लखनऊः बीजेपी ने कैसरगंज सीट से अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. ऐसे में मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के चेहरे पर अब इसका तनाव नजर आने लगा है. गुरुवार को बृजभूषण शरण सिंह यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई के लिए दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट पहुंचे थे.
कोर्ट से बाहर निकलते ही उनको मीडिया ने घेर लिया और सवालों की झड़ी लगा दी. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कैसरगंज से टिकट के सवाल पर उन्होंने रामायण की एक चौपाई कही. बोले-हुइहै वहीं जो राम रचि राखा... उनकी यह चौपाई सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है.
यूजर इसे टिकट से जोड़ते नजर आ रहे हैं. बता दें कि बीते दिनों बृजभूषण शरण सिंह का अचार संहिता उल्लंघन को लेकर भी मामला सामने आया था. आरोप लगे थे कि बिना टिकट के ही वह समर्थकों के काफिले के साथ सभाओं में जा रहे हैं.
कैसरगंज और रायबरेली सीट का टिकट फाइनल होना बाकी:बीजेपी ने अभी तक कैसरगंज और रायबरेली सीट से टिकट फाइनल नहीं किया है. इसे लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. खासकर बृजभूषण शरण सिंह को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही है. वहीं, बृजभूषण शरण सिंह इससे इतर अपने समर्थकों के साथ बिना टिकट फाइनल हुए ही जनता के बीच जा रहे हैं.
बृजभूषण के परिवार से किसी को मिल सकता है टिकट:अभी तक बृजभूषण शरण सिंह का टिकट जारी नहीं होने से चर्चाओं का बाजार भी गर्म है. सबसे ज्यादा इस बात की चर्चा हो रही है कि बृजभूषण का टिकट भाजपा काट सकती है. उनकी जगह पर उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट मिल सकता है. इसमें बृजभूषण की पत्नी या बेटा हो सकते हैं. चर्चा इस बात की भी है कि परिवार के अलावा भी किसी को टिकट मिल सकता है.
किस मामले में फंसे हैं बृजभूषण: पहलवान विनेश फोगाट और दो अन्य पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. उनके खिलाफ दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन भी किया. दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ मामला दर्ज किया था लेकिन जुलाई में स्थानीय कोर्ट से जमानत मिल गई.
आज इस मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई थी. इस दौरान बृजभूषण ने यौन उत्पीड़न मामले में आगे की जांच की मांग करते हुए एक आवेदन कोर्ट में दायर किया. अदालत ने बृजभूषण शरण सिंह की अर्जी पर 26 अप्रैल के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया है.
ये भी पढ़ेंः चुनावी रण से यूपी के राजघराने गायब, जानिए क्यों राजनीतिक दलों ने मुंह फेरा?
ये भी पढ़ेंः 2009 में 21 सीटें जीतने वाली बसपा कैसे शून्य पर आई, चुनाव दर चुनाव बदलता रहा जीत का आंकड़ा