रुद्रप्रयाग: चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो गई हैं. आज नवरात्रि का तीसरा दिन है. इसी बीच ईटीवी भारत आपको रांसी स्थित राकेश्वरी मंदिर के बारे में अवगत करा रहा है. नवरात्रि के दिनों में बड़ी संख्या में भक्त इस मंदिर में पहुंचते हैं और पूजा-अर्चना कर मां का आशीर्वाद लेते हैं. कहा जाता है कि इसी स्थान पर मां भगवती ने चंद्रमा को क्षय रोग से मुक्ति दी थी. जनपद का यह ऐसा पहला मंदिर है, जहां पर मां काली के साक्षात स्वरूप के दर्शन होते हैं. साथ ही भक्तों को शिव और हनुमान के भी साक्षात दर्शन होते हैं.
चंद्रमा को उनकी 26 पत्नियों ने दिया था श्राप:कथा के अनुसार चंद्रमा की 27 पत्नियां थी, लेकिन वह सबसे अधिक प्रेम रोहिणी नाम की पत्नी से करते थे. ऐसे में अन्य 26 पत्नियां चंद्रमा पर अमूमन नाराज रहने लगी थीं. जब इस बात का पता स्वयं रोहिणी को हुआ तो, वह अपने पिता दक्ष महाराज के शरण में चली गई और अन्य पत्नियों की नाराजगी के बारे में अपने पिता को अवगत कराया. इस बात को जानकर 26 पत्नियों ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि उन्हें अपने शरीर पर कुछ ज्यादा ही गर्व है. ऐसे में वह शीघ्र क्षय रोग से ग्रसित हो जाएंगे. श्राप का असर हुआ और चंद्रमा क्षय रोग से श्रापित हो गए. उन्होंने तीनों लोकों का भ्रमण किया, लेकिन कहीं पर भी उन्हें इस रोग से मुक्ति नहीं मिली. ऐसे में भगवान शंकर ने उन्हें दर्शन देकर राकेश्वरी मां की शरण में जाने की सलाह दी.
चंद्रमा ने राकेश्वरी मंदिर में आकर की थी तपस्या:चंद्रमा मद्महेश्वर घाटी के प्रसिद्ध राकेश्वरी मंदिर में आए और यहां पर उन्होंने कई वर्षों तक भगवती की तपस्या की. अंततः भगवती ने उन्हें दर्शन देकर उनके क्षय रोग का निवारण किया और कहा कि यह रोग पूर्ण रूप से मुक्त तो नहीं हो सकता है, लेकिन पूर्णिमा के दिन आपका यह यौवन पुनः लौट आएगा और यह रोग दूर हो जाएगा. भगवती के आशीर्वाद से भगवान चंद्रमा का क्षय रोग दूर हुआ. तब से लेकर आज तक इस स्थान पर क्षय रोगी मां भगवती से इसकी मुक्ति के लिए पूजन अर्चन करते हैं.