देवघर: जिला प्रशासन के द्वारा श्रद्धालुओं के सुरक्षा एवं उनकी सुविधा को लेकर कई प्रयास किए जाते हैं. ऐसे ही एक प्रयास में शुमार है देवघर जिला प्रशासन का खोया-पाया केंद्र. खोया-पाया केंद्र में वैसे लोगों को मदद किया जाता है जो मेले में अपने जत्थे से दूर हो गए हो या फिर कोई बुजुर्ग या बच्चा अपने परिवार से अलग हो गया हो.
खोया पाया केंद्र के बारे में जानकारी देते कर्मचारी (ETV BHARAT) 25 से 30 हजार बिछड़े श्रद्धालुओं को मिला लाभ
इस वर्ष के श्रावणी मेला में बनाए गए खोया-पाया केंद्र के माध्यम से करीब पच्चीस से तीस हजार लोगों को उनके अपनों से मिलाया गया है. साथ ही कई लोगों को उनके गंतव्य स्थान पर पहुंचाने का काम किया गया.
जिला प्रशासन ने खोले 32 केंद्र
पूरे जिले में प्रशासन के द्वारा 32 खोया-पाया केंद्र बनाए गए, जिसमें लगभग 200 कर्मचारी को तैनात किए गए हैं, जो तीन शिफ्ट में काम कर रहे हैं. श्रावणी मेला के दौरान पूरे 24 घंटे तत्पर इन कर्मचारियों ने अपनी जिम्मेदारी का भरपूर निर्वहन किया.
कर्मचारियों को भी मिलती है खुशी
सर्राफ स्कूल स्थित बनाए गए खोया-पाया केंद्र में बैठे कर्मचारी अभिषेक कुमार ने बताया कि अभी तक करीब 25 से 30 हजार लोगों को उनके परिवार से मिलाया गया है. कर्मचारी मनीष कुमार बताते हैं कि जब वह अपने काम के माध्यम से दूसरे के चेहरे पर खुशी लाते हैं तो यह देखकर उन्हें भी काफी खुशी होती है. वहीं, खोया-पाया केंद्र पर अनाउंस कर रही दिशा कुमारी बताती है कि जब किसी बच्चे को उनके माता-पिता से मिलाया जाता है या फिर किसी बुजुर्ग को उनके परिवार से मिलवाते हैं तो उन्हें काफी अच्छा लगता है.
जिला प्रशासन की ओर से दी जाती है विशेष ट्रेनिंग
उन्होंने बताया कि इसके लिए उन्हें सूचना एवं प्रसारण केंद्र से विशेष ट्रेनिंग दी जाती है. जिले के जनसंपर्क पदाधिकारी राहुल कुमार भारती के द्वारा समय-समय पर विशेष ट्रेनिंग भी करायी जाती है. खोया-पाया केंद्र पर खोए हुए लोगों की कैसे काउंसलिंग की जाए और उन्हें किस प्रकार से उनके परिवार तक पहुंचाया जाए, इसकी ट्रेनिंग दी जाती है.
आर्थिक मदद और रेलवे टिकट की भी सहायता
वहीं, कर्मचारियों ने बताया कि कई ऐसे श्रद्धालु आते हैं जो अपने परिवार से बिछड़ जाते हैं. कुछ के पास पैसे भी नहीं रहते हैं. वैसे श्रद्धालुओं को जिला प्रशासन की तरफ से टिकट बनाकर उनके घर तक भेजा जाता है और जब वह घर पहुंचते हैं तो फिर वह अपने परिवार से बात करवाकर हमें धन्यवाद देते हैं. सूचना केंद्र पर श्रद्धालुओं को रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड तक पहुंचाने के लिए एक ऑटो रखी गई है, जो श्रद्धालुओं को स्टेशन और बस स्टैंड तक पहुंचाने का काम करती है.
श्रद्धालुओं की उम्मीद होती है पूरी
गौरतलब है कि जिला प्रशासन के द्वारा बनाए गए 32 खोया-पाया केंद्रों पर श्रद्धालु उम्मीद के साथ पहुंचते हैं. वहां पर बैठे कर्मचारियों की मदद और जिला प्रशासन के द्वारा की गई व्यवस्था से लोगों की उम्मीद पूरी होती है. खोया-पाया केंद्र पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने कहा कि यह केंद्र असहाय लोगों को काफी मदद पहुंचा रहा है. अपने जत्थे से बिछड़ने वाली श्रद्धालु प्रमिला देवी ने बताया कि जब वह अपने लोगों से अलग हो गई तो थोड़ी देर के लिए घबरा गई थी लेकिन जब वह खोया-पाया केंद्र पहुंची तो यहां के लोगों ने उन्हें टिकट देकर घर तक पहुंचाने का काम किया.
स्थानीय युवाओं को मिलता है रोजगार
खोया-पाया केंद्र के लिए जिला प्रशासन जिले के युवाओं को दो महीने के लिए रोजगार देती है. इससे श्रद्धालुओं की मदद के साथ-साथ स्थानीय युवाओं को भी रोजगार मिल जाता है. केंद्र पर काम कर रही दिशा व्यास ने कहा कि इस तरह की व्यवस्थाओं के माध्यम से जिले की युवा रोजगार पाते ही हैं. साथ ही उन्हें समाज के लिए अच्छा काम करने का मौका भी मिलता है.
बता दें कि सावन के महीने में लाखों की संख्या में श्रद्धालु देवघर की धरती पर बाबा धाम पहुंचते हैं. अत्यधिक भीड़ होने के कारण कई बार बच्चे और बुजुर्ग अपने परिजनों से बिछड़ जाते हैं. जिसके चलते जिला प्रशासन ने खोया-पाया केंद्र बनाया है, जिसके माध्यम से उनके परिवार से मिलाया जाता है. सावन महीने के बाद भी एक महीने तक तीन से चार खोया-पाया केंद्र क्रियान्वित रहते हैं.
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