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ISRO चीफ ने रॉकेट टेक्नोलॉजी में टीपू सुल्तान के योगदान को सराहा, जानें क्या बोले - ISRO CHAIRMAN S SOMNATH

इसरो के अध्यक्ष डॉ एस सोमनाथ ने इंस्पायरिंग इवेंट में अंतरिक्ष कार्यक्रम से शुरू होने वाली भारत की स्पेस यात्रा के बारे में जानकारी दी.

दो लाख से अधिक KRIES छात्रों को इसरो अध्यक्ष से बातचीत करने का मिला मौका
दो लाख से अधिक KRIES छात्रों को इसरो अध्यक्ष से बातचीत करने का मिला मौका (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 12, 2024, 5:38 PM IST

बेंगलुरु:समाज कल्याण विभाग, साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग और कर्नाटक आवासीय संस्थान सोसायटी (KRIES) द्वारा आयोजित एक इंस्पायरिंग इवेंट में 2 लाख से अधिक KRIES छात्रों और शिक्षकों को इसरो के अध्यक्ष डॉ एस सोमनाथ से बातचीत करने का अवसर मिला.

इस कार्यक्रम में कर्नाटक के समाज कल्याण मंत्री डॉ एचसी महादेवप्पा और साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर एन बोसराजू सहित कई प्रमुख हस्तियों ने भी भाग लिया. इस दौरान समाज कल्याण मंत्री डॉ एचसी महादेवप्पा ने भारत की ताकत और प्रगति में विविधता की भूमिका पर जोर दिया.

इनोवेशन में विविधता और समानता
उन्होंने कहा, "हमारे देश की विविधता हमारे लचीलेपन का सोर्स है. उन्होंने रॉकेट टेक्नोलॉजी के शुरुआती अग्रदूत टीपू सुल्तान और स्पेस एक्सप्लोरेशन में उनके असाधारण योगदान के लिए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जैसे व्यक्तियों को धन्यवाद दिया."

महादेवप्पा ने अंबेडकर के समानता के आदर्शों पर भी प्रकाश डाला और कहा, "यह अंबेडकर का समानता का दर्शन है, जिसने हमारी प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया है."

छात्रों को संबोधित करते इसरो चीफ एस सोमनाथ (ETV Bharat)

स्कूलों में वैज्ञानिक जिज्ञासा को बढ़ावा
वैज्ञानिक रुचि को बढ़ावा देने के लिए मंत्री एन बोसराजू ने विभिन्न रेसिडेंशियल स्कूलों में दूरबीन वितरित की और बताया कि इस पहल के लिए कुल 3 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि ये टूल युवा दिमागों को स्पेस से परे देखने और उसके रहस्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करेंगे.

भारत के अंतरिक्ष भविष्य के लिए इसरो अध्यक्ष का दृष्टिकोण
अपने संबोधन के दौरान इसरो के अध्यक्ष डॉ एस सोमनाथ ने 1969 के अंतरिक्ष कार्यक्रम से शुरू होने वाली भारत की स्पेस यात्रा के बारे में जानकारी दी. उन्होंने भारत की उन उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, जिनमें चंद्रयान-3 के माध्यम से चंद्रमा के दक्षिणी भाग पर उतरने वाला पहला देश बनना भी शामिल है.

उन्होंने कहा, "हमने श्रीहरिकोटा में अपनी सुविधाओं में PSLV, SSLV, LVM-3 और NGLV जैसे रॉकेट बनाकर एक लंबा सफर तय किया है." इसके अलावा डॉ सोमनाथ ने छात्रों को हाल के मिशनों के महत्व के बारे में भी जानकारी दी.

इसरो चीफ ने बताया कि भारत का ह्यूमन स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम, जिसमें अंतरिक्ष के लिए डिजाइन किया गया ह्यूमन रोबोट व्योममित्र शामिल है. वहीं, अगर बात करें चंद्रयान-3 की तो कैमरों से लैस इस मिशन ने चंद्रमा पर खनिज विश्लेषण को एनेबल किया, जिससे भविष्य के चंद्रमा मिशनों में परमाणु ऊर्जा का उपयोग करने की क्षमता है.

वर्तमान में भारत के पास स्पेस में 50 से अधिक सैटेलाइट हैं, जो नेविगेशन, पृथ्वी ओबजर्वेशन और कम्युनिकेशन जैसे क्षेत्रों को कवर करते हैं, जिससे यह ग्लोबल स्पेस रिसर्च में एक प्रमुख खिलाड़ी बन गया है. छात्रों को संबोधित करते हुए डॉ सोमनाथ ने आजीवन सीखने के महत्व पर जोर दिया, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के साथ , जो लगातार आगे बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा, "रोबोट दिन-प्रतिदिन स्मार्ट होते जा रहे हैं. ऐसे में अगर आप कुछ नहीं सीखते और अपने स्किल को आगे नहीं बढ़ाते हैं, तो रोबोट एक दिन मानव क्षमताओं को पार कर सकते हैं."

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