पटना: बिहार लोकसभा चुनाव के लिए बैटलग्राउंड बनता दिख रहा है. तमाम राजनीतिक दलों ने बिहार से जोर आजमाइश शुरू कर दी है. प्रत्याशियों के चयन को लेकर मंथन का दौर जारी है. दलो के अंदर कई युवा चेहरे और नेता पुत्र चुनावी मैदान में उतरने को तैयार हैं.
बिहार में परिवारवाद हावी: जननायक कर्पूरी ठाकुर परिवारवाद के धुर विरोधी थे. कर्पूरी ठाकुर ने अपने परिवार से किसी को भी राजनीति में नहीं आने दिया. उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र रामनाथ ठाकुर जदयू से राज्यसभा भेजे गए. जननायक की सियासत को आगे बढ़ाने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं ने परिवारवाद को ही हथियार बना लिया है.
RJD और परिवारवाद : राष्ट्रीय जनता दल का कुनबा परिवारवाद का सबसे बड़ा पोषक कहा जाता है. चुनावी मौसम में परिवारवाद एक मुद्दा बनता दिख रहा है भाजपा ने परिवारवाद के मसले पर राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया है. भाजपा के तमाम बड़े नेता इंडिया गठबंधन पर हमले भी बोल रहे हैं. इंडिया गठबंधन को परिवारवाद का पोषक बताया जा रहा है.
पिता को नहीं मिला टिकट तो क्या हुआ.. :बिहार में राजनीतिक दल के लिए परिवार एक मजबूरी भी बनकर रह गया है. नेता पुत्र राजनीतिक दलों की पसंद भी है. तमाम दलों में ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं जहां नेता रिटायर होते हैं तो अपने पुत्र को विरासत सौंप देते हैं. राष्ट्रीय जनता दल परिवारवादी सियासत की मिसाल है.
मीसा भारती आजमा सकती हैं पाटलिपुत्र से किस्मत:पार्टी का कंट्रोल लालू परिवार के पास है. लालू प्रसाद यादव पार्टी के अध्यक्ष हैं तो राबड़ी देवी विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष हैं. तेजस्वी यादव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं. तेज प्रताप यादव पार्टी के विधायक हैं तो मीसा भारती राज्यसभा सांसद हैं. कुल मिलाकर लालू परिवार में चार जनप्रतिनिधि हैं.
रोहिणी काराकाट से लड़ सकती हैं चुनाव: पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से मीसा भारती चुनाव भी लड़ती हैं. इस बार लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य की भी लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है. संभव है कि काराकाट या छपरा सीट से रोहिणी को मौका दिया जा सकता है. लालू एंड फैमिली पर परिवारवाद को लेकर हो रहे हमले पर राष्ट्रीय जनता दल के विधायक और पार्टी प्रवक्ता अख्तरुल इमान शाहीन ने पलटवार किया है.
"भाजपा के लोग परिवारवाद पर हमला बोलते हैं लेकिन उनकी पार्टी में कई ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं जो बिना संघर्ष के ही कुर्सी पा लेते हैं. इनके पास जनता को बताने के लिए कुछ नहीं है. इसी वजह से वह परिवारवाद को मुद्दा बना रहे हैं."- अख्तरुल इमान शाहीन, आरजेडी प्रवक्ता
रेस में जगदा बाबू के बेटे सुधाकर सिंह भी: राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह को भी लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरा जा सकता है. सुधाकर सिंह बक्सर से पार्टी के उम्मीदवार हो सकते हैं. पार्टी तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज अहमद को भी मैदान में उतरने की तैयारी में है. पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद चौरसिया के पुत्र संजीव चौरसिया ने परिवारवाद को लेकर राष्ट्रीय जनता दल पर हमला बोला है.
"भाजपा में 15- 20 साल संघर्ष करने के बाद जगह मिलती है. लेकिन राष्ट्रीय जनता दल में बिना संघर्ष के पद और कुर्सी मिल जाती है. वंशवाद और परिवारवाद आरजेडी में हमेशा से हावी रहा है."- संजीव चौरसिया, बीजेपी विधायक
आकाश और शांतनु भी लगा रहे दांव-पेच:शरद यादव के पुत्र शांतनु भी मधेपुरा से भाग्य आजमाना चाहते हैं और वह इलाके का दौरा भी कर रहे हैं. कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह भी अपने बेटे को मैदान में उतरना चाहते हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में भी पुत्र आकाश को अखिलेश सिंह ने टिकट दिलवाई थी. इस बार भी आकाश सिंह मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं.
शिवेश राम की सासाराम पर नजर :भाजपा से पूर्व सांसद मुनीलाल राम के पुत्र शिवेश राम की दावेदारी मजबूत है. शिवेश राम पार्टी के प्रदेश महामंत्री हैं और सासाराम लोकसभा सीट पर दावेदारी भी है. इनके पिता मुनीलाल राम सासाराम लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं. आपको बता दें कि सासाराम लोकसभा सीट आरक्षित है.
अर्जित शाश्वत उतरेंगे मैदान में? :अश्विनी चौबे की पुत्र अर्जित शाश्वत भी पार्टी के कार्यकर्ता हैं. लंबे समय से पार्टी से जुड़े हुए हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में अर्जित शाश्वत को भागलपुर से टिकट मिली थी और अगर इस बार 70 साल की उम्र पार करने के मामले में अश्विनी चौबे को टिकट नहीं मिलता है तो ऐसी स्थिति में अर्जित शाश्वत बक्सर या भागलपुर सीट पर मजबूत दावेदार होंगे.
