हैदराबाद:2024 के लोकसभा उम्मीदवार के आंकड़ों से पता चलता है कि लगभग 49 प्रतिशत भारतीय मतदाता महिलाएं हैं, जो मुख्यधारा की पार्टियों को उनके इर्द-गिर्द एक अभियान डिजाइन करने के लिए प्रेरित करती हैं. वहीं जब उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने की बात आती है, तो वे इस पर अमल नहीं करती हैं. लोकसभा चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या में मामूली वृद्धि देखी गई है. यह पांच साल पहले 726 (9.01%) से बढ़कर 797 (9.53%) हो गई है, लेकिन यह 10% को भी नहीं छू पाई है. 2019 में 8,054 उम्मीदवार थे, जबकि इस बार यह 8,337 है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 8,337 उम्मीदवारों में से मात्र 9.6 प्रतिशत महिलाएं हैं. चुनाव के सात चरणों में लगातार यह लैंगिक असमानता प्रतिबिंबित हुई. पहले चरण में 1,618 उम्मीदवारों में से केवल 135 महिलाएं थीं.
एक विश्लेषण से पता चला है कि राजनीतिक परिवार से होना नामांकन पाने का एक आसान तरीका है. भाजपा और कांग्रेस की कम से कम एक दर्जन महिला उम्मीदवार राजनीतिक परिवारों से ताल्लुक रखती हैं. कर्नाटक में छह में से पांच महिला कांग्रेस उम्मीदवार ऐसी पृष्ठभूमि से थीं, जबकि भाजपा के लिए यह दो में से एक था.
अकाली दल (हरसिमरत बादल) और पीडीपी (महबूबा मुफ्ती) की एकमात्र महिला उम्मीदवार राजनीतिक परिवारों से थीं. राजद की छह उम्मीदवारों में से दो मीसा भारती और रोहिणी आचार्य पार्टी के संरक्षक लालू प्रसाद की बेटियां थीं. महाराष्ट्र में, एनसीपी-पवार की एकमात्र महिला उम्मीदवार (सुप्रिया सुले) भी एक राजनीतिक परिवार से हैं. महाराष्ट्र में एनसीपी की दो महिला उम्मीदवारों में से एक (सुनेत्रा पवार) भी एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं. संयोग से, ओडिशा में एक महिला कांग्रेस उम्मीदवार ने यह कहते हुए चुनाव छोड़ दिया कि उनकी पार्टी उन्हें फंड नहीं दे रही है, जबकि भाजपा ने दिवंगत अभिनेता-राजनेता अंबरीश की पत्नी, निर्दलीय सांसद सुमालता को बाहर कर दिया, जिन्होंने पार्टी में शामिल होकर अपनी सीट जेडी (एस) के शीर्ष नेता एचडी कुमारस्वामी को दे दी. गुजरात में एक भाजपा महिला उम्मीदवार ने भी अंदरूनी कलह का हवाला देते हुए नाम वापस ले लिया. आरक्षित सीटों की बात करें तो महिलाओं को मैदान में उतारने के मामले में भाजपा ने कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन किया है. भाजपा ने 84 एससी आरक्षित सीटों पर 10 महिलाओं को मैदान में उतारा है, जबकि 47 एसटी आरक्षित सीटों पर छह महिलाओं को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने चार एससी सीटों और तीन एसटी सीटों पर महिलाओं को मैदान में उतारा है.
लोकसभा चुनाव 2024 में टॉप महिला उम्मीदवार
1. स्मृति ईरानी:उत्तर प्रदेश की वीआईपी सीट कही जाने वाली अमेठी लोकसभा सीट पर सबकी नजर है. अमेठी में इस बार भाजपा ने एक बार फिर से मौजूदा सांसद स्मृति ईरानी को प्रत्याशी बनाया है. अमेठी से उनके सामने गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले किशोरी लाल शर्मा कांग्रेस से चुनाव मैदान में हैं.
2. बांसुरी स्वराज:देश की विदेश मंत्री रहीं दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज ह़ॉट सीट मानी जाने वाली नई दिल्ली सीट से प्रत्याशी हैं. उनको आम आदमी पार्टी के सोमनाथ भारती से कड़ी टक्कर मिली है. यहां से मीनाक्षी लेखी लगातार दो बार जीत चुकी हैं. इसी लोकसभा सीट में सीएम केजरीवाल का भी विधानसभा क्षेत्र आता है. दूसरी तरफ, वहीं यह इलाका कांग्रेस नेता अजय माकन का भी माना जाता है.
3. डिंपल यादव:उत्तरप्रदेश के सबसे बड़े घराने से संबंध रखने वाली अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने मैनपुरी से पहली महिला सांसद बनकर इतिहास रचा था. वह एक बार फिर से मैनपुरी से चुनाव मैदान में हैं. उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी ठाकुर जयवीर सिंह से है. देखना दिलचस्प होगा कि मैनपुरी लोकसभा सीट से कौन किसे शिकस्त देगा.
4. तमिलिसाई सौंदर्यराजन:तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के एलजी पद से इस्तीफा देने के बाद डॉ. तमिलिसाई सुंदरराजन भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिन्ह पर दक्षिण चेन्नई निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं. जब वह राज्यपाल थीं तो उनके पूर्ववर्ती के चंद्रशेखर राव की तुलना में मौजूदा मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी के साथ उनके अच्छे संबंध थे.