देहरादून: यूं तो राजाजी पार्क को टाइगर रिजर्व के रूप में स्थापित किया जा रहा है, लेकिन इसका पश्चिमी क्षेत्र आज भी बाघों को लेकर तरस रहा है. शायद यही कारण है कि उत्तराखंड सरकार प्रोजेक्ट टाइगर के माध्यम से इस क्षेत्र की वीरानी को मिटाना चाहती है. लेकिन यह काम इतना भी आसान नहीं है. इसकी वजह यहां पहले से ही वर्चस्व स्थापित कर चुके वह गुलदार हैं, जिनकी इस क्षेत्र में अच्छी खासी संख्या मौजूद है. ताकतवर बाघ के मुकाबले गुलदार को लेकर ये बातें अटपटी लगती हैं, लेकिन राजाजी टाइगर रिजर्व की यही सच्चाई है.
राजाजी में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत ये हुआ काम:राजाजी टाइगर रिजर्व का पश्चिमी हिस्सा टाइगर की मौजूदगी वाला नहीं रहा है. हैरानी की बात यह है कि टाइगर रिजर्व के पूर्वी हिस्से में टाइगर्स की अच्छी संख्या है, जबकि पश्चिमी क्षेत्र में टाइगर कभी आना ही पसंद नहीं करते. इसकी क्या वजह रही यह कहना मुश्किल है, लेकिन आंकड़ों के रूप में देखें तो राजाजी टाइगर रिजर्व के पूर्वी हिस्से में करीब 40 से 50 बाघ मौजूद हैं. दूसरी तरफ पश्चिमी हिस्से में प्रोजेक्ट टाइगर के शुरू होने से पहले मात्र 4 से 5 टाइगर ही विचरण कर रहे थे, जो अब बढ़कर करीब 12 हो गए हैं. राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों को लाने के लिए NTCA (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) की मंजूरी के बाद प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया. दिसंबर 2020 में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से पहला बाघ लाया गया. इसके बाद जनवरी 2021 में दूसरे बाघ को ट्रांसलोकेट किया गया. इस तरह अब तक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से राजाजी टाइगर रिजर्व में चार बाघ लाए जा चुके हैं, जबकि जल्द ही एक और बाघ लाने की तैयारी है.
राजाजी टाइगर रिजर्व में गुलदार बने चुनौती:राजाजी टाइगर रिजर्व में प्रोजेक्ट टाइगर के लिए गुलदार खतरा बन गए हैं. दरअसल इस पूरे क्षेत्र में गुलदार अच्छी खासी संख्या मौजूद है. इसके विपरीत बाघ सीमित संख्या में ही यहां विचरण कर रहे हैं. हाल ही में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत चार बाघ यहां लाए गए हैं. जिसके बाद इस क्षेत्र में बाघों का कुनबा बढ़ने की उम्मीद लगाई जा रही है. लेकिन पिछले दिनों हुई एक घटना ने प्रोजेक्ट टाइगर को बड़ा झटका दिया है. पिछले दिनों एक बाघिन ने चार शावकों को जन्म दिया था. शिकार के लिए बाघिन के कुछ दूर निकलने पर गुलदार ने दो शावकों को मार दिया. शावकों के शव वन विभाग ने जंगल से ही बरामद किए हैं. इस तरह इस क्षेत्र में काफी संख्या में मौजूद गुलदार, बाघों के कुनबे के लिए मुसीबत बन गए हैं. गुलदार की संख्या अच्छी खासी होने के कारण बाघिन और उसके शावकों से इनका आमना-सामना होने की संभावना ज्यादा रहती है. ऐसे में छुपकर वार करने वाला गुलदार शावकों के लिए हर समय परेशानी बन सकता है. हालांकि पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ डॉ. समीर सिन्हा कहते हैं कि यह जंगल में प्राकृतिक संयोग है कि इस तरह की घटना राजाजी टाइगर रिजर्व में हुई है, जिसके कारण दो शावक मारे गए हैं. संभवत बाघिन शिकार के लिए निकली थी और इस दौरान घात लगाए गुलदार ने शावकों को मार दिया.