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हैट्रिक या हिट विकेट ! लोकसभा चुनाव की यह लड़ाई कितनी मुश्किल, क्या हैं प्रमुख मुद्दे - Lok Sabha election key issues

2024 Lok Sabha election Key Issues: बीजेपी इस बात को लेकर आश्वस्त है कि पीएम मोदी के 10 साल के कामकाज का रिकॉर्ड देखकर और विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए देश के लोग पार्टी का समर्थन करेंगे. पिछले कुछ वर्षों में पीएम मोदी एक ग्लोबल लीडर के तौर पर उभरे हैं. हालांकि, 2024 के महासमर में जनता किसको अपनाएगी और किसको नकार देगी, यह सब कुछ 4 जून को पता लग जाएगा. अब देखना है कि, क्या बीजेपी अपनी उपलब्धियों और पीएम मोदी के नाम पर 2024 के 'महासमर' में विपक्ष को चुनावी पटखनी देने में कामयाब हो पाएगी?

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 17, 2024, 8:16 PM IST

हैदराबाद: देश में 18वीं लोकसभा चुनाव के लिए सात चरणों चुनाव होने हैं. 21 राज्यों की 102 सीटों पर पहले चरण के तहत 19 अप्रैल को मतदान होगा. चुनाव के नतीजे 4 जून को आएंगे. लोकतंत्र के इस महापर्व में लगभग 1 अरब भारतीय मतदाता मतदान करने के पात्र होंगे. वहीं जनमत सर्वेक्षणों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी के लिए आसान जीत की भविष्यवाणी की गई है. भाजपा को लगता है कि इस बार के 'महासमर' में अच्छे रिकॉर्ड मत से तीसरी बार नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे. 19 अप्रैल से 1 जून के बीच सात चरणों में होने वाले चुनाव के कुछ बड़े मुद्दे भी हैं. अब देखना है कि, क्या बीजेपी अपनी उपलब्धियों और पीएम मोदी के नाम पर 2024 के महासमर में विपक्ष को चुनावी पटखनी देने में कामयाब हो पाएगी?

भाजपा सरकार में आर्थिक विकास, मुद्रास्फीति
31 मार्च को समाप्त हुए पिछले वित्तीय वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था लगभग 8 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है, जो प्रमुख देशों के मुकाबले सबसे तेज़ है. पिछले एक दशक में मोदी के नेतृत्व में, भारतीय अर्थव्यवस्था छलांग लगाकर दुनिया में पांचवें नंबर पर पहुंच गई है. मोदी सरकार ने जनता को गारंटी दी है कि, अगर वे तीसरी बार सत्ता में आते हैं तो भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में तीसरे नंबर की हो जाएगी. मोदी युग के मुख्य आकर्षण की बात करें तो, देश भर में चमचमाती सड़कें और पुल हैं. इनमें दो प्रमुख शहर नई दिल्ली, मुंबई और अन्य कई शहर भी शामिल है. रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार में देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था का असर ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरों में अधिक दिखाई देती है. वहीं बीजेपी सरकार के लिए कीमतों में वृद्धि भी चिंता का विषय रही है. तुलना करें तो, 2022-23 में खुदरा मुद्रास्फीति 2021-22 में 5.5 से बढ़कर 6.7 फीसदी हो गई. यही एक साल पहले 6.2 प्रतिशत थी. फरवरी महीने में वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति 5.09 प्रतिशत रही.

बीजेपी सरकार की कल्याण नीतियां
COVID-19 महामारी के बाद से, सरकार भारत के 1.42 बिलियन लोगों में से 814 मिलियन लोगों को मुफ्त भोजन राशन दे रही है. वहीं इस विषय पर कुछ आलोचकों का कहना है कि मोदी सरकार को भारत की लगभग 60 प्रतिशत आबादी को मुफ्त अनाज देने की आवश्यकता है, जो देश में असमान आर्थिक विकास का संकेत है. अनुसंधान समूह वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब (World Inequality Lab.) के एक अध्ययन के अनुसार, पिछले साल के अंत तक, भारत के सबसे अमीर नागरिकों के पास इसकी संपत्ति का 40.1 प्रतिशत हिस्सा था, जो 1961 के बाद से सबसे अधिक है, और कुल आय में उनकी हिस्सेदारी 22.6 फीसदी थी, जो 1922 के बाद से सबसे अधिक है. मोदी सरकार ने अपनी कुशल नीतियों को बढ़ावा देते हुए महिलाओं पर अधिक फोकस किया. भाजपा ने महिला मतदाताओं के कल्याण पर ध्यान केंद्रित करके उनका दिल जीतने की कोशिश की है. जिसमें नकद वितरण, पाइप से पानी , सप्ताप में 24 घंटे बिजली और रसोई गैस कनेक्शन जैसे घरेलु लाभ शामिल हैं.

