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जम्मू-कश्मीर: शब-ए-बारात पर श्रीनगर जामिया मस्जिद 'जबरन बंद, मीरवाइज उमर फारूक नजरबंद' - जामा मस्जिद श्रीनगर

Mirwaiz Umar Farooq : श्रीनगर जामिया मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करने वाली समिति अंजुमन औकाफ ने एक बयान में कहा कि अधिकारियों ने मस्जिद के दरवाजे जबरन बंद कर दिए हैं. इसके अलावा मस्जिद में सामूहिक प्रार्थना का नेतृत्व करने से रोकने के मद्देनजर मीरवाइज उमर फारूक को घर में कैद कर दिया है. पढ़िए पूरी खबर...

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जम्मू-कश्मीर

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 26, 2024, 6:59 PM IST

श्रीनगर: अंजुमन औकाफ जामा मस्जिद ने सोमवार को शब-ए-बारात के अवसर पर जम्मू और कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में ऐतिहासिक जामा मस्जिद के दरवाजे बंद करने की निंदा की है. साथ ही इस अवसर पर मस्जिद में सामूहिक प्रार्थना का नेतृत्व करने से रोकने के लिए कश्मीर के अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंद कर दिया गया.

इस संबंध में जारी एक बयान में, अंजुमन ने अधिकारियों के कार्यों की निंदा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि रमजान के पवित्र महीने से पहले शाबान के चल रहे पवित्र दिनों के दौरान, जब मस्जिदें प्रार्थनाओं और धार्मिक समारोहों से गूंजती हैं, तो केंद्रीय जामा मस्जिद सबसे महत्वपूर्ण घाटी में धार्मिक केंद्र खामोश रहता है. अंजुमन औकाफ ने एक पोस्ट में लिखा, 'एक बार फिर शब ए बारात के शुभ अवसर पर अधिकारियों द्वारा जामा मस्जिद श्रीनगर के द्वार जबरन बंद कर दिए गए, जबकि मीरवाइज को घर में नजरबंद कर दिया गया, इसलिए जामा मस्जिद और शब ख्वानी में शबे बारात पर सामूहिक प्रार्थना की अनुमति नहीं दी गई.

मस्जिद समिति ने कहा कि ऐतिहासिक मस्जिद दुआओं से गूंजती रहती थी और इसमें भाग लेने के लिए हजारों की संख्या में लोग आते थे. अंजुमन ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और लोग इस बात से बेहद परेशान और दुखी हैं कि अधिकारी उनके केंद्रीय धार्मिक स्थल और उनके धार्मिक प्रमुख के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं. समिति ने कहा कि लोगों के धार्मिक अधिकारों का इतना खुला उल्लंघन और उनके धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप अस्वीकार्य है. अंजुमन इसका कड़ा विरोध करती है. अंजुमन ने कहा कि गेट बंद करने और मीरवाइज उमर फारूक की नजरबंदी से स्थानीय आबादी में व्यापक असंतोष फैल गया है. अंजुमन ने तत्काल हस्तक्षेप का आह्वान करते हुए अधिकारियों से अपने कार्यों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया, जिससे लोगों को बिना किसी बाधा के अपनी धार्मिक प्रथाओं का पालन करने की अनुमति मिल सके.

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