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संभल बुलडोजर कार्रवाई: सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना याचिका पर सुनवाई से किया इनकार - BULLDOZER ACTION IN SAMBHAL

याचिकाकर्ता का कहना है कि उन्हें बुलडोजर कार्रवाई से पहले न तो कोई नोटिस दिया गया और न ही अपना पक्ष रखने का मौका मिला.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 7, 2025, 4:14 PM IST

संभल (उत्तर प्रदेश):संभल में बुलडोजर कार्रवाई को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने याचिकाकर्ता मोहम्मद गयूर को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है. कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर अधिकारियों ने कुछ गलत किया है तो उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए, लेकिन इस मामले में सुनवाई के लिए हाईकोर्ट उचित मंच है.

मोहम्मद गयूर ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि संभल में उनकी फैक्ट्री को बुलडोजर से गिरा दिया गया, जो कि सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल नवंबर में दिए गए निर्देशों का उल्लंघन है. याचिकाकर्ता का कहना है कि उन्हें बुलडोजर कार्रवाई से पहले न तो कोई नोटिस दिया गया और न ही अपना पक्ष रखने का मौका मिला. उन्होंने संभल के डीएम राजेंद्र पेंसिया, एसडीएम, CDO और तहसीलदार को पक्षकार बनाते हुए उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की थी.

याचिका में की गई थी ये मांग
याचिकाकर्ता का आरोप है कि अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की अवहेलना की है जिसमें बुलडोजर कार्रवाई से पहले उचित प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश दिया गया था. विशेष रूप से, याचिकाकर्ता का दावा है कि उसे ध्वस्तीकरण से पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया और न ही अपनी बात रखने का अवसर दिया गया.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया था, जिसमें अखिल भारतीय स्तर पर दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए थे. इन निर्देशों के अनुसार, किसी भी संपत्ति को बिना कारण बताओ नोटिस के ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए, और प्रभावितों को जवाब देने के लिए कम से कम 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए.

ध्वस्तीकरण का आरोप
याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के संभल में अधिकारियों ने याचिकाकर्ता या उसके परिवार के सदस्यों को कोई पूर्व सूचना और अवसर दिए बिना 10-11 जनवरी को उनकी संपत्ति के एक हिस्से पर बुलडोजर चला दिया. याचिकाकर्ता का दावा है कि उसके और परिवार के सदस्यों के पास संपत्ति से जुड़े सभी आवश्यक दस्तावेज, स्वीकृत नक्शे और अन्य संबंधित दस्तावेज मौजूद थे.

सुप्रीम कोर्ट का रुख
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील करने की सलाह दी. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई करने और उचित आदेश पारित करने के लिए बेहतर स्थिति में है. जस्टिस गवई ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर अधिकारियों ने कुछ भी गलत किया है, तो उन्हें कानूनी रूप से जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.

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