रांची: झारखंड में इस साल के अंत में होनेवाले विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से सरगर्मी तेज है. एक तरफ चुनाव आयोग प्रशासनिक तैयारी कर रहा है, वहीं दूसरी ओर सत्तारूढ़ दल चुनावी समर को जीतने के लिए मास्टर प्लान बनाने में जुटा है. हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद सरकार की बागडोर संभालने वाले चंपाई सोरेन के लिए आगामी विधानसभा चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगी. शायद यही वजह है कि आनेवाले समय में सरकार के फैसले में भी इसकी झलक दिखाई देगी.
राजनीतिक जानकार अमरनाथ झा की मानें तो चुनावी वर्ष में हर सरकार कुछ न कुछ लोकलुभावन फैसले लेती है. लोकसभा चुनाव से पहले भी केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा कई फैसले लिए गए थे. हालांकि इसका लाभ चुनाव में कितना मिलेगा, वह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. क्योंकि चुनाव में विकास के मुद्दे गौण हो जाते हैं और स्थानीय मुद्दे हावी हो जाते हैं.
चंपाई सरकार का मास्टर स्ट्रोक जिसके बल पर लड़ा जाएगा विधानसभा चुनाव
- सरना धर्मकोड को लेकर सरकार का फैसला
- ओबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ाने पर लिया गया निर्णय
- राज्य सरकार के कर्मियों को ओल्ड पेंशन स्कीम और मेडिकल कार्ड सुविधा
- 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति पर सरकार की पहल
- रांची सहित प्रमुख शहरों में फ्लाईओवर का निर्माण
- युवाओं को पांच वर्ष में दी गई सरकारी नौकरी
- विदेश में झारखंड के युवाओं को पढ़ाने की योजना
- किसानों के कृषि ऋण माफी की सीमा 50 हजार के बदले दो लाख करने का फैसला
- 200 यूनिट मुफ्त बिजली की सौगात
- 25 से 50 वर्ष की महिलाओं के लिए आर्थिक सहायता
2019 के विधानसभा चुनाव में इन वादों के साथ उतरी थी यूपीए
- 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति
- पांच लाख युवाओं को हर साल सरकारी नौकरी
- बेरोजगार युवाओं को हर महीन बेरोजगारी भत्ता के रूप में पांच हजार रुपये
- 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली
- किसानों की ऋण माफी और उनको आर्थिक सहायता
सितंबर तक चलेगा घोषणाओं का दौर
विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर चंपाई सरकार मिशन मोड में कार्य में जुटी है. इसके तहत सरकार ने सितंबर महीने तक सभी कार्य पूरा करने का लक्ष्य तय किया है. इसके तहत पूर्व में की गई घोषणा और निर्णय को जहां जमीन पर उतारने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं, वहीं आनेवाले समय में सरकार द्वारा लिए जानेवाले निर्णय को बिना देर किए जमीन पर उतारने की तैयारी की गई है.