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पीएम मोदी से लेकर तेजस्वी तक, ये 10 बड़े चेहरे जनता को कितना कर पाएंगे इंप्रेस! - Big faces of lok sabha election

Big faces of lok sabha election 2024:इस बार लोकसभा चुनाव कई मायनों में काफी दिलचस्प होने वाला है. जहां मोदी बतौर प्रधानमंत्री हैट्रिक की तैयारी कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ विपक्षी INDIA गठबंधन ने अभी तक पीएम कैंडिडेट की घोषणा भी नहीं की है. इस बार चुनाव में कई ऐसे राजनीतिक चेहरे हैं जिनके दम पर लोकसभा चुनाव लड़ा जाएगा.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 16, 2024, 5:08 PM IST

Updated : Apr 16, 2024, 10:23 PM IST

नई दिल्ली:लोकसभा चुनाव को लेकर देश की सभी पार्टियां जोर-शोर से तैयारियों में जुटी नजर आ रही है. अब आम चुनाव में मात्र कुछ ही दिन शेष बचे हैं. ऐसे में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि 2024 के इस 'रणभूमि' का महान योद्धा कौन हो सकता है. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी हो या फिर विपक्ष की INDIA गठबंधन, सबने अपने मंझे हुए कद्दावर नेताओं को चुनाव में विजयी दिलाने की जिम्मेवारी सौंपी है.

चुनावी मैदान में एक तरफ कई ऐसे प्रखर वक्ता और चेहरे दिखेंगे जो पब्लिक का ध्यान अपनी ओर खींचने में महारथ हासिल रखते हैं. वहीं कुछ ऐसे भी नेता हैं जो पर्दे के पीछे रहकर पार्टी की जीत सुनिश्चित करते नजर आ रहे हैं. लोकसभा चुनाव में इन प्रमुख नेताओं और रणनीतिकारों पर सबका ध्यान केंद्रित रहने वाला है. हो भी क्यों नहीं भाजपा नीत एनडीए गठबंधन ने इस बार 400 पार का नारा देकर विपक्षी दलों को भारी चुनौती जो दी है. वहीं बीजेपी अपनी गठबंधन पार्टियों के साथ चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं. किसी भी तरह विपक्ष के किले को भेदने के लिए दक्ष सेनापतियों को मैदान में उतारा जा चुका है. चुनाव के इस महासमर में कौन हैं वो बड़े नेता जो अपने दम पर चुनावी समीकरण को प्रभावित करने का दम रखते हैं. इस लिस्ट में सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम आता है. वहीं एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन औवैसी भी उन दस बड़े राजनीतिक हस्तियों में शामिल हैं जो किसी भी स्तर पर चुनावी समर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम नजर आते हैं.

पीएम मोदी (फोटो)

नरेंद्र मोदी
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जीत की गांरटी समझा जाता है. लोकसभा चुनाव 2024 में नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के लिए 370 सीटों का लक्ष्य रखा है. भारत की लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं. सरकार बनाने के लिे 272 सीटें आवश्यक होते हैं. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी पिछले दो चुनावों में स्पष्ट बहुमत हासिल करने में कामयाब रही हैं. साल 2014 में पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने 282 सीटें हासिल की थी. वहीं 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 303 सीटे मिलीं. बीजेपी ने पिछले दो चुनावों में स्पष्ट बहुमत हासिल करने में कामयाबी हासिल की. हालांकि, इस बार 370 का लक्ष्य मुश्किल नहीं तो आसान भी नजर नहीं आ रही है. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पिछले 10 वर्षों में जिस तरह से मोदी का लोगों के बीच क्रेज बढ़ा है उसे देखकर लगता है कि बीजेपी अपनी चुनावी गणित को हल करने में कामयाबी हासिल कर सकती है. हालांकि, इस बार के लोकसभा चुनाव में इसका कितना असर होता है यह तो आने वाला वक्त तय करेगा.

लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए पीएम मोदी न केवल भारत पर अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं बल्कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी करते हुए लगातार तीसरी जीत के साथ इतिहास में अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं. इस बार भी बीजेपी पीएम मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ रही है. पीएम मोदी की गारंटी और विकसित भारत के ईर्द-गिर्द चुनावी विमर्श को खड़ा करने की कोशिश जारी है. पीएम मोदी विश्व के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं. ऐसे में बीजेपी पूरे आत्मविश्वास के साथ चुनावी मैदान में अंगद की भांति पैर जमाए नजर आ रही है. पीएम मोदी ने कई मौकों पर अपने तीसरे कार्यकाल का जिक्र भी कर चुके हैं. उन्होंने एक बार कहा था कि, आज वे शिलान्यास करने आए हैं और आने वाले वर्षों में उसका उद्घाटन भी वही करेंगे. इसका मतलब साफ है कि पीएम मोदी इस आम चुनाव को लेकर पूरे आत्मविश्वास से भरे दिखाई दे रहे हैं. पीएम मोदी ने तो अगले कार्यकाल के लिए खाका पर काम भी शुरू कर दिया है. पीएम मोदी ने यह भी कहा है कि बीजेपी की अगली सरकार के अगले 100 दिनों के कामों का एजेंडा भी तय किया जा चुका है.

राहुल गांधी (फोटो)

राहुल गांधी
कांग्रेस नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक की 'भारत जोड़ो यात्रा', कर अपनी एक अलग छवि बनाने में कामयाबी हासिल की है. हालांकि, पिछले विधानसभा चुनावों में मिली शिकस्त ने उनकी इस लंबी यात्रा पर सवालियां निशान लगा दिया है. सवाल है कि क्या उनकी यात्रा असरदार थी? इसके बाद राहुल गांधी ने 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा के साथ, फिर से जनता के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए सड़कों पर निकल पड़े. हालांकि, इसका आम चुनाव पर कितना असर पड़ेगा, यह चार जून को पता लग ही जाएगा.

अमित शाह (फोटो)

अमित शाह
केंद्रीय मंत्री अमित शाह को भारतीय जनता पार्टी का चाणक्य कहा जाता है. चाहे आर्टिकल 370 को निरस्त करना हो या फिर संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), शाह ने गृह मंत्री के तौर पर कई विकट परिस्थितियों में मोदी सरकार को संभालने का काम किया है. अमित शाह 59 साल के हो चुके हैं और इस बार चुनावी मैदान में बीजेपी के सेनापति के अवतार में नजर आ रहे हैं. वे जब भी किसी रैली को संबोधित करने जाते हैं तो वहां लोगों की भारी भीड़ जमा हो जाती है. बीजेपी में पीएम मोदी के बाद कोई ऐसा बड़ा चेहरा है जिनको लोग सुनने के लिए उत्सुक दिखाई देते हैं. संसद में शाह का संबोधन मीडिया की सुर्खियां बनती हैं. ऐसे में देखना होगा कि अमित शाह 2024 लोकसभा चुनाव में अपनी बुलंद अवाज का जलवा और चाणक्य की भूमिका को बरकरार रख पाते हैं या नहीं.

ममता बनर्जी (फाइल फोटो)

ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी का राजनीति में काफी लंबा अनुभव रहा है. इस बार उन्होंने पश्चिम बंगाल में 'एकला चलो' की नीति अपनाया है. बता दें कि विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के साथ पश्चिम बंगाल में उनकी पार्टी और कांग्रेस के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. यहां सीट बंटवारे को लेकर ऊहापोह की स्थिति बरकरार है. पश्चिम बंगाल से कम्युनिस्ट शासन को उखाड़ कर सत्ता हासिल करने वाली ममता बनर्जी इस बार बीजेपी के साथ टकराव की स्थिति में है. बीजेपी की वजह से ममता सरकार पश्चिम बंगाल में उलझी हुई नजर आ रही हैं. संदेशखाली के मामले में बीजेपी ममता सरकार को घेर रही है. ममता बनर्जी को समझना सबके लिए आसान काम नहीं है. वह इसलिए क्योंकि जब विपक्षी पार्टियां उनसे चुनावी गठबंधन की बात करती है तो वे अकेले चुनाव लड़ने की बात करती हैं. हालांकि बीजेपी का विरोध करने में टीएमसी एक कदम भी पीछे नहीं हटती.

नीतीश कुमार

नीतीश कुमार
पिछले कुछ महीनों से बिहार के मुख्यमंत्री मीडिया के सुर्खियों में नजर आ रहे थे. उन्हें पार्टियों के बीच गठबंधन कराने में महारत हासिल है. हालांकि, लोगों ने देखा कि अंत समय में वे इससे भी पीछे हट गए. वे राजनीतिक मौसम को भांपने में काफी महारत हासिल रखते हैं. इस बार उन्होंने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पाला बदल लिया. नीतीश कुमार के इस कदम से INDIA गठबंधन को करारा झटका लगा. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार की पाला बदलने की राजनीति ने विपक्ष के चुनावी समीकरण को बिगाड़ कर रख दिया है.

