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कर्नाटक हाईकोर्ट ने पलटा ट्रायल कोर्ट का फैसला, मां की हत्या के लिए व्यक्ति को सजा सुनाई - Mother Murder case - MOTHER MURDER CASE

Mother Murder case: बेंगलुरु हाई कोर्ट ने अपनी मां की हत्या करने वाले आरोपी को छह महीने की सामुदायिक सेवा देने का आदेश दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

Mother Murder case
कर्नाटक हाईकोर्ट ने पलटा ट्रायल कोर्ट फैसला (Etv Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 3, 2024, 3:15 PM IST

Updated : May 3, 2024, 3:37 PM IST

बेंगलुरु: ट्रायल कोर्ट के बरी करने के आदेश को पलटते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक शराबी व्यक्ति को कड़ी सजा सुनाई है. दरअसल, अदालत ने अप्रैल 2015 में नशे की हालत में अपनी 60 वर्षीय मां गंगम्मा की हत्या के आरोप में कोडागु जिले के एक व्यक्ति को दोषी ठहराया है. जस्टिस केएस मुदगल और टीजी शिवशंकर गौड़ा की उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने संपाजे के एनबी अनिल को दोषी ठहराया है और उसपर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. इसके साथ ही दो साल की कैद जो वह पहले ही काट चुका था, उसको सजा का हिस्सा माना.

कोर्ट के आदेश के अनुरुप, सुधार अभ्यास के रूप में अनिल को संपाजे के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में हाउसकीपिंग, बागवानी आदि जैसी सामुदायिक सेवाएं प्रदान भी करनी होंगी. जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण और सार्वजनिक शिक्षा विभाग को इस उद्देश्य के लिए समन्वय करने का निर्देश दिया गया है. अदालत ने कहा, अगर अनिल सामुदायिक सेवा करने में विफल रहता है, तो उसे अतिरिक्त 25,000 रुपये का जुर्माना देना होगा और डिफ़ॉल्ट रूप से तीन महीने की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी.

अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि 4 अप्रैल, 2015 को सुबह 11 बजे, जब गंगम्मा ने अपने मनमौजी बेटे को डांटा, तो उसने एक क्लब से हमला किया और लात मारी, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं. गंगम्मा को सुलिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां पुलिस ने उसका बयान दर्ज किया और उसे मंगलुरु के वेनलॉक अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया, जहां 5 अप्रैल, 2015 को सुबह 4.45 बजे उसकी मृत्यु हो गई.

हत्या का मामला दर्ज किया गया और 2 मार्च, 2017 को ट्रायल कोर्ट ने अनिल को बरी कर दिया. इस आधार पर कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि गंगम्मा बयान देने के लिए उपयुक्त थीं और आरोप उचित संदेह से परे साबित नहीं हुआ था. मडिकेरी ग्रामीण पुलिस ने फैसले के खिलाफ एचसी के समक्ष अपील की. एचसी सरकार के वकील थेजेश पी ने तर्क दिया कि उसका मृत्युपूर्व बयान ठोस और लगातार सबूतों से साबित हुआ था.

डाक्टर द्वारा मृत्यु पूर्व दिए गए बयान में फिटनेस प्रमाणित करने में असफल होना ही उस पर अविश्वास करने का आधार नहीं है. रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य से पता चलता है कि पीड़िता बयान देने के लिए फिट थी. चूंकि प्रत्यक्षदर्शी और अन्य स्वतंत्र गवाह आरोपी के करीबी रिश्तेदार हैं, इसलिए वे उसे बचाने के लिए मुकर गए.

लेकिन, अनिल ने दावा किया कि उसकी मां की मौत अल्कोहलिक अल्सर से हुई है. खंडपीठ ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि गंगम्मा अल्कोहलिक अल्सर से पीड़ित थीं. पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने मृत्यु पूर्व दिए गए बयान पर इस आधार पर विश्वास नहीं किया कि उसके पास फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं था और चश्मदीद गवाहों तथा पीड़ित के परिवार के अन्य सदस्यों ने उसका समर्थन नहीं किया था. यह गंभीर गलती थी.

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Last Updated : May 3, 2024, 3:37 PM IST

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