नई दिल्ली : बीजेपी या दक्षिण पंथी पार्टियों के लिए केरल हमेशा से अछूता राज्य माना जाता रहा है, लेकिन अब वहां भी बीजेपी जी-तोड़ मेहनत कर रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को केरल में 7-8 सीटों पर 15 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे. 20 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वाले इस राज्य में बीजेपी इस बार 6 सीटों पर खासा मेहनत कर रही है, जहां उसे जीत की संभावना नजर आ रही है. यही नहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की जीत भले ही निश्चित दिख रही हो लेकिन पार्टी ने वहां भी चुनाव प्रचार में कोई कमी नहीं छोड़ी है.
बीजेपी ने वायनाड के सुल्तान बाथरी का नाम बदलकर गणपति वट्टम करने का वादा कर दिया है, ताकि वायनाड समेत पूरे केरल में हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण कर सके. यदि देखा जाए तो बीजेपी ने फिल्म 'द केरल स्टोरी' को कई महीने पहले ही राष्ट्रीय प्लेटफार्म पर दिखाकर केरल में आईएसआईएस द्वारा किए जा रहे धर्मांतरण को मुद्दा बना दिया था. तभी से केरल की सियासत गरमाने लगी थी और ध्रुवीकरण की राजनीति हावी होने लगी थी.
अब 'द केरल स्टोरी' के जरिए बीजेपी ने कई चर्च को भी इस मुहिम में साथ में लिया है. चर्च लॉबी और ईसाई गुट के साथ आने से उत्साहित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी इस बार जोर-शोर से हिंदुओं के वोट को बीजेपी के पक्ष में ट्रांसफर करने के अभियान में लगा हुआ है. बीजेपी केरल में वोट शेयर बढ़ाकर इस बार हर हाल में सीट हासिल करना चाहती है, ताकि चुनाव नतीजों के बाद पार्टी दक्षिण के सभी राज्यों पर दावा ठोक सके.
छह सीटों पर ज्यादा मेहनत :2019 के लोकसभा चुनाव में केरल में जिन 7-8 सीटों पर बीजेपी को 15 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे, पार्टी वहां पूरा जोर लगा रही है. पार्टी को छह सीट पर जीत की पूरी संभावना नजर आ रही है.
2 महीने में तीन रैली कर चुके पीएम मोदी :पिछले दो महीने में पीएम मोदी केरल में तीन रैली कर चुके हैं. पीएम राज्य में दहाई अंकों में सीटें लाने का दावा भी कर चुके हैं. पार्टी, विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन, अभिनेता से नेता बने सुरेश गोपी, केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर जैसे दिग्गजों को भी मैदान में उतार चुकी है. पार्टी पूरे दम-खम के साथ राज्य में चुनाव लड़ रही है. स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी के निर्वाचन क्षेत्र वायनाड में जाकर रोड शो भी किया है, और आगे भी दिग्गजों के कार्यक्रम लगे हैं.