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ममता बनर्जी ने एंटी रेप बिल किया पेश, जानें क्या हैं मौत की सजा के प्रावधान? - RG Kar Medical College

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 3, 2024, 2:08 PM IST

Updated : Sep 3, 2024, 8:41 PM IST

Anti Rape Bill: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दो दिवसीय विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन एंटी रेप बिल पेश किया. इस बिल में महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया है.

ममता बनर्जी
ममता बनर्जी (ANI)

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर संग रेप-मर्डर केस को लेकर लगातार विरोध-प्रदर्शन जारी है. इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दो दिवसीय विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया और सत्र के दूसरे दिन यानी मंगलवार को एंटी रेप बिल पेश किया.

नए बिल का उद्देश्य पश्चिम बंगाल में लागू होने वाले नव पारित आपराधिक कानून सुधार विधेयकों भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 कानूनों और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम 2012 में संशोधन करना है.

क्या हैं बिल में प्रावधान?
इस बिल में रेप के दोषी को 10 दिनों के भीतर मौत की सजा देने का प्रावधान है. इसके अलावा इसमें रेप और गैंगरेप के दोषियों के लिए बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा का भी प्रस्ताव रखा गया है. इसमें दोषी ठहराए गए अभियुक्तों के लिए पैरोल के बिना आजीवन कारावास की सजा की भी मांग की गई है.

अपराजिता महिला और बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून और संशोधन) विधेयक 2024 नामक इस बिल में राज्य में महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया है.

विधेयक में बीएनएस, 2023 की धारा 64, 66, 70(1), 71, 72(1), 73, 124(1) और 124 (2) में संशोधन करने का प्रस्ताव है, जो मोटे तौर पर रेप, रेप और हत्या, सामूहिक बलात्कार, बार-बार अपराध करने, पीड़ित की पहचान उजागर करने और एसिड के इस्तेमाल से चोट पहुंचाने आदि के लिए सजा से संबंधित है. इसमें क्रमशः 16 , 12 और 18 साल से कम उम्र के रेप अपराधियों की सजा से संबंधित धारा 65(1), 65 (2) और 70 (2) को हटाने का भी प्रस्ताव है.

तीन हफ्ते की जांच सीमा
ऐसे अपराधों की जांच के लिए, विधेयक में तीन सप्ताह की समय-सीमा प्रस्तावित की गई है, जो पिछली दो महीने की समय-सीमा से कम है. आगे की छूट बीएनएसएस की धारा 192 के तहत बनाए गए केस डायरी में लिखित रूप में कारणों को दर्ज करने के बाद एसपी या समकक्ष के पद से नीचे के किसी भी पुलिस अधिकारी द्वारा 15 दिनों से अधिक नहीं दी जा सकती है.

विशेष टास्क फोर्स
सरकार ने जिला स्तर पर एक विशेष टास्क फोर्स बनाने की भी मांग की है, जिसका नाम 'अपराजिता टास्क फोर्स' होगा इसका नेतृत्व पुलिस उपाधीक्षक करेंगे. यह टास्क फोर्स नए प्रस्तावित कानून के तहत ऐसे अपराधों की जांच करेगा.

यह यूनिट ऐसे मामलों को प्रभावी ढंग से संभालने के लिए आवश्यक संसाधनों और विशेषज्ञता से लैस होगी और पीड़ितों और उनके परिवारों द्वारा अनुभव किए जाने वाले आघात को भी कम करेगी. विधेयक का उद्देश्य ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों की स्थापना करना भी है.

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Last Updated : Sep 3, 2024, 8:41 PM IST

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