कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए त्रिशूर पूरम के दौरान हाथियों और भीड़ के बीच छह मीटर की दूरी अनिवार्य कर दी. न्यायमूर्ति जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति पी गोपीनाथ की अवकाश पीठ (Vacation Bench) ने उत्सव में हाथियों को लाए जाने पर थेवत्ती और चेंडा मेलम जैसे कार्यक्रम आयोजित करने से इनकार कर दिया. लेकिन अनुष्ठानिक 'कुथुविलक्कू' के लिए छूट होगी. केरल में भीषण गर्मी को देखते हुए कोर्ट ने ऐसी परिस्थितियों में दूरी बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया. इससे पहले वन विभाग ने हाथियों और भीड़ के बीच 50 मीटर की दूरी बनाए रखने के अपने आदेश को वापस ले लिया था. विभाग ने मुख्य वन्यजीव वार्डन द्वारा जारी विवादास्पद परिपत्र में संशोधन किया था, जिसमें पूजा स्थलों में उत्सव के हिस्से के रूप में हाथियों की परेड पर प्रतिबंध लगाया गया था.
हाथियों और भीड़ के बीच 6 मीटर की दूरी अनिवार्य
संशोधित आदेश में यह सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था करने का सुझाव दिया गया है कि जुलूस के दौरान हाथियों को परेशान न किया जाए. कार्यवाही के दौरान, तिरुवंबदी देवास्वोम ने पांच-छह मीटर की दूरी का सुझाव दिया, जिसे अदालत ने मंजूरी दे दी. बता दें कि, पूरम से एक दिन पहले 18 अप्रैल को हाथियों का फिटनेस परीक्षण निर्धारित है. जिसे जिला कलेक्टर की अध्यक्षता वाली एक समिति 100 भाग लेने वाले हाथियों के लिए ये परीक्षण करेगी. अदालत ने वन विभाग के मुख्य वन्यजीव वार्डन को जानवरों की फिटनेस सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, साथ ही अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए फिटनेस प्रमाणपत्रों को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया. इसके अलावा, अदालत ने कार्यवाही में हस्तक्षेप के बिना, हाथी फिटनेस परीक्षण के दौरान परमेक्कावु और तिरुवंबदी देवस्वोम्स के अध्यक्षों की उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया. उन्हें समिति को अपनी राय बताने की अनुमति है.