कानपुर :अपने प्रवचनों से लोगों को दिलों में भक्ति का भाव जगाने वाले चर्चित संत प्रेमानंद जी महाराज कानपुर के रहने वाले हैं. नर्वल इलाके के अखरी गांव में वह पले-बढ़े हैं. यह गांव शहर से 40 किमी दूर है. रामादेवी चौराहे से आगे नर्वल मोड़ से होकर 3 किमी का दूरा पर नर्वल थाना आ जाता है. थाने के बाईं ओर से ही अखरी गांव की ओर से एक सड़क गई है. गांव में दाखिल होते ही राधे-राधे की गूंज सुनाई देती है. घरों के बाहर लोग प्रेमानंद जी महाराज की चर्चा करते दिखाई देते हैं. गांव में प्रवेश करने पर करीब 200 मीटर पर दूरी पर महाराज जी का घर है. यहां उनके बड़े भाई गणेश दीक्षित रहते हैं. दाईं ओर वाले घर को उनकी जन्मस्थली कहा जाता है. ईटीवी भारत की टीम से गांव के लोगों ने कई अहम जानकारियां साझा कीं.
पारिवारिक सदस्य भानु बोले- हमारे घर पर करते थे कसरत :प्रेमानंद महाराज को लेकर पारिवारिक सदस्य भानु प्रकाश ने बताया कि जब बचपन में महाराज जी यहां आते थे तो कसरत करते थे. घर के सामने बने मैदान में बैठते थे और लोगों से खूब बात करते थे. उनके अंदर भगवान को लेकर अद्भुत भक्तिभाव हमेशा रहता था. वह सभी से कहते थे कि अपने आराध्य का ध्यान जरूर करो. अखरी गांव के इस घर में भी चारों ओर राधा-राधा ही लिखा हुआ दिखता है. इसी तरह ही गांव के निवासी गौरव ने कहा कि स्वामी प्रेमानंद के प्रति लोगों की अद्भुत आस्था है. सभी उनके दर्शन को व्याकुल रहते हैं.
8वीं तक साथ पढ़े रजोल बोले- अचानक ही पहुंचे वृंदावन : स्वामी प्रेमानंद महाराज या अनिरुद्ध पांडे (गांव में लोग इसी नाम से जानते हैं) के साथ 8वीं तक की पढ़ाई करने वाले उनके बचपन के मित्र रजोल ने बताया कि स्कूल तक साथ आना-जाना हुआ. स्वामी जी के अंदर गांव से लगाव, गायों से लगाव खूब रहा. अपने चाचा के साथ वह हमेशा गंगा स्नान करने गए. साथ ही बातों-बातों में कहा करते थे हमें संन्यासी जीवन जीना है. इसके बाद एक दिन अचानक रात में 12 बजे वह अपने घर से चले गए.