मोहला मानपुर में एक शख्स दुर्लभ बीमारी से पीड़ित, शरीर पेड़ की छाल में हो रहा तब्दील - epidermodysplasia verruciformis
मोहला मानपुर में एक शख्स का शरीर पेड़ की छाल में तब्दील होता जा रहा है. शख्स ने इसका इलाज कराने का प्रयास किया हालांकि उसकी हालत में कोई सुधार नहीं आया. अब वो प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहा है.
मोहला मानपुर अम्बागढ़ चौकी:जिले में एक शख्स को दुर्लभ चर्म रोग हो गया है. उसके शरीर का स्किन पेड़ की छाल में तब्दील हो रहा है. इस रोग के कारण शख्स न तो उठ पा रहा है, ना ही बैठ पा रहा है. ना ही कोई काम कर पा रहा है. फिलहाल शख्स चिकित्सकों की निगरानी में है. साथ ही प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहा है.
दुर्लभ बीमारी की चपेट में दिरबिन: दरअसल, ये पूरा मामला मोहला मानपुर अम्बागढ़ चौकी जिले के मानपुर ब्लॉक के मिचगांव का है. यहां रहने वाले 35 साल के दिरबिन पोटावी को एक अजीबोगरीब बीमारी ने घेर लिया है.आलम यह है कि इस शख्स को जो भी देखता है, वो डर जाता है. दिरबिन को दुर्लभ चर्म रोग हो गया है, जिसके कारण उसका पूरा शरीर पेड़ की छाल में तब्दील हो गया है.उसकी हालत ऐसी है कि उसकी त्वचा धीरे-धीरे सख्त होती जा रही है. उसके पूरे शरीर पर एक मोटी और सख्त परत से बैठती जा रही है.
इलाज के बावजूद नहीं मिला कोई लाभ: दिरबिन सालों से इस गंभीर बीमारी से जूझ रहा है. इस बीमारी का इलाज कराने के लिए दिरबिन अस्पताल भी गया था,लेकिन इस बीमारी का इलाज नहीं हो पाया. इसके बाद उसने जंगली जड़ी बूटी से भी इलाज करवाया, लेकिन इसका भी असर नहीं हुआ. इसके पहले भी इस तरह का मामला मोहला ब्लॉक के कट्टापार में आया था, जहां एक व्यक्ति के शरीर के कुछ हिस्सों को छोड़ कर बाकी का शरीर पेड़ की छाल की तरह दिखता था. उस व्यक्ति के परिवार की तीन पीढ़ियां इस बीमारी की चपेट में आकर असमय ही काल के गाल में समा चुकी है.
दिरबिन ने प्रशासन से लगाई मदद की गुहार: वैसे तो इस बीमारी को बोलचाल की भाषा मे ट्री वाल्क या ट्री मैन सिंड्रोम कहा जाता है. हालांकि साइंस में इसे एपीडर्मोडीस्प्लासिया वेरूसीफॉर्मिस कहा जाता है.इस बीमारी का दंश 35 साल से झेल रहे दिरबिन पोटावी ने अपने इस पीड़ादायक बीमारी से निजात पाने के लिए शासन प्रशासन से भी गुहार लगाई है.
क्या होता है इस बीमारी में:इस बीमारी में त्वचा छाल की तरह दिखाई देती है. इसके साथ ही पीड़ित को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पीड़ित को स्वास्थ्य विभाग की टीम की निगरानी में रहना पड़ता है.वैसे तो इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. हालांकि कई पेसेंट को चिकित्सक इस बीमारी में सर्जरी की सलाह देते हैं. ये बीमारी तीन पीढ़ी को अपनी चपेट में लेता है.