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क्या पंजाब में AAP और कांग्रेस ने अनौपचारिक गठबंधन कर लिया ? आखिरी चरण में किसका पलड़ा भारी - Lok Sabha Election 2024 7th Phase - LOK SABHA ELECTION 2024 7TH PHASE

Lok Sabha Election 2024 Punjab: लोकसभा चुनाव 2024 अपने अंतिम पड़ाव की तरफ है. 1 जून को 8 राज्यों की 57 सीटों के लिए मतदान होगा. सातवें चरण में पंजाब का रण अहम रहेगा. अगर सीट दर सीट देखा जाए, तो पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के उम्मीदवार चयन एक दिलचस्प पैटर्न का खुलासा करता है.

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फोटो (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 27, 2024, 5:30 PM IST

Updated : May 27, 2024, 5:54 PM IST

हैदराबाद:लोकसभा चुनाव 2024 के 7वें और अंतिम चरण में 8 राज्यों की 57 सीटों पर 1 जून का मुकाबला काफी अहम होने जा रहा है. इस फेज में 904 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है. सातवें और अंतिम चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी सीट पर भी सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. बात पंजाब की करें तो राज्य की 13 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव काफी अहम और दिलचस्प होने जा रहा है. पंजाब में राजनीतिक समीकरण ही कुछ अलग है. यहां आम आदमी पार्टी और कांग्रेस, राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन में भागीदार, पंजाब में एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं. दोनों पार्टियां, चंडीगढ़, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात और गोवा में गठबंधन कर चुनाव लड़ने का फैसला किया था. लेकिन पंजाब में AAP सत्तारूढ़ पार्टी है और कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है.

पंजाब का रण रहेगा अहम
दोनों ही पार्टियां (कांग्रेस और AAP) पंजाब में पिछले दो सालों से जुबानी जंग में लगी हुई हैं. पंजाब में दोनों ही पार्टियां एक दूसरे के घोर विरोधी है. ऐसे में 'आप' और कांग्रेस के उम्मीदवार का चयन एक दिलचस्प पैटर्न को उजागर करता है. ध्यान देने वाली बात यह है कि, पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को समाज के सभी वर्गों से वोट मिलते हैं, जबकि शिरोमणि अकाली दल ग्रामीण सिख वोटों पर और भाजपा शहरी हिंदू वोटों पर अधिक निर्भर है. वैसे देखा जाए तो वर्तमान में राज्य में शिअद और भाजपा अब गठबंधन में नहीं हैं. इनमें से प्रत्येक दल को एक विशेष सीट जीतने के लिए अपने प्रतिद्वंदियों की बीच वोटों के विभाजन की जरूरत होगी. वह इसलिए क्योंकि वे अब अपने पूर्व सहयोगी के वोटों के समर्थन पर भरोसा नहीं कर सकते हैं.

चूंकि आप और कांग्रेस का आधार समान है, इसलिए एक पार्टी दूसरे के वोट में सेंध लगाने की गुंजाइश काफी अधिक है. लेकिन जिस तरह से उन्होंने उम्मीदवारों का चयन किया है, उससे ऐसा होने की गुंजाइश कम होती दिख रही है. आइए एक नजर इस पर भी डालते हैं:

फरीदकोट
कांग्रेस ने मौजूदा सांसद मोहम्मद सादिक को हटाकर अमरजीत कौर साहोके को मैदान में उतारा है. काफी पशोपेश के बाद कांग्रेस ने उनकी टिकट का ऐलान किया था. वैसे फरीदकोट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और पार्टियां आमतौर पर यहां मजहबी सिख उम्मीदवारों को मैदान में उतारती हैं. कहते हैं कि इस क्षेत्र पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग का प्रभाव रहा है. वह फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गिद्दड़बाहा से विधायक हैं और उम्मीद की जा रही थी कि वह एक मजबूत उम्मीदवार पर जोर देंगे. वहीं, फरीदकोट सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा वाली सीट बनकर उभर रही है. पार्टी ने कॉमिक एक्टर करमजीत अनमोल को मैदान में उतारा है, जो सीएम भगवंत मान के दोस्त हैं. सीएम इस सीट को लेकर काफी व्यक्तिगत रुचि ले रहे हैं. कांग्रेस की तरफ से कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं उतारे जाने से कथित तौर पर यह मुकाबला आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल के राजविंदर सिंह के बीच हो गया है. बीजेपी ने गायक हंस राज हंस पर भरोसा जताया है, जो उत्तर पश्चिमी दिल्ली से पार्टी के सांसद हुआ करते थे. लेकिन मुख्य रूप से ग्रामिण सीट पर उन्हें कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

