एर्नाकुलम: हाल ही में एक फैसले में केरल हाई कोर्ट ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) से धन की उपलब्धता और उपयोग पर आवश्यक जानकारी मुहैया करने में विफल रहने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की. कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि उसे वायनाड भूस्खलन पुनर्वास के लिए बार-बार केंद्र सरकार को दोष देना बंद करना चाहिए तथा आवंटन रणनीति की कमी के कारण अधिक धनराशि की मांग करनी चाहिए.
हाई कोर्ट ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष में आवंटन की पर्याप्तता पर भी संदेह जताया. न्यायमूर्ति ए.के. जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति मोहम्मद नियास सी.पी. की पीठ ने राज्य सरकार को राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष से धन के आवंटन और उपयोग का स्पष्ट विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. साथ ही कोर्ट ने केंद्र को प्रदान की गई सहायता का विवरण भी प्रस्तुत करने को कहा. यद्यपि केंद्र ने हलफनामा दायर किया था, लेकिन राज्य सटीक आंकड़े देने में विफल रहा.
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए सवाल किया कि जब आपदा प्रतिक्रिया प्राधिकरण के वित्त अधिकारी उपस्थित हुए तो क्या कोई ऑडिटिंग की जा रही थी. राज्य सरकार ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) में 677 करोड़ रुपये की उपलब्धता स्वीकार की है. हालांकि, उसने कोर्ट को बताया कि वह केंद्र सरकार द्वारा तत्काल सहायता के लिए आवंटित धनराशि का उपयोग तब तक नहीं कर सकता, जब तक कि यह साबित न हो जाए कि एसडीआरएफ निधि का 50 फीसदी खर्च किया जा चुका है.
कार्यवाही के दौरान राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन विभाग के वित्त अधिकारी के साथ मिलकर बताया कि एसडीआरएफ में 677 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध होनी चाहिए. हालांकि, वे यह स्पष्ट करने में असमर्थ रहे कि इस राशि का कितना प्रतिशत विशेष रूप से वायनाड में आपदा राहत प्रयासों के लिए आवंटित किया जा सकता है. हाई कोर्ट ने टिप्पणी की, "आपके एसडीआरएफ खाते में 677 करोड़ रुपये हैं. इसकी तत्काल आवश्यकता है, फिर भी आप दावा करते हैं कि आपको नहीं पता कि पूर्व प्रतिबद्धताओं के कारण कितना खर्च किया जा सकता है. आपको इस बात का कुछ अंदाजा होना चाहिए कि आज खर्च करने के लिए कितना उपलब्ध है. किसी भी समझदार व्यक्ति को यह पता होना चाहिए. क्या आप हमें एक मोटा अनुमान दे सकते हैं? अगर आप एक अनुमानित आंकड़ा भी नहीं दे सकते, तो फंड न मिलने या न मिलने के बारे में इस चर्चा को जारी रखने का कोई मतलब नहीं है."
अदालत ने उपहास करते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में ऑडिट चल रहा है, लेकिन रिपोर्ट देखने की कोई जरूरत नहीं है. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि आपदा प्रबंधन प्राधिकरण पर आंकड़ों को ठीक से न संभालने का आरोप लगाकर वह किसे बेवकूफ बना रही है. इसके अलावा, कोर्ट ने सवाल किया कि यदि राज्य सरकार एसडीआरएफ में धनराशि के बारे में ब्यौरा देने या व्यय को स्पष्ट करने में असमर्थ है, तो वह केंद्र सरकार से आगे सहायता का अनुरोध कैसे कर सकती है. कोर्ट ने कहा कि जब तक यह नहीं बताया जाता कि एसडीआरएफ से खर्च करने के लिए कितना पैसा उपलब्ध है, तब तक वह केंद्र सरकार को सहायता के लिए धन आवंटित करने का निर्देश देने वाला आदेश पारित नहीं कर सकती. कोर्ट ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट के लिए मामले को 12 दिसंबर तक के लिए टाल दिया है.
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