिया. 10 जुलाई 1957 को हाइपोफिसेशन तकनीक से देश में मत्स्य उत्पादन का निर्णय लिया गया. इस तकनीक से मत्स्य प्रजनन के क्षेत्र में बड़ी क्रांति आई. यह क्रांति नीली क्रांति के नाम से जाना जाता है. नीला क्रांति के जनक प्रोफेसर डॉ. हीरालाल चौधरी व उनके सहयोगी डॉ. के.एच. अलीकुन्ही हैं. यह दिवस मछली उत्पादक किसान, इससे जुड़े एक्वाप्रेन्योर्स, व्यवसायी, वैज्ञानिक व अधिकारियों के योगदान को सम्मान करने के यह दिवस मनाया जाता है.

राष्ट्रीय मत्स्यपालक दिवस (Getty Images)

मत्स्य पालनः 2022-23 में शीर्ष 5 राज्य

  1. आंध्र प्रदेश 40.9 फीसदी
  2. पश्चिम बंगाल14.4 फीसदी
  3. ओडिसा 4.9 फीसदी
  4. बिहार 4.5 फीसदी
  5. असम 5.5 फीसदी

मछली उत्पादन में आंध्र प्रदेश नंबर वन
आंध्र प्रदेश 2015-16 से 2022-23 की अवधि के दौरान मछली पकड़ने और जलीय कृषि का सबसे बड़ा उत्पादक है. अखिल भारतीय उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 2011-12 में 17.7 फीसदी से बढ़कर 2022-23 में लगभग 40.9 फीसदी हो गई. इस लक्ष्य को पाने में केंद्र राज्य की भूमिका काफी सराहनीय है.

2024-25 तक मछली उत्पादन 22 एमएमटी करने का लक्ष्य: प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के माध्यम से 2024-25 तक मछली उत्पादन को 22 एमएमटी तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. नया लक्ष्य हासिल करने के बाद इस क्षेत्र के जरिए 50 लाख से ज्यादा लोगों के लिए रोजगार के अतिरिक्त अवसर पैदा होंगे. इस क्षेत्र की संभावनाओं को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई 2020 में पांच साल के लिए 20,050 करोड़ रुपये से ज्यादा के बजट के साथ इस योजना की शुरुआत की थी.

मछली खाने के फायदेःराष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड की ओर से जारी मछली और मत्स्य पालन नामक रिपोर्ट के अनुसार

  1. मछली को 'ब्रेन फूड' भी कहा जाता है क्योंकि यह मस्तिष्क के विकास और कार्य में मदद करती है.
  2. इसे 'हार्ट फूड' भी कहा जाता है क्योंकि यह दिल के दौरे व स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में योगदान देती है.
  3. मछली का सेवन ऑटोइम्यून रोगों के खतरे को कम करता है. इसमें टाइप-1 डायबिटीज भी शामिल है.
  4. अवसाद को रोकता है और उसका इलाज करता है. उम्र से संबंधित मस्तिष्क की गिरावट से बचाता है.
  5. मांसपेशियों के क्षय के जोखिम को कम करके बुढ़ापे में दृष्टि की रक्षा करता है.
  6. नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है. कैंसर, रक्तचाप, अल्जाइमर रोग आदि के जोखिम को कम करता है.
  7. बच्चों में अस्थमा को रोकने में मदद करता है.
  8. मछली नरम होती है, पकाने में आसान होती है और मांस की तुलना में अधिक आसानी से पच जाती है. इसलिए छोटे बच्चों को भी मछली खिलाई जा सकती है, जिससे पोषक तत्वों का सेवन बेहतर होता है.

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