रांचीः राज्य गठन के बाद झारखंड में पांचवी बार विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है. वोट साधने का खेल शुरु हो चुका है. लोकतंत्र में सबसे बड़ी ताकत है 'वोट'. एक वोट से हार और जीत तय होती है. सरकार बनती है और गिरती है. वोट की चर्चा इसलिए की जा रही है क्योंकि झारखंड में अबतक तीन बार ऐसे मौके आए हैं, जब महज 25, 35 और 43 वोट के अंतर से हार-जीत तय हुई है. यह रिकॉर्ड रातू महाराजा के पुत्र गोपाल एस.एन.शाहदेव के नाम है.
डबल डिजिट में हार और जीत
2005 के चुनाव में हुसैनाबाद सीट के नतीजों ने सबको चौंका दिया था. इस चुनाव में राजद के संजय कुमार की सिर्फ 35 वोट से हार हुई थी. उन्हें एनसीपी के कमलेश सिंह ने हराया था. 2009 में इस रिकॉर्ड को रातू महाराजा के पुत्र गोपाल शरण नाथ शाहदेव ने तोड़ दिया. हटिया सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर गोपाल एस. एन. शाहदेव ने भाजपा के रामजी लाल सारडा को महज 25 वोट के अंतर से हराया था. झारखंड बनने के बाद आजतक इतने कम वोट के अंतर से किसी की हार-जीत तय नहीं हुई है. तीसरा रिकॉर्ड बना साल 2014 के चुनाव में. तब खूंटी जिला के तोरपा सीट से झामुमो प्रत्याशी पौलुस सुरीन से भाजपा के कोचे मुंडा महज 43 वोट के अंतर से हार गये थे. ये तीन ऐसे चुनाव हुए जब अंतिम राउंड की काउंटिंग तक प्रत्याशी और समर्थकों की सांसें थमी रहीं.
2014 के चुनाव में कम वोट से हार-जीत
2014 में बड़कागांव सीट से कांग्रेस प्रत्याशी निर्मला देवी ने आजसू प्रत्याशी को सिर्फ 411 वोट से हराया था. दूसरे नंबर पर रही लोहरदगा सीट. यहां आजसू के कमल किशोर भगत की महज 592 वोट के अंतर से जीत हुई थी. उन्होंने कांग्रेस के सुखदेव भगत को हराया था. खास बात है कि 2009 के चुनाव में भी कमल किशोर भगत के जीत का अंतर सिर्फ 606 वोट था. उस वक्त भी सुखदेव भगत से ही मुकाबला हुआ था.
तीसरे नंबर पर राजमहल से भाजपा के अनंत कुमार ओझा का नाम आता है. इन्होंने झामुमो के मो. ताजुद्दीन को 702 वोट के अंतर से हराया था. चौथे नंबर पर संथाल की बोरियो सीट है. यहां दिलचस्प मुकाबला हुआ था. भाजपा के ताला मरांडी की महज 712 वोट से जीत हुई थी. उन्होंने झामुमो के लोबिन हेंब्रम को हराया था. पांचवें नंबर पर झामुमो के चंपई सोरेन रहे थे. इन्होंने सरायकेला में भाजपा के गणेश महली को महज 1,115 वोट से हराया था. अंत में नंबर आता है पांकी सीट का. यहां से कांग्रेस प्रत्याशी विदेश सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार कुशवाहा शशिभूषण मेहता को 1,995 वोट से हराया था. हालांकि बाद में विदेश सिंह का असमय निधन हो गया था और उनके पुत्र देवेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू ने उपचुनाव जीता था.
2019 के चुनाव में कम वोट से हार-जीत