नई दिल्ली:दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में गिरफ्तार बीआरएस नेता के. कविता के वकील ने सोमवार को राउज एवेन्यू कोर्ट को बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) एक 'उत्पीड़न एजेंसी' के रूप में काम कर रही है और उनके मुवक्किल के खिलाफ जांच 'पूरी तरह से प्रेरित' थी. विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा के सामने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कविता की जमानत के लिए दलीलें दीं. कहा कि इसमें कोई निष्पक्षता नहीं है. मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी.
सिंघवी ने कहा कि प्रतिदिन एक समन ईडी को उसी तरह खुश रखता है जैसे प्रतिदिन एक सेब खाने से डॉक्टर की जरूरत नहीं पड़ती. जब कोर्ट ने पूछा कि आप अंतरिम जमानत याचिका पर दलीलें रख रहे हैं या नियमित जमानत याचिका पर तो सिंघवी ने कहा कि वे दोनों पर दलीलें रख रहे हैं. अगर अंतरिम जमानत याचिका खारिज भी की जाती है तो नियमित जमानत याचिका का विकल्प खुला है और ये कोर्ट का विशेषाधिकार है.
उन्होंने आगे कहा कि समन जारी करने के बाद ED ने सुप्रीम कोर्ट में एक मेंशनिंग नोट दाखिल किया. 15 मार्च को उस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. एएसजी राजू अपने बयानों से ही मुकर गए, जो गलत है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 19 मार्च के लिए टाल दिया था, लेकिन ईडी 15 मार्च को ही के कविता के घर पर पहुंच गई. के. कविता की समाज में जड़ें गहरी हैं और उन्हें एक सामान्य अपराधी या गैंगस्टर की तरह नहीं माना जा सकता है.
वहीं, ईडी की तरफ से पेश वकील जोहेब हुसैन ने सिंघवी की इस दलील पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वे अंतरिम और नियमित दोनों याचिकाओं पर दलीलें रख रहे हैं. आज केवल अंतरिम जमानत पर दलीलें रखी जानी थीं. के. कविता ने अपने बेटे की परीक्षा के लिए अंतरिम जमानत की मांग की और यही दलील नियमित जमानत के लिए नहीं रखी जा सकती है.