हजारीबाग:जम्मू कश्मीर में शहीद कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी को अंतिम विदाई दी. उनकी अंतिम विदाई पर पूरा शहर गमगीन दिखा. शायद ही शहर का ऐसा कोई चौक चौराहा था जहां लोगों ने फूलों का वर्षा नहीं की हो. हर ओर एक ही नारा था जब तक सूरज चांद रहेगा करमजीत सिंह बक्शी तेरा नाम रहेगा.
जम्मू कश्मीर में शहीद हुए कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी पार्थिव शरीर पैतृक आवास पहुंचने के साथ ही पूरा शहर गमगीन हो गया. उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. भारत मां के जयकारों से पूरा इलाका गूंज उठा. कैप्टन की अंतिम सम्मान यात्रा के दौरान शहर के प्रतिष्ठान बंद रहे. रास्ते भर समाज के हर तबके के लोगों ने वीर शहीद को नमन किया. हर एक जगह वीर को श्रद्धांजलि दी गई. निर्धारित रास्ते से होते हुए अंतिम यात्रा मुक्तिधाम पहुंची. जहां शहीद को सेना के जवानों और स्थानीय पुलिस कर्मियों ने सलामी दी. उसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनके पिता ने उन्हें मुखाग्नि दी.
अंतिम यात्रा में जिला प्रशासन की ओर से हजारीबाग उपायुक्त नैंसी सहाय, एसपी अरविंद कुमार सिंह, सदर विधायक प्रदीप प्रसाद समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. सिख समाज से बड़ी संख्या में अंतिम संस्कार के दौरान लोग मुक्तिधाम में उपस्थित रहे. जब तक शरीर पंचतत्व में विलीन नहीं हुआ लोगों ने जगह नहीं छोड़ा. इस दौरान सभी की आंखें नम रही.
सिख समाज के गुरु सिंह सभा के सचिव देवेंद्र सिंह बग्गा ने कहा कि शहीद हमेशा दिलों में जिंदा रहते हैं. सिख समाज के बेटे ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है. जिसको देश कभी भुला नहीं सकता है. सरदार करमजीत सिंह बक्शी की आगामी पांच अप्रैल को शादी होने वाली थी. इसकी तैयारी के लिए वे 10 दिन पहले ही हजारीबाग में थे. शादी तय होने के बाद वे ड्यूटी पर कश्मीर चले गए थे. परिजनों के अनुसार, हजारीबाग में 29 मार्च को शादी से जुड़ी रस्में निभाई जानी थीं. इसके बाद जम्मू में ही पांच को शादी तय थी.
भाजपा नेता अमित सिंह ने कहा कि करमजीत सिंह हमेशा जीवित हैं. शहीद कभी मरा नहीं करते हैं. उन्होंने देश के लिए बलिदानी दिया है. देश उनका ऋणी है. वहीं उन्होंने कहा कि यह हजारीबाग के लिए अपूर्णीय क्षति है, साथ ही गर्व की बात है कि यहां का बेटा देश के लिए काम आया है. पूर्व सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन के केंद्रीय अध्यक्ष अरविंद ओझा ने कहा कि मां ने एक बेटा को खोया खोया है. उनके साथ पूरे देश भर के पूर्व सैनिक हमेशा खड़े हैं. जवान के लिए यह सौभाग्य की बात होती है कि उसका शरीर तिरंगे में लिपटकर उसके घर पहुंचे.