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एनडीए या महागठबंधन, कौन किस पर पड़ेगा भारी? जानिए सारण लोकसभा सीट का समीकरण - lok sabha election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

बिहार के 40 लोकसभा सीट में सारण काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. 1967 से लेकर 2019 तक कांग्रेस, लालू प्रसाद यादव और भाजपा तीनों का जबरदस्त टक्कर रहा है. लालू प्रसाद यादव चार बार सांसद रहे हैं. राजीव प्रताप रूडी भी चार बार सांसद रहे हैं. इसबार 5वीं बार मैदान में हैं और लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य को कड़ी टक्कर देने की तैयारी में हैं. सारण लोकसभा का जातीय समीकरण और वोटरों की राय जानिए.

सारण लोकसभा
सारण लोकसभा

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 7, 2024, 6:04 AM IST

सारण लोकसभा

सारणःलोकसभा चुनाव को लेकर तमाम नेता मैदान में कमर कस चुके हैं. बिहारे के 40 लोकसभा सीट में एक सारण में लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य और राजीव प्रताप रूडी के बीच बड़ा मुकाबला है. राजीव प्रताप रूडी पिछले 4 टर्म से सांसद रहे हैं. 2019 में लालू यादव के समधी चंद्रिका राय को हराया था. इसबार रूडी के सामने लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य सामने है. यानि इस बार भी भाजपा और लालू परिवार आमने-सामने होंगे.

कांग्रेस वाला गढ़ में राजद-भाजपा आमने सामनेः सारण सीट पर लालू प्रसाद यादव 1977 से कई बार सांसद रहे हैं. वर्तमान सांसद राजीव प्रताप रूढ़ी भी सारण संसदीय क्षेत्र से कई बार सांसद चुने गए हैं. सारण लोकसभा सीट काफी महत्वपूर्ण सीट रही है. 1967 से लेकर 1977 तक यह कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. 1977 में पहली बार यहां से लालू प्रसाद यादव सांसद बने उसके बाद में यहां से 1989, 2004 और 2009 में भी जीत कर संसद पहुंचे.

पिछली बार लालू यादव के समधी को हारः 2014 में चारा घोटाले में फंसने के कारण लालू प्रसाद यादव की पत्नी रावड़ी देवी यहां से चुनाव लड़ी और उन्हें भाजपा के राजीव प्रताप रूढ़ी ने हराकर यह सीट जीती. इसके पहले राजीव प्रताप रूडी 1996 और 1999 में भी यहां से सांसद रहे हैं. जबकि 2019 में भाजपा के राजीव प्रताप रूढ़ी ने लालू यादव के समधी चंद्रिका राय को हराकर एक बार से फिर सारण सीट पर भाजपा का कब्जा बरकरार रखा. राजीव प्रताप रूढ़ी 1996, 1999, 2014, 2019 में सारण लोकसभा सीट से सांसद रहे.

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सारण में MY और यादव-राजपूतों का बोलबालाः बात की जाए यहां के जातीय समीकरण की तो यहां लालू प्रसाद यादव का माय समीकरण रहा है. मुस्लिम और यादव के साथ SC-ST, OBC और अन्य पिछड़ी जाति आती है. फॉरवर्ड जाति की बात करें तो राजपूत और बनिया, भूमिहार, ब्राह्मण, कायस्थ और अन्य जाति है. यादव 25%, राजपूत 23%, वैश्य 20%, भूमिहार 3%, ब्राह्मण 3%, और मुसलमान 6% है. कोयरी, कुर्मी, ओबीसी, एससी-एसटी और अन्य जाति 20% है. यहां की मुख्य लड़ाई यादव और राजपूतों के बीच रही है. हालांकि वैश्य समुदाय का 20% वोट निर्णायक भूमिका निभाती है.

पिछले तीन लोकसभा का रिजल्टः पिछले तीन लोकसभा चुनाव का आंकड़ा देखें तो 2009 में लालू प्रसाद यादव ने राजीव प्रताप रूडी को हराकर सांसद बने थे. लालू प्रसाद यादव को 274209 वोट मिला था. 2014 में राजीव प्रताप रूडी ने राबड़ी देवी को 314172 वोट से हरा दिया था. इसके बाद 2019 में भी राजीव प्रताप रूडी विजयी रहे. लालू यादव के समधी राजद चंद्रिका राय को हराया था. राजीव प्रताप रूडी को 499342 और चंद्रिका राय 360913 वोट आया था.

