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जम्मू-कश्मीर: LG मनोज सिन्हा आज श्रीनगर में उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता करेंगे - HIGH LEVEL SECURITY MEET

जम्मू-कश्मीर में कानून और व्यवस्था, सुरक्षा और आईएएस/आईपीएस जैसी केंद्रीय सेवाएं सीधे उपराज्यपाल के नियंत्रण में हैं.

High Level Security meet
उपराज्यपाल मनोज सिंहा. (Etv Bharat)

By IANS

Published : Feb 12, 2025, 1:07 PM IST

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिंहा बुधवार को श्रीनगर शहर में एकीकृत कमान सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता करेंगे. यह बैठक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा जम्मू-कश्मीर पर एक सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता करने के एक दिन बाद हुई है, जिसमें दिल्ली में सीआरपीएफ, बीएसएफ और अन्य के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए थे.

एकीकृत कमान जम्मू-कश्मीर में शीर्ष सुरक्षा ग्रिड को दिया गया नाम है, जिसमें सेना, सीएपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय और राज्य खुफिया एजेंसियां और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन के वरिष्ठ नौकरशाह शामिल हैं.

उपराज्यपाल मनोज सिंहा. (ETV Bharat)

अधिकारियों ने कहा कि बैठक का उद्देश्य आतंकवाद विरोधी अभियानों, घुसपैठ के प्रयासों और केंद्र शासित प्रदेश में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की बढ़ती चुनौतियों सहित प्रमुख सुरक्षा चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करना है.

जम्मू-कश्मीर में कानून और व्यवस्था, सुरक्षा और आईएएस/आईपीएस जैसी केंद्रीय सेवाएं सीधे उपराज्यपाल के नियंत्रण में हैं. मनोज सिन्हा जम्मू-कश्मीर के पहले उपराज्यपाल हैं, जो हमेशा आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने की बात करते हैं.

उनका मानना है कि जब तक आतंकवादियों के ओवर-ग्राउंड वर्कर्स (OGW) और समर्थकों पर लगाम नहीं लगाई जाती, तब तक आतंकवाद विरोधी अभियानों में मारे गए आतंकवादियों की संख्या पर ध्यान केंद्रित करने से यूटी में आतंकवादियों का कहर खत्म नहीं होगा. आतंकवाद को खत्म करने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने में लेफ्टिनेंट गवर्नर सबसे मजबूत समर्थक रहे हैं.

वे कहते रहे हैं कि आतंकवाद की जड़ें ड्रग तस्करी, हवाला रैकेट, धार्मिक विचारधारा, राष्ट्र विरोधी प्रचार के जरिए बेरोजगार युवाओं को लुभाने और 'ग्रे एरिया' में काम करने वाले लोगों के संरक्षण में हैं. खुफिया एजेंसियां उन सफेदपोश तथाकथित नागरिकों को 'ग्रे एरिया' में मौजूद बताती हैं, जो जाहिर तौर पर आतंकवाद से जुड़े नहीं हैं, लेकिन अलगाववाद और अलगाववाद के विचारक और चैंपियन के रूप में काम करते हैं.

एक शीर्ष-स्तरीय केंद्रीय खुफिया अधिकारी ने कहा कि जो लोग 'ग्रे एरिया' में हैं, वे आतंकवाद के सबसे शक्तिशाली स्तंभ हैं और जब तक ऐसी ताकतों को सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी में काम करने की अनुमति दी जाती रहेगी, तब तक मारे गए आतंकवादियों की संख्या केवल अंकगणितीय महत्व की ही रहेगी.

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