होशियारपुर
इस सीट पर परंपरागत रूप से कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला देखा जा सकता है. 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान हार के बावजूद, कांग्रेस ने होशियारपुर निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में आश्चर्यजनक रूप से अच्छा प्रदर्शन किया. हालांकि, पार्टी की संभावनाओं को तब झटका लगा जब क्षेत्र से उनका सबसे प्रमुख चेहरा विधायक राजकुमार चब्बेवाल AAP का दामन थाम लिया. पार्टी ने यामिनी गोमर को मैदान में उतारा है, जो 2014 में AAP के टिकट पर इस सीट से तीसरे स्थान पर रहीं थीं. 'आप' के टिकट पर चुनाव लड़ रहे चब्बेवाल को अब इस सीट से प्रबल दावेदार के रूप में देखा जा रहा है.

आनंदपुर साहिब
कांग्रेस ने आनंदपुर साहिब सीट से मौजूदा सासंद मनीष तिवारी के स्थान पर संगरूर से पूर्व सांसद विजय इंदर सिंगला की उम्मीदवारी की घोषणा की है. मनीष तिवारी को कांग्रेस चंडीगढ़ सीट से उम्मीदवार बनाया है. बता दें कि, सिंगला आनंदपुर साहिब से नहीं हैं. वह संगरूर से सांसद और विधायक रह चुके हैं और अपने क्षेत्र में प्रभावी माने जाते हैं. हालांकि, आनंदपुर साहिब से उम्मीदवार के तौर पर वह कितने प्रभावी होंगे, इस पर सवाल हैं. इस सीट के लिए राणा गुरजीत सिंह और परगट सिंह के नाम भी चर्चा में थे. वहीं, आम आदमी पार्टी ने आनंदपुर साहिब सीट से मलविंदर सिंह कंग को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं, शिअद ने इस सीट के लिए प्रेम सिंह चंदूमाजरा पर अपना भरोसा जताया है. वहीं, बीजेपी ने सुभाष शर्मा को आनंदपुर साहिब सीट से चुनाव मैदान में उतारा है.

बठिंडा
इस सीट से आम आदमी पार्टी के मंत्री गुरमीत सिंह खुडियां चुनाव मैदान में हैं. वहीं, शिअद से कांग्रेस नेता बने जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू इस सीट पर ताल ठोकते नजर आ रहे हैं. वहीं, शिरोमणि अकाली दल ने गैंगस्टर से सामाजिक कार्यकर्ता बने लक्खा सिधाना को बठिंडा लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है. बीजेपी ने इस सीट पर नौकरशाह परमपाल कौर सिद्धू को चुनाव मैदान में उतारा है. यहां हाई-प्रोफाइल बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. ऐसा समझा जा रहा है कि,एक पूर्व अकाली को मैदान में उतारकर, कांग्रेस हरसिमरत को नुकसान पहुंचा सकती है और आप के खुड्डियां की मदद कर सकती है.

गुरदासपुर
कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और डेरा बाबा नानक से चार बार के विधायक सुखजिंदर रंधावा को गुरदासपुर से मैदान में उतारा है. रंधावा वर्तमान में इस सीट से चुनाव लड़ने वाले एकमात्र दिग्गज हैं. उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा के पूर्व विधायक दिनेश सिंह बब्बू होंगे. आप ने बटाला विधायक शेरी कलसी को मैदान में उतारा है, जो वास्तव में अपने निर्वाचन क्षेत्र के बाहर नहीं जाने जाते हैं. इससे मुकाबला मुख्य रूप से रंधावा और बब्बी के बीच तय माना जा रहा है.

लुधियाना
मौजूदा सांसद रवनीत सिंह बिट्टू के भाजपा में शामिल होने के बाद इस सीट पर कांग्रेस संकट से गुजर रही है. काफी माथापच्ची के बाद, पार्टी ने 29 अप्रैल को राज्य कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग को नामांकित किया.अब उनका मुकाबला भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे रवनीत सिंह बिट्टू, आप विधायक अशोक पाराशर पप्पी और शिअद के रणजीत सिंह ढिल्लों से है. पप्पी पहली बार विधायक बने हैं और अपने निर्वाचन क्षेत्र के बाहर उन्हें ज्यादा नहीं जाना जाता है. साथ ही एक हिंदू ब्राह्मण उम्मीदवार होने के नाते, उन्हें बिट्टू को अधिक नुकसान होने की संभावना है, क्योंकि उच्च जाति के हिंदू उनका मुख्य वोटबैंक रहे हैं. वारिंग को शहर में भी कुछ समर्थन मिलेगा लेकिन उनकी किस्मत काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि वह मुख्य रूप से तीन ग्रामीण क्षेत्रों में किस हद तक अपनी पकड़ बनाते हैं. आप के उम्मीदवार चयन ने वहां उनके लिए मामला आसान कर दिया है.

