बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को मंत्रिमंडल से तुरंत हटाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि जिन्हें बजट गणना की मूल बातें भी नहीं पता हैं, ऐसे लोगों के हाथ में वित्तीय लेखा-जोखा देना बहुत खतरनाक फैसला है. बजट संबंधी बुनियादी जानकारी के बिना सीतारमण को वित्त मंत्री बनाये रखना सही नहीं है.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने निर्मला सीतारमण की रविवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में बोलते हुए वित्त मंत्री की आलोचना की. इसके साथ ही कहा कि वे मोदी सरकार की तरफ से कर्नाटक के साथ किए गए अन्याय को छिपाने के लिए काफी प्रयास कर रही हैं. कर्नाटक के सीएम ने कहा कि सीतारमण के भ्रामक बयानों से आखिरकार यह पता चलता है कि केंद्र सरकार ने कर्नाटक को काफी कम सहायता दी है.
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि सीतारमण के अनुसार, पिछली यूपीए सरकार (2004-2014) ने कर्नाटक को 60,779 करोड़ रुपये दिए थे, जबकि एनडीए सरकार (2014-2024) ने 2,36,955 करोड़ रुपये दिए. हालांकि, वे यह बताना भूल गए हैं कि पिछले दस वर्षों में केंद्र सरकार के बजट का आकार कितना बढ़ा है. क्या यह चूक अज्ञानता के कारण है या जनता को गुमराह करने का जानबूझकर किया गया प्रयास है, इसे स्पष्ट करने की आवश्यकता है. 2013-2014 में सेंट्रल गवर्नमेंट का बजट 16.06 लाख करोड़ रुपये था. उस समय कर्नाटक को अनुदान के रूप में 16,428 करोड़ रुपए और कर हिस्सेदारी के रूप में 15,005 करोड़ रुपए मिले थे, जो कुल 31,483 करोड़ रुपए थे, जो कुल बजट का 1.9 प्रतिशत था.
2024-2025 में सेंट्रल गवर्नमेंट का बजट साइज 48.02 लाख करोड़ रुपये है. इस अवधि के दौरान, कर्नाटक को अनुदान के रूप में 15,229 करोड़ रुपये और कर हिस्सेदारी के रूप में 44,485 करोड़ रुपए मिलेंगे जो कुल बजट का 1.2 फीसदी है. अगर कर्नाटक को 2013-2014 की तरह ही 1.9 फीसदी हिस्सा मिलता, तो राज्य को 91,580 करोड़ रुपये मिलते. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के अनुचित बर्ताव के कारण कर्नाटक को 2024-25 के लिए 31,866 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र सरकार से कर्नाटक के कर हिस्से में वृद्धि का दावा करते हुए भ्रामक बयान दिया है. उनके अनुसार, कर्नाटक को यूपीए सरकार के दौरान 81,791 करोड़ रुपये और एनडीए सरकार (2014-2024) के दौरान 2.9 लाख करोड़ रुपये मिले. हालांकि, 14वें वित्त आयोग ने कर्नाटक का कर हिस्सा 4.72 प्रतिशत निर्धारित किया था, जिसे 15वें वित्त आयोग ने घटाकर 3.64 प्रतिशत कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप पिछले पांच वर्षों में अकेले टैक्स हिस्से में 62,098 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ. सीतारमण ने इस महत्वपूर्ण कमी को छिपाने का प्रयास किया है.सिद्धारमैया ने कहा कि 2024-25 के लिए अनुदान सहायता अभी भी यूपीए के तहत 2013-14 में प्राप्त की गई राशि से कम है.