मंगलुरु: कर्नाटक में 15 साल बाद एक बेसहारा मां अपने बच्चों से मिली. यह खबर मंगलुरु की है, जहां व्हाइट डव्स नाम के एक एनजीओ ने साल 2009 में फरजाना नाम की महिला को बेसहारा सड़क लाकर अपने यहां रहने की जगह दी थी.
आज जब 15 साल बाद जब परिवार का मिलन हुआ तो पूरा माहौल ही बदल गया. मां को सामने देख बेटा आसिफ ने उन्हें अपने गले से लगा लिया. हालांकि, इतने सालों बाद अपने बच्चों को देख फरजाना को यकीन नहीं हो रहा था कि, ये उनके अपने ही बच्चे हैं. वहीं, उनकी बेटी अपनी मां को पहली बार देख रही थी. बिछड़े हुए परिवार को मिलाने में मंगलुरु के एनजीओ संस्था व्हाइट डव्स साइकियाट्रिक नर्सिंग एंड डेस्टिट्यूट होम का बड़ा योगदान रहा.
बता दें कि, जब फरजाना अपने परिवार से बिछड़ गई थीं, उस समय उनकी मानसिक स्थिति सही नहीं थी. वह मंगलुरु के होइगे बाजार में बेसहारा इधर-उधर भटक रही थी. काफी समय बाद एनजीओ व्हाइट डव्स की नजर फरजाना पर पड़ी, जो बेसहारा सड़क की खाक छान रही थी.
खबर के मुताबिक, एनजीओ व्हाइट डव्स साइकियाट्रिक नर्सिंग एंड डेस्टिट्यूट होम की संस्थापक कोरिन रस्किन्हा को इसकी जानकारी मिली और उन्होंने महिला का इलाज किया और उसे आश्रय दिया. इस दौरान जब महिला से उसके गांव और उसके परिवार के बारे में पूछा गया तो उसने सही जानकारी नहीं दी. वह कहती थी कि मद्दुर की मीट शॉप के पास उसका घर है. लेकिन, कर्नाटक के कई इलाकों में मद्दुर के नाम से कस्बे हैं. इसलिए मद्दुर के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई. साथ ही, व्हाइट डव्स संस्था ने अपने कर्मचारियों को कई जगहों पर खोजबीन के लिए भेजा, लेकिन परिवार के सदस्य नहीं मिले.