कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने सीपीएम नेता एम स्वराज की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें थ्रिपुनिथुरा से पूर्व मंत्री के. बाबू के चुनाव को अमान्य घोषित करने की मांग की गई थी. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बाबू विधायक बने रह सकते हैं.
हाई कोर्ट ने 2021 में के. बाबू के चुनाव पर सवाल उठाने वाली विरोधी उम्मीदवार एम स्वराज की याचिका खारिज कर दी. याचिका में स्वराज ने सबरीमाला अय्यप्पन की तस्वीर वाली मतदाता पर्चियों के वितरण के सबूत पेश कर चुनाव रद्द करने की मांग की थी. अदालत की कार्रवाई में बताया गया कि याचिका में लगाए गए आरोप साबित नहीं किए जा सके, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मतदाताओं को पर्चियां दी गईं.
कोर्ट ने कहा कि गवाही को मान्य करने के लिए कोई सबूत नहीं है, अकेले गवाही पर विचार नहीं किया जा सकता है, और गवाह पेश किए गए एम स्वराज द्वारा लिखित बयान विश्वसनीय नहीं हैं.
ये है मामला :याचिकाकर्ता सीपीएम नेता एम स्वराज 2021 में त्रिपुनिथुरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार थे. चुनाव में के. बाबू को विधायक चुना गया था. तब स्वराज ने चुनाव याचिका दायर करते हुए कहा था कि के. बाबू और यूडीएफ कार्यकर्ताओं ने निर्वाचन क्षेत्र में व्यापक रूप से प्रचार किया था कि अगर उन्होंने स्वराज को वोट दिया तो भगवान अयप्पा नाराज हो जाएंगे. पर्ची पर अय्यप्पन की तस्वीर और कांग्रेस का हाथ का निशान था. अपनी चुनाव याचिका में स्वराज ने आरोप लगाया था कि यूडीएफ कार्यकर्ताओं ने प्रचार किया कि 'यह त्रिपुनिथुरा निर्वाचन क्षेत्र में सबरीमाला अय्यप्पन और स्वराज के बीच मुकाबला है' और अय्यप्पन के नाम का उल्लेख करते हुए वॉल पेंटिंग बनाई गई थीं.