सारण में 15 लाख से अधिक वोटरः 28 लाख 30 हजार 488 वोटर वाले इस लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा आते हैं. छपरा सदर, गरखा, अमनौर, मढ़ौरा, परसा और सोनपुर शामिल हैं. वोटरों का आंकड़ा देखें तो पुरुष वोटरों की संख्या 1515599, महिला 1314829 और थर्ड जेंडर 60 हैं. सारण के लोकसभा सीट से भाजपा से राजीव प्रताप रूढ़ी सांसद हैं और पाचवीं बार मैदान में उतर चुके हैं.

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सारण लोकसभा की स्थितिः सारण में विकास की बात करें तो यह क्षेत्र कभी उद्योगों का गढ़ हुआ करता था. सारण का मढ़ौरा अनुमंडल में आजादी के पूर्व तीन बड़े उद्योग थे. कानपुर शुगर वर्क चीनी मिल, सारण इंजीनियरिंग और विश्व प्रसिद्ध मार्टन चॉकलेट की फैक्ट्री थी. समय के साथ-साथ यह तीनों उद्योग पूरी तरह से चौपट हो गया. कभी यहां तीनों पहर मशीनों की चलने की आवाज और वर्कर की आवाजाही रहती थी लेकिन आजादी के बाद सब खत्म हो गया.

दूसरे राज्यों में पलायनः उद्योग धंधा बंद होने के साथ ही यहां से कामगारों का भी पलायन शुरू हो गया. बंद पड़े चीनी मिल के पार्ट्स को चोर खोल खोलकर बेच रहे हैं. मिल की जमीन पर दबंगों का कब्जा है. पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने सारण जिले के बेला में चक्का फैक्ट्री की स्थापना की और एनडीए के शासन में मढ़ौरा में जीई कंपनी के द्वारा डीजल इंजन बनाने का कारखाना लगाया गया लेकिन स्थानीय लोगों को कोई रोजगार नहीं मिला.

डीजल इंजन कारखाना सिर्फ नाम का रह गयाः डीजल इंजन कारखाना के आधे निर्माण के कारण यहां पर बने डीजल इंजनों को दूसरे शेड का निर्माण का नाम दिया गया. इस महत्वपूर्ण कारखाना को मात्र असेंबलिंग पॉइंट बना कर रख दिया गया. इसको लेकर कई नेताओं ने कई बार धरना प्रदर्शन किया लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ. यहां के युवाओं को ना नौकरी मिली और ना ही यहां के द्वारा निर्मित इंजनों पर यहां का नाम लिखा गया.

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एक नजर में भाजपा की उपलब्धिःजय प्रकाश विवि के प्रोफेसर एचके वर्मा ने बताया कि राजीव प्रताप रूडी ने एंबुलेंस की सुविधा दी. डबल डेकर पुल के निर्माण, शहर के सिवरेज और जल जमाव को दूर करने का काम किया. एनएच निर्माण, उज्ज्वला योजना, गैस पाइपलाइन से गैस की सप्लाई का कार्य पूरा किया जा चुका है. कल्लू घाट पर बंदर गाह बनाने की प्रक्रिया भी चल रही है. इसके साथ ही राजीव प्रताप रूढ़ी सारण में एशिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने के लिए भी प्रयासरत हैं.

"राजीव प्रताप रूडी ने आते ही करीब 12 एंबुलेंस और शव वाहन देने का काम किया. उन्होंने सड़कों का जाल बिछाया. हालांकि उनके हाथ में कुछ नहीं था लेकिन नितिन गडकरी जी से बात कर उन्होंने काम किया. इसके अलावा कई काम उन्होंने किया है."- एचके वर्मा, प्रोफेसर, जय प्रकाश विवि

राजीव को सांसद चुनना पसंद करते हैं लोगः आपको बता दें कि राजीव प्रताप रूढ़ी एक वकील, अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और कमर्शियल पायलट भी हैं. हालाकि रूढ़ी के खिलाफ सारण के लोगों में खासा आक्रोश है. इसके बाद भी राजद के मुकाबले स्थानीय लोगों राजीव प्रताप रूढ़ी को ही अपना सांसद चुनना पसंद करते हैं. स्थानीय मनन सिंह बताते हैं कि यकीनन राजीव प्रताप रूडी ने छपरा में काम किया है.

