नई दिल्ली:दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति और जनजाति के विद्यार्थियों को मिलने वाली राशि के दुरुपयोग पर निगमायुक्त अश्विनी कुमार ने बड़ी कार्रवाई की. निगमायुक्त ने छात्रवृत्ति की राशि के दुरुपयोग पर दो अधिकारी एवं एक कर्मचारी को बर्खास्त किया. साथ ही निगम ने 2 अधिकारी एवं 1 कर्मचारी की सेवा तुरंत प्रभाव से समाप्त की.
निगम अधिकारियों ने बताया कि भ्रष्टाचार का यह पूरा मामला वर्ष 2012-13 निगम के मध्य जोन का है. यह भ्रष्टाचार अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंध रखने वाले छात्रों की छात्रवृति वितरण में अनियमितता से जुड़ा है.
अधिकारियों ने ऐसे किया भ्रष्टाचार:छात्रों की छात्रवृति की राशि को विद्यालय निरीक्षक प्रमोद कुमार, प्रधानाचार्य मंसब जोशी एवं विजय बहादुर त्रिपाठी ने गलत तरीके से निगम विद्यालय कृष्णा मार्केट लाजपत नगर और निगम विद्यालय मोदी मिल के नाम से खाता खुलवाकर छात्रवृति राशि उन खातों में डाला. इस मामले की जांच चल रही थी. अब जांच में निगम को आर्थिक हानि पहुंचाने का आरोप सही पाया गया है.
दिल्ली नगर निगम ने जांच में पाया कि छात्रवृति की राशि के सही इस्तेमाल की जिम्मेदारी तत्कालीन डीडीओ सहायक शिक्षा निदेशक एवं वर्तमान में उप शिक्षा निदेशक मंजू खत्री एवं डीडीओ सहायक शिक्षा निदेशक एवं वर्तमान में उप शिक्षा निदेशक कंवलजीत सिंह की थी. निगम ने अपनी जांच में पाया कि उक्त अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी का ठीक ढंग से निर्वहन नहीं किया, जिसके चलते निगम को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा.
इन पर भी गिरी गाज:इसी प्रकार, कैश बुक एवं चेक का रिकॉर्ड रखने की जिम्मेदारी विद्यालय सहायक राधे श्याम की थी, उन्होंने भी अपने कार्य में कोताही बरती. निगम ने उक्त कर्मचारियों की सेवा तुरंत प्रभाव से समाप्त करने का निर्णय लिया है. विद्यालय निरीक्षक राजेश भगत को अवैध तरीके से मध्य क्षेत्र के छात्रों के वर्दी के बचे हुए फंड को अपने पास रखने का दोषी पाया गया, जिसके लिए उन्हें अपने वेतन स्तर से तीन स्तर नीचे लेवल 6 के अनुसार मानदेय दिया जाएगा.
निगम के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली नगर निगम भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाकर कड़ी कार्रवाई जारी रखेगा. निगम की इस प्रकार की कार्रवाई अन्य कर्मचारियों के लिए भी चेतावनी का कार्य करेगी.
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