नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बुधवार को कहा कि दवा विनियमन में वैश्विक नेता (global leader) बनने के लिए भारत को विश्व स्तरीय नियामक ढांचे की आवश्यकता है. नड्डा ने कहा, 'वैश्विक विनियामक मानकों को प्राप्त करने के लिए हमारा ध्यान केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO ), दवाओं और चिकित्सा उपकरण उद्योग में प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर होना चाहिए. 'दुनिया की फार्मेसी' की हमारी वैश्विक प्रतिष्ठा से मेल खाना भी आवश्यक है.
स्वास्थ्य मंत्री यहां एक उच्च स्तरीय बैठक में औषधियों, सौंदर्य प्रसाधनों और चिकित्सा उपकरणों के विनियमन की समीक्षा कर रहे थे. औषधियों के अग्रणी उत्पादक और निर्यातक के रूप में भारत की वैश्विक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए नड्डा ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन पर अपने अनिवार्य कार्यों में वैश्विक मानकों को प्राप्त करने के लिए समयसीमा के साथ रोडमैप तैयार करने पर जोर दिया.
उन्होंने कहा कि यह सुधार प्रणाली आधारित होनी चाहिए, जिसमें एकरूपता, तकनीकी उन्नयन और भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण के उच्चतम मानकों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स के निर्यात के लिए, निर्यात की जा रही दवाओं की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए उचित हस्तक्षेप के लिए प्रणाली तैयार की जानी चाहिए.'
नड्डा ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के कामकाज में पारदर्शिता के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने कहा, 'वैश्विक मानकों को प्राप्त करने के लिए हमें केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन तथा औषधि एवं चिकित्सा उपकरण उद्योग में प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि औषधि नियामक निकाय तथा उद्योग दोनों को पारदर्शिता के उच्चतम सिद्धांतों पर काम करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारत द्वारा निर्मित और बेचे जाने वाले उत्पाद वैश्विक गुणवत्ता मानकों के उच्चतम सूचकांकों को पूरा करते हों.
नड्डा ने कहा कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के लिए दवा और चिकित्सा उपकरण उद्योग के साथ निरंतर संवाद बनाए रखना महत्वपूर्ण है, ताकि उनके मुद्दों को समझा जा सके और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की गुणवत्ता अपेक्षाओं और मानकों को पूरा करने में उनका समर्थन करता हो.