"राजीव प्रताप रूडी ने सामूहिक रूप से काम किया है. छपरा में डबल डेकर, 6 लेन सड़क सहित कई काम उन्होंने किया है. बात रही नाराजगी की तो बड़े लोगों के साथ रहती है. हमें गर्व है कि रूडी जैसा नेता को संसद में भेजा है. मुझे लगता है कि छपरा का सही नेतृत्व अगर कोई कर सकता है तो वे राजीव प्रताप रूडी हैं."- मनन सिंह, स्थानीय

'अखबारों में दिखते राजीव प्रताप रूडी': कई लोगों का आरोप है कि राजीव प्रताप रूडी कुछ ही मायने में अच्छे हैं. स्थानीय अरुण कुमार ने बताया कि इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में उन्होंने काम किया है लेकिन मतदाताओं से मिलने का ट्रैक रिकॉर्ड खराब रहा है. स्थानीय सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि राजीव प्रताप रूडी जमीनी स्तर पर काम नहीं कर सके. उन्होंने कहा कि राजीव प्रताप रूडी सिर्फ अखबारों में दिखते हैं.

'जमीनी स्तर पर नहीं दिख रहा काम': सुनील कुमार ने बताया कि खनुआ नाला को लेकर उन्होंने पूरे जोश-शोर से काम करने की शुरुआत हुई थी लेकिन वह भी पूरा नहीं हो सका. इसका उन्नयन कार्य लगभग 2 हजार करोड़ रुपए का है. लेकिन इस बारे में जनता से पता कीजिएगा तो कुछ समझ में नहीं आयेगा. क्योंकि जमीनी स्तर पर उनका काम दिख ही नहीं रहा है.

"छपरा की जनका उन्हें सिर्फ अखबारों में जानती है. जो भी काम की घोषणा होती है वह सिर्फ अखबार में दिखता है. लेकिन जब हकीकत देखेंगे तो कहीं भी नजर नहीं आता है. जमीनी स्तर पर उनका काम नहीं दिखता है. सारण में कोई विकास नहीं हुआ है."-सुनील कुमार, स्थानीय

ट्रेन सेवा को लेकर लोगों में नाराजगीः वरिष्ठ पत्रकार अरविंद प्रताप सिंह ने तो सारे कामों का चिठ्ठा खोल दिया. उन्होंने कई उदाहरण देते हुए कहा कि राजीव प्रताप रूडी ने कोई काम नहीं किया है. उन्होंने बताया कि छपरा से पटना के बीच कोई सीधी ट्रेन सेवा नहीं है. जो ट्रेन चल रही थी वह भी बंद हो गई है. 1996 पहली बार सांसद बने तो उन्होंने चीनी मिल खुलवाने की घोषणा की थी लेकिन आज तक वह नहीं खुला.

"सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी रेल सुविधा को बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास नहीं करते हैं. उनका ध्यान इस ओर नहीं रहता है. सारण की जनता राजधानी पटना जाने के लिए परेशानी झेलती है. कई अन्य स्थानीय मुद्दे हैं जिस पर सांसद के व्यवहार से स्थानीय जनता नाराज है. दूसरे कार्यकाल में झिंगा पालन पर जोर दिया था लेकिन आज सारण में किसी से पुछिएगा की झिंगा पालन कहां होता है कोई नहीं बताएगा. खुद सांसद नहीं बता पाएंगे कि झिंगा पालन कहां होता है."-अरविंद प्रताप सिंह, वरिष्ठ पत्रकार

मांग जो अभी तक पूरी नहीं हुईः हाजीपुर से गाजीपुर एनएच-19 का निर्माण कार्य 10 से 15 साल में पूरा नहीं हुआ. छपरा से राजधानी पटना तक कोई भी सीधी ट्रेन सेवा नहीं है. इसके साथ ही छपरा से मुजफ्फरपुर तक रेवा घाट होकर बनने वाले नई बड़ी लाइन का निर्माण कार्य धीमी गति से हो रहा है. छपरा में लगने वाले भीषण जाम से रेलवे फाटक सख्या 47 जगदम कालेज, गड़खा रेलवे फाटक और बाईपास रोड पर रेलवे ओवरब्रिज निर्माण की मांग, छपरा ग्रामीण स्टेशन पर ट्रेनों की ठहराव की मांग अभी तक पूरी नहीं हुई है.

कौन बनेगा सिकंदर? कुल मिलाकर देखें तो कई लोग राजीव प्रताप से इसबार नाराज नजर आ रहे हैं. पिछले बार उन्होंने लालू यादव के समधी को हराने का काम किया था तो इसबार लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य टक्कर लेने के लिए मैदान में मौजूद है. अब देखना है कि राजीव प्रताप एक बार फिर से लोगों का विश्वास जीत पाते हैं या पहली बार चुनाव लड़ रहीं रोहिणी आचार्य को कामयाबी मिलती है.

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