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पश्चिम बंगाल में गवर्नर बोस के इस आदेश पर मच गया बवाल! राज्यपाल और ममता सरकार के बीच तनातनी - Governor Orders Judicial Enquiry

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु को मंत्री पद से हटाने की सिफारिश करने के बाद अब सरकारी सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं. टीएमसी ने इसे असंवैधानिक-अलोकतांत्रिक और निरंकुश करार दिया है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 5, 2024, 8:48 PM IST

Updated : Apr 5, 2024, 11:04 PM IST

कोलकाता:पश्चिम बंगाल (West Bengal) में ममता सरकार और गवर्नर सीवी आनंद बोस (CV Ananda Bose) के बीच टकराव में नया मोड़ आ गया है. राज्यपाल ने शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु को मंत्री पद से हटाने की सिफारिश करने के बाद अब सरकारी सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं. इस विषय पर मीडिया को जानकारी देते हुए पश्चिम बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद ने कहा कि, उन्होंने राज्यपाल और कुलाधिपति के तौर विश्वविद्यालयों की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. उन्हें विश्वविद्यालय प्रणाली में भ्रष्टाचार की कई सारी शिकायतें मिलीं और पूरी सच्चाई का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका न्यायिक जांच का आदेश देना है. उन्होंने कहा, "मैंने कानूनी राय ली और अन्य राज्यों में प्राथिमिकता, उनके शासन की तुलना की, और फिर इस जांच का आदेश दिया. वहीं राज्यभवन सूत्रों के मुताबिक इस मामले में एक सेवानिवृत न्यायाधिश को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है. ' दिलचस्प बात यह है कि कुलाधिपति और राज्यपाल ने भ्रष्टाचार, हिंसा और पश्चिम बंगाल में चुनावी और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए विश्वविद्यालय परिसरों के दुरुपयोग की न्यायिक जांच का आदेश दिया है.

गवर्नर के आदेश पर सियासी घमासान
बोस ने इससे कहा था कि शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने हाल में गौर बंग विश्वविद्यालय में राजनेताओं के साथ बैठक करके चुनाव आदर्श आचार संहिता का जानबूझकर उल्लंघन किया है. राज्यपाल ने राज्य सरकार से कहा कि वह आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए शिक्षा मंत्री बसु को कैबिनेट से हटाए. अब पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव से पहले विश्वविद्यालय जांच का मामला और भी अधिक गर्म हो गया है.

टीएमसी ने लगाया बड़ा आरोप!
राज्यपाल का फैसला सामने आने के बाद तृणमूल के प्रवक्ता अरूप चक्रवर्ती ने इस पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, 'कोलकाता में बहुत गर्मी है... राज्यपाल शिक्षण संस्थानों में जो कर रहे हैं वह असंवैधानिक-अलोकतांत्रिक और निरंकुश है. वह खुद को जमींदार समझते हैं. वह खुद को एक प्रतीक समझते हैं." भारत में राजतंत्र नहीं चलता, बल्कि लोकतंत्र चलता है... लोकतांत्रिक व्यवस्था में राज्यपाल का पद संवैधानिक ही होता है'.

क्या बोले टीएमसी के अरूप चक्रवर्ती?
उन्होंने आगे आरोप लगाते हुए कहा कि, गवर्नर के कदम किसी भी तरह से कानूनी नहीं है. वह जितना अधिक ऐसे निर्णय लेंगे, उतना ही अधिक वह लोगों के सामने उजागर होंगे. न्यायिक जांच समिति को जिन मुद्दों पर गौर करने को कहा गया है, वे बहुत महत्वपूर्ण हैं. हालांकि इसमें भ्रष्टाचार का मुद्दा शामिल है, इसलिए विश्वविद्यालय परिसर के भीतर हिंसा और आतंकवाद का मुद्दा भी है. इसके अलावा विश्वविद्यालय परिसर को राजनीति और मतदान समेत विभिन्न गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करने का मुद्दा भी इसमें रखा गया है.

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Last Updated : Apr 5, 2024, 11:04 PM IST

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