पटना साहिब पर दो दावेदार : पूर्व राज्यसभा सांसद आरके सिंह के पुत्र ऋतुराज सिंन्हा भी भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय हैं. ऋतुराज सिन्हा राष्ट्रीय मंत्री हैं. बिहार के अंदर कोर कमेटी के सदस्य भी हैं. अगर रवि शंकर प्रसाद का 70 पार का हवाला देते हुए टिकट काटा जाता है तो वैसी स्थिति में ऋतुराज सिन्हा सबसे मजबूत दावेदार होंगे. पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद के पुत्र आदित्य भी पार्टी के कार्यक्रमों में कभी-कभी सक्रिय दिखते हैं. रवि शंकर प्रसाद की भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा है. अगर उन्हें टिकट नहीं मिलता है तो ऐसी स्थिति में वह अपने पुत्र के लिए टिकट चाहेंगे.
बेगूसराय पर विवेक ठाकुर की नजर :पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर सीपी ठाकुर की गिनती भाजपा के बड़े नेताओं में होती है. सीपी ठाकुर के पुत्र विवेक ठाकुर पिता के राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. विवेक ठाकुर ब्रह्मपुर से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें जीत हासिल नहीं हुई थी. बाद में विवेक ठाकुर को राज्यसभा भेज दिया गया. विवेक ठाकुर लंबे समय से पार्टी में सक्रिय रहे हैं और छात्र राजनीति के दौर से ही भाजपा से जुड़े हुए रहे हैं. विवेक ठाकुर बेगूसराय से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं.
"परिवारवाद पर पीएम मोदी ने पहले ही स्थिति को स्पष्ट कर दिया है. प्रधानमंत्री ने कहा है कि कोई नेता का पुत्र या परिवार है लेकिन वह संघर्ष कर ऊंचाई पर पहुंचा है तो वह परिवारवाद नहीं कहा जाएगा. जहां तक मेरे लोकसभा चुनाव और लड़ने का सवाल है. उस पर पार्टी को फैसला लेना है."-विवेक ठाकुर, भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद
रमादेवी की बेटी भी आजमा सकती है दांव : रमादेवी की पुत्री कतार में है. रमादेवी शिवहर से सांसद हैं और उनकी उम्र 75 साल हो चुकी है. अगर उनकी टिकट करती है तो निश्चित तौर पर वो अपनी बेटी को मैदान में उतरना चाहेंगे. उनकी पुत्री ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से हाल ही में मुलाकात भी की है.
मधुबनी में अशोक यादव का क्या होगा? : पूर्व सांसद हुकुमदेव नारायण यादव के पुत्र अशोक यादव भी लोकसभा टिकट के लिए दावेदार हैं. वर्तमान में अशोक यादव सांसद भी हैं. हुकुमदेव नारायण यादव मधुबनी से सांसद हुआ करते थे और उनके पुत्र अशोक यादव पिता के राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.
मुजफ्फरपुर में अजय निषाद :इसके अलावा पूर्व सांसद जय नारायण निषाद के पुत्र अजय निषाद मुजफ्फरपुर से सांसद हैं. पिता की राजनीतिक विरासत को अजय निषाद आगे बढ़ा रहे हैं. अजय निषाद भी लोकसभा टिकट के दावेदार हैं और वर्तमान में वह सांसद भी हैं.
जमुई सीट पर अशोक चौधरी की नजर! :जनता दल यूनाइटेड में परिवारवादी राजनेताओं की संख्या अपेक्षाकृत कम है, लेकिन कतार में कई हैं. पूर्व मंत्री अशोक चौधरी भी लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं और जमुई लोकसभा सीट पर इनकी दावेदारी है. अशोक चौधरी पूर्व मंत्री महावीर चौधरी के पुत्र हैं और पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.
मधेपुरा से निखिल मंडल कतार में :निखिल मंडल जदयू के प्रवक्ता रह चुके हैं और मधेपुरा से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. निखिल मंडल बीपी मंडल के पौत्र हैं. बीपी मंडल बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा मधेपुरा के सांसद दिनेश चंद्र यादव स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. दिनेश चंद्र यादव अपने पुत्र के लिए टिकट चाहते हैं.
क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार : वहीं राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि परिवारवाद बहस का मुद्दा जरूर है, लेकिन तमाम दलों ने परिवारवाद का लबादा ओढ़ रखा है. बीजेपी में भी 70 की उम्र पार कर चुके नेताओं के पुत्र कतार में है. देखना यह दिलचस्प होगा कि पार्टी किन-किन नेता पुत्रों पर दांव लगाती है.
"सीपी ठाकुर हटे तो विवेक ठाकुर को जगह दी गई. वैसे बिहार के कई नेता हैं अश्विनी चौबे से लेकर रविशंकर प्रसाद से लेकर राधामोहन सिंह तक का नाम है. 70 प्लस वालों का टिकट कटा तो उनके पुत्रों को आगे किया जा सकता है. पिता ऐसा चाहते भी हैं कि उनके पुत्रों को टिकट दिया जाए."- डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक