बेंगलुरु: कर्नाटक में आर्थिक अपराध के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. इन मामलों से निपटने के लिए करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी से जुड़े कई मामले आपराधिक जांच विभाग (CID) को सौंप दिए गए हैं. ऐसे में सीआईडी ने आर्थिक अपराध मामलों की जांच में सहायता के लिए वित्तीय विशेषज्ञों और एकाउंटेंट को नियुक्त करने का फैसला किया है.
जानकारी के मुताबिक सीआईडी ने चार लोगों को नियुक्त करने का फैसला किया है, जो मामलों की त्वरित जांच में मदद कर सकते हैं. आर्थिक अपराध, जमाकर्ता धोखाधड़ी जांच और सीआईडी की वित्तीय अपराध शाखा में अब तक 700 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें से कर्नाटक के वित्तीय प्रतिष्ठानों में जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण अधिनियम (KPIDFE) और अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम-2019 के तहत 210 मामलों की जांच की जा रही है.
आर्थिक अपराध के मामलों की जांच चुनौतीपूर्ण
अधिकारियों ने कहा कि आर्थिक अपराध जैसे मामलों की जांच करना चुनौतीपूर्ण है. बिटकॉइन और बैंकिंग क्षेत्र में करोड़ों रुपये के गबन जैसे मामलों में सीआईडी पुलिस के लिए पैसे के ट्रांसफर का सोर्स जानना मुश्किल है. इससे जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. अधिकारियों ने कहा कि सीआईडी जांच में तेजी लाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर चार वित्तीय विशेषज्ञों को नियुक्त करके मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क को तोड़ना चाहती है.
राज्य में आर्थिक अपराध साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं. बेलगावी के गोकक महालक्ष्मी अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक में हाल ही में 74.89 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है. आरोपियों के खिलाफ KPIDFE ने मामला दर्ज किया है. बेलगावी एसपी भीमा शंकर गुलेड़ ने इस संबंध में सीआईडीजांच का अनुरोध किया है.
धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए ऑडिट रिपोर्ट
अधिकारियों ने बताया कि सीआईडी में अब तक दर्ज हजारों मामलों में से आर्थिक अपराध के मामले बहुत अधिक संख्या में हैं. सहकारी बैंकों द्वारा अधिक लाभांश या ब्याज का लालच दिखाकर और भोले-भाले लोगों पर भरोसा करके करोड़ों रुपये के घोटाले के अधिकांश मामले दर्ज हैं.