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दिबांग बहुउद्देशीय जलविद्युत परियोजना, यहां बनेगा भारत का सबसे ऊंचा बांध - Dibang dam - DIBANG DAM

Dibang Hydropower Project: 2,880 मेगावाट की दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना अरुणाचल प्रदेश के निचले दिबांग घाटी जिले में मुनली गांव के पास बनेगी. इस परियोजना में 278 मीटर ऊंचा बांध होगा, जो भारत का सबसे ऊंचा कंक्रीट-ग्रेविटी बांध होगा.

India's largest Multipurpose Hydroelectric Project to be built in Dibang Valley of Arunachal
भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय जलविद्युत परियोजना अरुणाचल की दिबांग घाटी में बनाई जाएगी. (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 27, 2024, 7:56 PM IST

तेजपुर: दिबांग बहुउद्देशीय जलविद्युत परियोजना भारत सरकार द्वारा पूर्वी अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा पर एक जिले निचली दिबांग घाटी में बनाई जाएगी. यह देश की सबसे बड़ी परियोजना मानी जा रही है. इसी साल 9 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर से इस परियोजना की आधारशिला रखी थी.

अरुणाचल प्रदेश के नामनी दिबांग घाटी जिले में स्थित दिबांग बांध प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता की सुंदरता के साथ बनाया गया एक बड़ा पक्का बांध है. यदि यह बांध बनता है तो यह 278 मीटर (945 फीट) की ऊंचाई पर स्थित भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का सबसे बड़ा पक्का बांध होगा. इससे दिबांग नदी बेसिन से 2,880 मेगावाट तक पनबिजली उपलब्ध होने की उम्मीद है और घाटी में बाढ़ नियंत्रण में भी मदद मिलेगी.

दिबांग घाटी बहुउद्देशीय परियोजना क्या है?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांध की आधारशिला पहली बार 31 जनवरी 2008 को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रखी थी. केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय ने 2013 में परियोजना के आवेदन को खारिज कर दिया था. फिर 2014 में एनएचपीसी लिमिटेड ने फिर से अपना आवेदन दायर किया और 2015 में इसे मंजूरी मिल गई. अतीत में बांध पर आंशिक नकारात्मक प्रभाव पड़ा था. इस बांध के निर्माण का उस समय कड़ा विरोध किया गया था, जब वहां यह अफवाह फैल गई थी कि उस क्षेत्र में रहने वाले इदु-मिसिमी समुदाय को जबरन विस्थापित किया जाएगा.

मोदी सरकार ने 2019 में परियोजना के लिए नई अनुमति दी थी. परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण और बिजली उत्पादन होगा. 2020 तक, अरुणाचल के निचले क्षेत्र में दो प्रमुख बांध परियोजनाओं का निर्माण किया गया है, लेकिन दिबांग और निचले सुबनसिरी बांध में काम आगे नहीं बढ़ा है. 2880 मेगावाट की दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना का निर्माण अरुणाचल प्रदेश के निचली दिबांग घाटी जिले में मुनली गांव के पास किया जाएगा.

कुल व्यय
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस मेगा डैम के निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने कुल 31,875 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. इससे बिजली पैदा होगी, बाढ़ की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी और क्षेत्र में रोजगार के अवसर और सामाजिक-आर्थिक विकास होगा. इस परियोजना में 278 मीटर ऊंचा बांध बनाया जाएगा जो भारत का सबसे ऊंचा कंक्रीट बांध होगा. इस बांध को रोलर कॉम्पैक्ट कंक्रीट (RCC) तकनीक से बनाने की योजना है. यह दुनिया का सबसे ऊंचा आरसीसी बांध होगा. बांध का लक्ष्य एक महीने में 5 लाख क्यूबिक मीटर से अधिक का कंक्रीट शिखर स्थापित करना है जो दुनिया में पहला होगा.

परियोजना से लाभ
यह परियोजना हर साल 11,223 मिलियन यूनिट जलविद्युत उत्पन्न करेगी जो स्वच्छ और हरित ऊर्जा प्रदान करेगी. इससे उत्तरी ग्रिड को आपूर्ति की जाएगी. यह परियोजना 108 महीनों के भीतर निर्माणाधीन है और फरवरी 2032 में चालू होने वाली है. 500 लोगों को निर्माण चरण में और 300 लोगों को प्रबंधन के दौरान प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान किए जाने की संभावना है. दिबांग परियोजना अरुणाचल प्रदेश राज्य के विकास के लिए स्थानीय क्षेत्र विकास निधि के लिए 12% मुफ्त ऊर्जा और अतिरिक्त 1% मुफ्त ऊर्जा प्रदान करेगी.

इस परियोजना को एक ऊर्जा संरक्षण संयंत्र के रूप में डिज़ाइन किया गया है. इसे बिजली उत्पादन के अलावा बाढ़ की समस्या को हल करने के लिए मुख्य लक्ष्यों में से एक के रूप में लिया गया है. बांध जलाशय का निर्माण 1282.60 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की भंडारण क्षमता के साथ किया जाएगा.

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