रांचीः क्रिसमस और नववर्ष को यादगार बनाने के लिए रांची का दशम, जोन्हा और हुंडरु फॉल हमेशा से सैलानियों के लिए बेस्ट डेस्टिनेशन रहा है. दिसंबर का माह शुरु होते ही यहां भीड़ जुटने लगती है. 15 जनवरी तक तीनों जलप्रपात सैलानियों से गुलजार रहते हैं. यहां झारखंड के अलग-अलग शहरों के अलावा पश्चिम बंगाल और ओड़िशा से भी पर्यटक पहुंचते हैं. आप भी अगर अपने परिवार और मित्रों के साथ यहां जाने की सोच रहे हैं तो थोड़ी सतर्कता के साथ जाएं.
सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे
रांची के तीनों फॉल हैं तो बेहद ही खूबसूरत लेकिन इनकी सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है. झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को इसकी कोई चिंता नहीं है. क्योंकि यहां ना लाइफ सेविंग जैकेट है और ना ही रिंगर. अगर कोई डूबने लगे तो पर्यटक मित्र अपनी जान जोखिम में डालकर बचाने की कोशिश करते हैं.
तीनों फॉल में कई घटनाएं घट चुकी हैं. एक माह पूर्व हुंडरु फॉल में पश्चिम बंगाल के एक युवक की पानी में डूबने से मौत हुई थी. कुछ माह पूर्व दशम फॉल में पटना के युवक की डूबने से मौत हो चुकी है.
तीनों फॉल में बदहाली की है लंबी फेहरिस्त
आपको जानकार हैरानी होगी कि तीनों पर्यटन स्थलों को राज्य सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल का तमगा दे रखा है. लेकिन बदहाली ऐसी कि यहां सैलानियों के लिए पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है. हुंडरु में बाथरुम है तो पानी नहीं है.
पर्यटक मित्रों का दर्द
दशम फॉल में 22, जोन्हा फॉल में 13 और हुंडरु फॉल में 15 पर्यटक मित्र तैनात हैं. सारी जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर है. लेकिन इनको ना तो आई कार्ड दिया गया है और ना वर्दी. साल 2018 में सभी पर्यटक मित्रों को दो जोड़ी वर्दी और जूते दिए गये थे. अब जूते और कपड़े फट चुके हैं. खाकी वर्दी नहीं होने के कारण व्यवस्था संभालने के दौरान काफी परेशानी होती है. पर्यटक आई कार्ड मांगते हैं. नशे में पहुंचे पर्यटक ज्यादा परेशानी खड़ी करते हैं.
कैसे व्यवस्था संभाल रहे हैं पर्यटन मित्र
दशम फॉल के पर्यटक मित्र जोगेश अहिर ने बताया कि डेंजर जोन को रेड रिबन से घेर दिया गया है. चट्टानों पर भी पेंटिंग की गई है. कुछ पर्यटक मित्र डेंजर जोन के आसपास नजर बनाए रखते हैं.
सीटी बजाकर लोगों को डेंजर जोन की तरफ जाने से रोका जाता है. दशम फॉल पनसताम गांव में आता है जो खूंटकटी गांव है. यहां ग्राम प्रधान के स्तर पर पार्किंग रसीद काटा जाता है. पार्किंग की वसूली गांव के लोग करते हैं. पैसे का इस्तेमाल ग्रामीणों की मदद में होता है.
हुंडरू और जोन्हा में पार्किंग की जिम्मेदारी पर्यटक मित्रों की होती है. यहां जेटीडीसी रसीद देता है. एक सैलानी को दस रु. का रसीद लेना पड़ता है. कार पार्किंग के लिए 30 रु. और बाइक के लिए 15 रु. का रसीद कटता है.
सबसे ज्यादा दिक्कत तथाकथित वीआईपी लोगों से होती है. बिना पहचान पत्र दिखाए अक्सर लोग खुद को इसका आदमी तो उसका आदमी बताकर धौंस दिखाते हैं. तीनों स्थल पर डीजे बजाने पर पाबंदी है. शराब पीने की मनाही है. प्लास्टिक और थर्मोकोल के ग्लास-प्लेट का इस्तेमाल नहीं कर सकते.
अगर आप रांची के किसी भी जलप्रपात में जाएं और किसी तरह की दिक्कत आए तो फौरन पर्यटक मित्रों से संपर्क कर सकते हैं. ये लोग सीटी बजाते नजर आ जाएंगे. गाड़ी पंक्चर होने से लेकर किसी तरह कि कहासुनी के मामले पर्यटन मित्र ही सुलझाते हैं. क्योंकि पर्यटन मित्र वहां के स्थानीय ग्रामीण होते हैं.
पर्यटन विभाग है उदासीन
इन जलप्रपातों पर विभागीय स्तर पर कोई तैयारी नहीं दिखती है. किसी तरह का गाइडलाइन नहीं है. सुविधा के नाम पर शायद ही कुछ आपको दिखे. तीनों जलप्रपात की बुनियादी जरुरतों और पर्यटन मित्रों की तकलीफ पर जेटीडीसी के अधिकारियों से संपर्क की कोशिश की गई लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया.