नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसने राज्य बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में कक्षा 5, 8, 9 और 11 के लिए बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति दी थी. शीर्ष अदालत ने कर्नाटक सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि उसने न केवल छात्रों और उनके अभिभावकों बल्कि शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन के लिए भी बड़ी परेशानी पैदा करने की कोशिश की.
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि परीक्षाओं के परिणाम को स्थगित रखा जाए और इसे किसी भी कीमत पर छात्रों या अभिभावकों को सूचित नहीं किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि कर्नाटक उच्च न्यायालय के 22 मार्च को पारित आदेश के बाद कर्नाटक राज्य गुणवत्ता मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद ने 4 अप्रैल को स्कूलों को 8 अप्रैल को परीक्षा परिणाम प्रकाशित करने का निर्देश जारी किया था.
शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया उच्च न्यायालय का आदेश शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (RTE) के अनुरूप नहीं लगता है. पीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने न केवल छात्रों और उनके अभिभावकों बल्कि शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन के लिए भी बड़ी परेशानी पैदा करने की कोशिश की. सुप्रीम कोर्ट पंजीकृत गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूल प्रबंधन एसोसिएशन कर्नाटक और अन्य द्वारा बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
बता दें कि 12 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट की खंडपीठ के उस अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें राज्य सरकार को कक्षा 5,8 और 9 के छात्रों के योगात्मक मूल्यांकन के लिए बोर्ड परीक्षा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आयोजित करने के लिए हरी झंडी दी गई थी. ये परीक्षाएं 11 मार्च से शुरू हो रही थीं. सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार के वकील से कहा कि आपने देश की पूरी शिक्षा प्रणाली को खराब कर दिया है और अब आप इसे जटिल बनाना चाहते हैं. कृपया वैसा मत करो….. सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि कर्नाटक राज्य गुणवत्ता मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद ने 4 अप्रैल की देर शाम को सभी स्कूलों को 8 अप्रैल को सुबह 9 बजे से पहले परिणाम प्रकाशित करने का निर्देश जारी किया. वहीं शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने पर आमादा है. शीर्ष अदालत ने याचिकाओं पर नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को तय की है.
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