हिंदू और राष्ट्रवादी राजनीति
भारतीय जनता पार्टी अपनी हिंदू-राष्ट्रवादी के 35 साल पुराने वादे को पूरा करते हुए अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कराई और भव्य राम मंदिर निर्माण का नेतृत्व किया. 1992 में भीड़ ने अयोध्या में उस स्थान पर 16वीं सदी की एक मस्जिद को ध्वस्त कर दिया, जिसके बारे में कई हिंदुओं का मानना है कि मस्जिद को मुगल शासक बाबर के समय ध्वस्त मंदिर के ऊपर बनाया गया था. बीजेपी ने कभी हिंदुत्व के एजेंडे को नहीं छोड़ा, जिसका असर आज देखने को मिल रहा है. साथ ही पीएम मोदी समय-समय पर देश भर के हिंदू मंदिरों में जाकर पूजा-पाठ करते नजर आते हैं. जिसे समाचार चैनलों पर व्यापक रूप से प्रसारित किया जाता है. इसको लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि, मोदी को बहुसंख्यक समुदाय को अपनी तरफ करने में महारत हासिल है. जिसका अनुमान भाजपा के लगातार बढ़ते कद से लगाया जा सकता है. 2014 के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी का कद तेजी से बढ़ता जा रहा है और यही भाजपा का मुख्य समर्थन का आधार है. वहीं, देश में कई मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोगों ने मोदी सरकार पर समुदाय के हित के खिलाफ जाकर नीतियां लागू करने का आरोप भी लगाया है. हालांकि, बीजेपी मुसलमानों का समर्थन हासिल करने वाली विपक्षी पार्टियों पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि मोदी सरकार सभी के हितों के लिए काम करती है. बीजेपी तुष्टिकरण की राजनीति से दूर रहती है.

भ्रष्टाचार
संदिग्ध मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करने वाली एक सरकारी एजेंसी ने पिछले दशक में लगभग 150 विपक्षी राजनेताओं को तलब किया है, पूछताछ की है, छापेमारी की है या गिरफ्तार किया है. इसी अवधि में केंद्रीय जांच एजेंसी ने लगभग आधा दर्जन सत्तारूढ़ दल के राजनेताओं की ही जांच की है. सबसे हाई प्रोफाइल गिरफ्तारी में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शामिल है. हालांकि, केजरीवाल किसी भी भ्रष्टाचार से इनकार करते आ रहे हैं. वहीं मोदी कहते हैं कि, भ्रष्टाचार पर उनकी जीरो टॉलरेंस नीति के तहत एजेंसियां किसी की भी जांच करने के लिए स्वतंत्र हैं. वहीं, विपक्षी दल के नेताओं का आरोप है कि मोदी सरकार विपक्ष पर निशाना बनाने के लिए सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है. वहीं चुनाव से ठीक पहले आयकर विभाग ने कांग्रेस पार्टी के कई बैंक खातों को सीज कर दिया. विपक्ष का आरोप है कि ऐसा करके चुनाव के समय पार्टी को पंगु बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

बेरोजगारी
नरेंद्र मोदी पहली बार 2014 में देश के युवाओं के लिए लाखों नौकरियां पैदा करने का वादा करके केंद्र की सत्ता पर काबिज हुए थे. हालांकि, कई जानकारों, विपक्ष दल के नेताओं का मानना है कि, मोदी सरकार इसे पूरा करने में काफी हद तक विफल रहे हैं. निजी तौर पर आयोजित सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, फरवरी में बेरोजगारी दर बढ़कर 8 फीसदी हो गई. सरकारी अनुमान के मुताबिक, मार्च 2023 को समाप्त वित्तीय वर्ष में बेरोजगारी दर बढ़कर 5.4 प्रतिशत हो गई, जो मोदी के सत्ता संभालने से पहले 2013-14 में 4.9 फीसदी थी. सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 15-29 आयु वर्ग के लगभग 16 फीसदी शहरी युवा खराब कौशल और गुणवत्ता वाली नौकरियों की कमी के कारण 2022-23 में बेरोजगार रहे. वैसे निजी एजेंसियों का अनुमान इससे बहुत अधिक है.

भारत में किसानों की स्थिति और आंदोलन
भारतीय जनता पार्टी ने पिछले चुनाव के अपने घोषणा पत्र में 2022 तक कृषि आय दोगुनी करने का वादा किया, हालांकि इसके कोई संकेत दिख नहीं रहे हैं. इस विषय को लेकर देश के किसान सड़कों पर आ गए और उन्होंने स्वामीनाथ आयोग की सिफारिश के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य के कानून बनाए जाने और कर्ज माफी की मांग की. बता दें कि केंद्र सरकार ने किसानों से फसलों की खरीद से जुड़े कानून में बदलाव करने के लिए कृषि बिल पेश किया था. जिसको लेकर किसान खुश नजर नहीं आ रहे थे. इस वजह से किसान आंदोलन की शुरूआत हुई. पहले सिर्फ पंजाब और हरियाणा के किसान सड़क पर थे, बाद में देश के अन्य राज्यों के किसान भी इस आंदोलन से जुड़ गए. जिसकी वजह से सरकार को यह बिल वापस लेना पड़ा था. हालांकि, इसके बाद कुछ समय के लिए आंदोलन रूक था लेकिन किसान एक बार फिर से कई मांगों को लेकर सड़कों पर आ गए.

वैश्विक कद
भाजपा पीएम मोदी के बढ़ते वैश्विक कद और भारत की अच्छी होती अर्थव्यवस्था का खूब प्रचार कर रही है. पिछले साल G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने और रूस के हमले के दौरान यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सफलतापूर्वक बाहर निकालने का श्रेय भी मोदी सरकार को देती नजर आ रही है. एनडीए इस बार 400 पार का नारा देकर नेताओं, कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है. अब देखना काफी दिलचस्प होगा कि 4 जून को जब नतीजे आएंगे तो बीजेपी को इसका कितना फायदा मिलेगा.

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