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केरल: पंचायत सदस्य ने दान किया चार साल का मानदेय, बेसहारा परिवार को दिया घर - Panchayat Member Donates Salary

केरल के कासरगोड के एक पंचायत सदस्य ने मानवता की एक मिसाल कायम की है. पी शिवप्रसाद नाम के इस व्यक्ति ने अपने चार साल का पूरा मानदेय दान करके एक बेघर परिवार को घर देने का काम किया है.

Panchayat member donated honorarium
पंचायत सदस्य ने दान किया मानदेय (फोटो - ETV Bharat Kerala Desk)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 24, 2024, 1:54 PM IST

कासरगोड: सिर्फ़ 6 महीने पहले ही पी. शिवप्रसाद को बेविंजा की रहने वाली शर्मिला की दयनीय कहानी के बारे में पता चला. ब्रेन ट्यूमर के कारण अपने पति की मौत के बाद शर्मिला और उनके दो छोटे बच्चे बेसहारा हो गए. वह अपने दो बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए संघर्ष कर रही थी. वे अपने खुद के टाइल वाले घर में रह रहे थे.

उसके पति के भाइयों की भी बीमारी से मौत हो गई. उस समय तक उनका घर भी ढह गया और वे बेसहारा हो गए. शर्मिला ने नया घर बनाने के लिए वित्तीय सहायता के लिए सरकारी अधिकारियों से संपर्क किया. हालांकि, जीवन मिशन और प्रधानमंत्री आवास योजना में प्रक्रिया में देरी हुई. उस समय, शिवप्रसाद को इस परिवार के बारे में पता चला और उन्होंने उनकी मदद करने के बारे में सोचा.

पंचायत सदस्य का मासिक मानदेय आठ हजार रुपए है. पी शिवप्रसाद ने घोषणा की कि वे शर्मिला के परिवार के लिए घर बनाने के लिए अपना अब तक का पूरा मानदेय दान कर देंगे. उन्होंने कुडुंबश्री कार्यकर्ताओं से भी सहायता मांगी. उन्होंने भी मदद की पेशकश की. वार्ड के कुडुंबश्री कार्यकर्ताओं ने भी शर्मिला के सपनों के घर को पूरा करने के लिए एक लाख रुपए से अधिक का दान दिया.

स्थानीय लोगों की मदद से घर का काम छह महीने में पूरा हो गया. शर्मिला और उनके परिवार के लिए सपनों का घर बनकर तैयार हो चुका है. 700 वर्ग फीट के इस मकान में दो बेडरूम, एक हॉल और रसोई है, जिसकी लागत अब तक करीब 7.5 लाख रुपये आ चुकी है. शिवप्रसाद और कुदुंबश्री के कार्यकर्ता शुभ समय पर शर्मिला को यह मकान सौंपने की तैयारी कर रहे हैं.

चेंगला पंचायत के सोलहवें वार्ड के सदस्य शिवप्रसाद कोई सेलिब्रिटी या जानी-मानी हस्ती नहीं हैं. लेकिन उन्होंने समाज को दिखाया कि सच्चे लोक सेवक हमारे आस-पास के गरीबों और ज़रूरतमंदों के जीवन को बदल सकते हैं. अपने चार साल के मानदेय को एक ज़रूरतमंद परिवार के लिए खर्च करके उन्होंने सभी लोक सेवकों के लिए एक निस्वार्थ आदर्श बनाया है.

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