लखनऊ:Mukhtar Ansari Death:मुख्तार अंसारी की मौत के बाद पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने आपबीती बताई. कहा, आज से 25 साल पहले मुख्तार अंसारी का भय का साम्राज्य चरम पर था. सरकार द्वारा समर्थन अगर ऐसे माफिया को हो जाए तो समझ सकते हैं कि कितनी खतरनाक स्थिति हो सकती है.
मऊ के दंगों में जब कर्फ्यू लगा हुआ था तो मुख्तार खुली कार में घूमा करता था और किसी भी अफसर की हिम्मत नहीं थी कि उसे कोई रोक ले. इसी दौरान मैंने उसके कब्जे से लाइट मशीन गन (LMG) बरामद की थी, पोटा लगवाया और तय कर लिया कि उसे जेल भेजूंगा.
लेकिन, तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार ने मुख्तार अंसारी के इशारे पर हम लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया. सरकार चाहती थी कि हम मुख्तार के ऊपर से मुकदमा हटा दें. जब हम नहीं माने तो पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर शुरू कर दिए गए. मेरे खिलाफ ही मुकदमा लिखवा दिया गया, जिससे आहत होकर मैंने पुलिस सेवा से रिजाइन कर दिया था.
80 के दशक में मुख्तार अंसारी के अपराध की दुनिया में कदम रखने से लेकर अगले कई दशक तक उसे रोकने वाला कोई भी सामने नहीं आया. न सरकार और ना ही पुलिस अफसर मुख्तार और उसके अपराधों के बीच आना चाहती थी. उस वक्त मुख्तार अंसारी पर हाथ डालने की हिम्मत डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने दिखाई थी, जो 2004 में शैलेंद्र सिंह एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के प्रभारी डिप्टी एसपी थे.