जालंधर
आम आदमी पार्टी (आप) को जालंधर में संकट का सामना करना पड़ा क्योंकि उनके दोनों मौजूदा सांसद सुशील कुमार रिंकू और उसके अधिक प्रभावशाली विधायकों में से एक शीतल अंगुराल भाजपा में चले गए. पार्टी ने इस सीट से पूर्व अकाली नेता पवन कुमार टीनू को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को जालंधर सीट से मैदान में उतारा है. एससी के लिए आरक्षित जालंधर में दलित आबादी 30 प्रतिशत से अधिक है. पंजाब के पहले और एकमात्र दलित सीएम होने के नाते चन्नी को इस सीट पर मजबूत दावेदार माना जा रहा है. बीजेपी ने जालंधर सीट से सुशील कुमार रिंकू को चुनाव मैदान में उतारा है. पार्टी को शहरी इलाकों में अच्छे वोट मिलने की उम्मीद है लेकिन ग्रामीण इलाकों में उसे संघर्ष करना पड़ सकता है. वहीं, अकाली दल ने पूर्व कांग्रेस नेता मोहिंदर सिंह कायपी को मैदान में उतारा है. ऐसे में इस सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प होने जा रहा है.

संगरूर की लड़ाई
इस चुनाव में सबसे दिलचस्प सीटों में से एक संगरूर है, जहां 'आप' मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर का मुकाबला कांग्रेस के सुखपाल सिंह खैरा और शिरोमणि अकाली दल के इकबाल सिंह झुंडन से होगा. खैरा संगरूर से नहीं हैं और कपूरथला जिले के रहने वाले हैं. लेकिन उन्हें कांग्रेस में सबसे अधिक पंथ समर्थक नेता के रूप में जाना जाता है, जो सिख मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं. खैरा को आप सरकार के सबसे उग्र आलोचकों में से एक माना जाता है और वह अपने वर्तमान कार्यकाल के दौरान जेल भी जा चुके हैं. आप की गणना यह है कि राज्य सरकार विरोधी और पंथ समर्थक वोट मान और खैरा के बीच बंट जाएंगे. दूसरी ओर, मान के समर्थकों ने खैरा के खिलाफ आक्रामक अभियान चलाया और उन पर 'पंथ के साथ विश्वासघात' करने का आरोप लगाया. खैरा की उम्मीद खुद को सबसे मजबूत आवाज के रूप में पेश करने की है जो केंद्र और राज्य दोनों सरकारों से मुकाबला कर सके और मान और आप दोनों की जगह पर कब्जा कर सके. वहीं बीजेपी ने संगरूर से पूर्व विधायक अरविंद खन्ना को चुनाव मैदान में उतारा है. यहां खन्ना का मुकाबला आप प्रत्याशी गुरमीत सिंह मीत हेयर, कांग्रेस प्रत्याशी सुखपाल सिंह खैरा, शिअद के इंकबाल सिंह झूंडन और शिरोमणि अकाली दल अमृतसर के सिमरनजीत सिंह मान से होगा.

क्या आप-कांग्रेस गठबंधन के बावजूद इंडिया ब्लॉक पंजाब में जीत हासिल कर सकता है?
अभी तक पंजाब में किसी भी पार्टी को जिताने या हराने वाली कोई स्पष्ट लहर नहीं है. लेकिन मतदाताओं के सभी वर्गों के बीच आधार होने के कारण आप और कांग्रेस शिअद या भाजपा से अधिक सीटों पर मुकाबले में हैं. 1 जून को सातवें चरण के होने वाले मतदान के बाद 4 जून को जब नतीजे आएंगे तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी. बता दें कि, लोकसभा चुनाव के 7वें और अंतिम चरण में बिहार, चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की शेष सीटों पर मतदान होगा. जानकारी के मुताबिक, 8 राज्यों की 57 सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग को कुल 2105 नामांकन पत्र प्राप्त हुए. जांच और नाम वापस लेने के बाद अब 904 उम्मीदवार मैदान में बचे हैं. अंतिम चरण में 8 राज्यों में सबसे अधिक उम्मीदवार पंजाब में हैं, जहां 13 सीटों के लिए 328 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं.

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Last Updated : May 27, 2024, 5:54 PM IST

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