भुवनेश्वर: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक इंटरव्यू में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर 'चरमपंथ, अलगाववाद और हिंसा के पैरोकारों' को स्थान और वैधता देने के लिए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की. जयशंकर ने कहा कि भारत की चेतावनी के बावजूद कनाडा संगठित अपराध से जुड़े लोगों को वीजा जारी कर रहा है. अपनी पुस्तक 'व्हाई भारत मैटर्स' (Why Bharat Matters) पर बातचीत के लिए ओडिशा के बुद्धिजीवियों और पेशेवरों के साथ मंच साझा करते हुए जयशंकर ने कहा कि कनाडा में 'पाकिस्तान समर्थक' कुछ लोगों ने खुद को राजनीतिक रूप से संगठित किया है और एक प्रभावशाली राजनीतिक लॉबी बन गए हैं.
कनाडा में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों के बढ़ने और आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कथित संलिप्तता के आरोप में तीन भारतीयों की गिरफ्तारी पर जयशंकर ने कहा कि उन्होंने रिपोर्ट देखी है कि तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है और कनाडाई पुलिस ने कुछ जांच की है. उन्होंने कहा कि कुछ देशों में, इस तरह के लोगों ने खुद को राजनीतिक रूप से संगठित किया है और एक राजनीतिक लॉबी बन गए हैं. इनमें से कुछ लोकतांत्रिक देशों में नेताओं को यह विश्वास दिलाया जाता है कि अगर वे इन लोगों का सम्मान करते हैं या इन लोगों की चापलूसी करते हैं, तो इन लोगों के पास एक समुदाय का समर्थन हासिल करने की कुछ क्षमता है. इस वजह से उन्होंने इन देशों की राजनीति में अपने लिए जगह बनाने की कोशिश की है. लेकिन इस समय अमेरिका में यह इतनी बड़ी समस्या नहीं है.
जयशंकर ने कहा कि अभी हमारी सबसे बड़ी समस्या कनाडा में है, क्योंकि कनाडा की सत्ताधारी पार्टी और वहां की अन्य पार्टियों ने इस तरह के उग्रवाद, अलगाववाद और हिंसा के पैरोकारों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर वैधता दे दी है. जब उन्हें कुछ बताया जाता है तो उनका जवाब होता है कि ऐसा नहीं है. हम लोकतांत्रिक देश हैं, लेकिन यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. लेकिन उन देशों को यह समझने की जरूरत है कि अब दुनिया एकतरफा नहीं रह गई है. अगर वहां ऐसा होता है, तो उसका विरोध होगा. न्यूटन का नियम वहां भी लागू होगा. प्रतिक्रिया होगी. दूसरे लोग कदम उठाएंगे या उसका प्रतिकार करेंगे.