मल्लिकार्जुन खड़गे

मल्लिकार्जुन खड़गे
कांग्रेस के वरिष्ठ और कद्दावर नेता की छवि लिए पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पास सक्रिय राजनीति का काफी लंबा अनुभव है. वे पांच दशक से देश की राजनीति में दखल रखते आ रहे हैं. उन्होंने अक्टबूर 2022 को कांग्रेस पार्टी की कमान संभाली. पिछले विधानसभा में कांग्रेस को मिली हार के बाद अब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को लेकर उनकी क्या रणनीति रहती है, क्या पार्टी सत्तारूढ़ बीजेपी को सत्ता से बाहर करने का मंत्र दे पाएंगे. 2024 का चुनाव उनके लिए कड़ी परीक्षा की घड़ी साबित होने वाली है.

तेजस्वी यादव (फोटो)

तेजस्वी यादव
राष्ट्रीय जनता दल के कद्दावर नेता तेजस्वी यादव ने काफी कम समय में अपनी एक अलग राजनीतिक पहचान बना ली है. वे बिहार में बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं. 34 साल के तेजस्वी बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम भी रह चुके हैं. आरजेडी नेता बिहार में एक बार फिर से विपक्ष की भूमिक में हैं. इससे उनका विपक्ष में कद और ज्यादा बढ़ता दिख रहा है. बिहार में तेजस्वी की छवि एक बड़े नेता के रूप में बनकर उभरी है. बिहार के लोग उन्हें लालू प्रसाद यादव के उत्तराधिकारी के तौर पर देखते हैं. लेकिन सवाल है कि सामने बीजेपी खड़ी है. क्या वे बीजेपी की चुनावी गणित को बिगाड़ पाएंगे. ये तो आने वाला समय ही तय करेगा.

असदुद्दीन औवेसी (फोटो)

असदुद्दीन औवेसी
तेलंगाना की बात करें तो यहां से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख 54 साल के असदुद्दीन ओवैसी विधानसभा चुनावों में विपक्षी दलों का खेल बिगाड़ते नजर आते हैं. उन्हें कई मौकों पर बीजेपी की बी-टीम करार दिया जा चुका है. ओवैसी तेलंगाना के अलावा देश के अलग-अलग राज्यों में अपनी पार्टी का कद बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं. ऐसे में सवाल है कि इस लोकसभा चुनाव में ओवैसी बीजेपी और अन्य विपक्षी पार्टियों का गणित बिगाड़ पाएंगे. यही सबसे बड़ा सवाल है. वैस भी 2024 का लोकसभा चुनाव कई मायनों में काफी दिलचस्प होने जा रहा है. आप सभी इस पर अपनी नजर बनाए रखें.

शरद पवार (फोटो)

शरद पवार
शरद पवार देश के कद्दावर नेताओं में शुमार किए जाते हैं. कभी हार न मानने वाले रवैये के लिए वे जाने जाते हैं. वे एनडीए के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. बता दें कि उनकी ही पहल पर महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी अस्तितव में आया. बता दें कि अपने भतीजे अजित पवार से राजनीतिक धोखा मिलने के बाद वे इस समय कठीन परिस्थिति से लड़ रहे हैं.

एम के स्टालिन (फोटो)

एम के स्टालिन
दक्षिण भारत की बात करें तो, 2024 लोकसभा चुनाव पर मीडिया की नजर दक्षिण पर टिकीं हुई हैं. बीजेपी इस बार दक्षिण को साधने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाते हुए दिखाई दे रही हैा. हालांकि, तमिलनाडु की बात करें तो डीएमके यहां बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत बनती हुई दिखाई दे रही है. चुनावी रणनीतिकार मानते हैं कि, डीएमके दक्षिणी राज्य में भाजपा के खिलाफ विपक्ष की बड़ी ताकत है. विपक्ष को एमके स्टालिन से तमिलनाडु में चुनावी बढ़त दिलाने की काफी उम्मीदे हैं. हालांकि, स्टालिन के नेताओं ने कई मौकों पर सनातन धर्म से जुड़े विवादित बयान देकर I.N.D.I.A गठबंधन को बैकफुट पर ला खड़ा किया है. इससे विपक्ष को नुकसान भी हो सकता है. लोकसभा चुनाव के रण में आगे क्या होने वाला है. इस पर सभी की निगाहें बनी हुई है.

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Last Updated : Apr 16, 2024, 10:23 PM IST

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